सुधार और गिरफ़्तारियाँ : क्या कहती हैं सऊदी हलचलें !



चंद्रभूषण

सऊदी अरब में अभी चल क्या रहा है, इस सवाल को लेकर दुनिया के सबसे बड़े सऊदी सियासत विशेषज्ञों में भी जबर्दस्त कन्फ्यूजन देखा जा रहा है। पिछले कई महीनों में वहां से एक दिन ऐसी खबर आती है, जो इस देश से किसी न किसी तरह का जुड़ाव रखने वालों को बल्लियों उछाल देती है, जबकि इसके कुछ ही दिन बाद कोई ऐसी खबर आ जाती है, जो उन्हें चिंता और तकलीफ से भर देती है। इस सिलसिले में सबसे नई खबर यह है कि बीते इतवार को वहां 11 राजकुमारों समेत बहुत सारे लोगों को बिना कोई कारण बताए बंदी बना लिया गया और एक राजकुमार की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई, जिसकी वजहों के बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया।

सत्ता के सबसे बड़े दावेदार और हाल तक युवराज (क्राउन प्रिंस) की भूमिका निभाने वाले मोहम्मद बिन नाएफ को इस पद से पहले ही हटाया जा चुका है और कहा जा रहा है कि इस घटना के बाद से वे लगातार नशे की हालत में नजरबंदी झेल रहे हैं। अभी गिरफ्तार हुए राजकुमारों में पिछले सऊदी शाह अब्दुल्ला के बेटे मुतैब बिन अब्दुल्ला भी हैं और ट्विटर से लेकर ऐपल तक कई नामी अमेरिकी कंपनियों के बड़े शेयरहोल्डर अलवलीद बिन तलाल भी। इनके अलावा सऊदी शाही खानदान और वहां की ऑयल इकॉनमी से जुड़े कई बड़े लोग रातोंरात जेल में डाल दिए गए हैं।

जैसा कि हम जानते हैं, मौजूदा शाह सलमान ने इस साल अपने 32 वर्षीय बेटे मोहम्मद बिन सलमान को सत्ता के कई दावेदारों को पीछे धकेल कर अपना मुख्य आर्थिक सलाहकार, सुरक्षा प्रभारी और युवराज बनाने का फैसला किया तो ईरान ने इसे तख्तापलट करार दिया था। पिछले दो सालों में प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का सितारा लगातार बुलंद होता गया है। बताया जा रहा है कि इराक और सीरिया में खुला सुन्नी मोर्चा कायम करने, यमन में लगातार बमबारी करने और हर तरफ से उसकी नाकेबंदी करने से लेकर कतर पर सारे अरब देशों की ओर से इकतरफा प्रतिबंध लगाने तक मुख्य भूमिका मोहम्मद बिन सलमान की ही है।

लेकिन इसके समानांतर सऊदी अरब से लगातार कई अच्छी खबरें भी आ रही हैं। मसलन, इसी बीच वहां स्त्रियों को अकेले कार चलाने और स्थानीय स्तर के चुनाव लड़ने की इजाजत मिली। अभी कुछ ही दिन पहले प्रिंस मोहम्मद ने एक इंटरनैशनल प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि वे सऊदी अरब में समुद्र किनारे एक ऐसा शहर बसाने की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसके नियम-कानून सऊदी अरब की परंपराओं से नियंत्रित नहीं होंगे और वहां लोग पश्चिमी देशों की तरह सारी स्वतंत्रताओं और अधिकारों का आनंद ले सकेंगे। इस बात में दम पैदा करने के लिए प्रतीकात्मक रूप से महिलाओं जैसी शक्ल-सूरत वाले एक रोबोट को सऊदी अरब की नागरिकता दी गई।

इतना ही नहीं, प्रिंस मोहम्मद ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा था कि दुनिया भर में जाने-अनजाने इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने को लेकर उन्हें खेद है। यह भी कि सऊदी अरब की औसत आबादी 30 साल से कम आयु वाली है और अपनी पुरानी नीतियों को जारी रखकर वे देश की नई पीढ़ी को अगले 30 साल तक घुटन का आदी नहीं बनाना चाहते। इससे ऐसा लगा कि एक समय तक अलकायदा, आईएसआईएस और तमाम चरमपंथी संगठनों को दुनिया की इस सबसे बड़ी तेल अर्थव्यवस्था का समर्थन मिलना अब शायद बंद हो जाए और इसके चलते पूरी दुनिया में उदार इस्लाम को फिर से अपनी जड़ें जमाने का मौका मिले।

लेकिन इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक पखवाड़े के भीतर ही बिना कोई कारण बताए, जांच कराए, मुकदमा चलाए देश के इतने सारे ताकतवर लोगों की गिरफ्तारी बताती है कि सऊदी अरब का भीतरी हाल-चाल कुछ ठीक नहीं है। सऊदी राज परिवार की सत्तारूढ़ शाखा के लिए फिलहाल एक ही बात अच्छी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का हाथ पुरजोर ढंग से उसके सिर पर है। इसके चलते उसे कहीं रूसी लॉबी की नाराजगी न झेलनी पड़े, इस बात को ध्यान में रखते हुए पूरा खानदान भारी लाव-लश्कर लेकर अभी कुछ ही दिन पहले रूस के दौरे पर गया था और व्लादिमीर पूतिन की भी दुआएं हासिल करने की पुरजोर कोशिश की थी।

फिलहाल पश्चिमी एशिया, उत्तरी अफ्रीका और सऊदी प्रायद्वीप में जारी जबर्दस्त उथल-पुथल के बरक्स वहां की दो बड़ी ताकतों सऊदी अरब और ईरान की स्थिरता इस इलाके के पूरी तरह भहरा न जाने का इत्मीनान देती थी। सऊदी खानदान में इतना तीखा टकराव सामने आ जाने के बाद से यह इत्मीनान भी अब ढहने के कगार पर आ पहुंचा है। बाकी दुनिया के लिए इसके मायने तेल की कीमतों से कहीं ज्यादा हैं, हालांकि अभी इस मामले में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।



(लेखक नवभारत टाइम्स में एडिट पेज के एडिटर हैं। ऑनलाइन एनबीटी में उनके ब्लॉग से साभार।)