हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने दवा कंपनियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए बयान देते हुए कहा था कि दवा कंपनियां डॉक्टरों को रिश्वत के रूप में लड़कियां सप्लाई करती हैं. जिस पर नाराज होकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बयान जरी कर प्रधानमंत्री को इस आरोप को साबित करने अथवा साबित न कर पाने पर माफ़ी मांगने की मांग की है. इस प्रकरण पर डॉ. रामप्रकाश अनंत ने एक वीडियो के माध्यम से कुछ अहम बिन्दुओं पर अपनी बात रखी है. इस वीडियो में उन्होंने बताया कि किस प्रकार मोदी सरकार खुद दवा कंपनियों के दवाब में आकर जन विरोधी मांगों आगे नतमस्क हुई है और दवा कंपनियों ने अपनी मनमानियों को मनवाया है. पूरा वीडियो देखिये आपको पता चल जाएगा. (संपादक)
प्रधानमंत्री दवा कंपनियों की वो बदमाशियां समझनी चाहिए जो जनता का बहुत अहित करती हैं और सरकार उनमे सहयोग करती है. 2017 सरकार एक बिल लेकर आई मेडिकल डिवाइस रुल 2017, इस रुल को ड्रग की कैटगरी में डाला गया ताकि दवाओं की तरह उनकी कीमत को भी कंट्रोल किया जा सके. इसके विरुद्ध फार्मा कंपनियों ने लाबिंग शुरू कर दी.
और सरकार ने दवा कंपनियों के आगे हथियार डाल दिए. 18 दिसम्बर 2019 को सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया जिसमें कहा गया है कि मेडिकल उपकरण ड्रग के अंतर्गत नहीं आयेंगे.