पेट्रोल-डीज़ल के दाम ऐतिहासिक ऊँचाई छू रहे हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम पहले के मुकाबले बेहद कम हैं। अजब तो यह कि देश में कोई ग़ुस्सा नज़र नहीं आ रहा है। काँग्रेस के ज़माने में 55-60 रुपये लीटर पर ही बीजेपी देशव्यापी तांडव मचा देती थी जबकि तब कच्चे तेल की क़ीमत बहुत ज़्यादा थी। लेकिन अब मोदी जी और मीडिया के साथ साँठ-गाँठ में कहीं पद्मावत पर वबाल हो रहा है तो कहीं रोज़गार के नाम पर पकौड़ा विमर्श। बहरहाल तेल के खेल पर पढ़िए गिरीश मालवीय की टिप्पणी- संपादक
पेट्रोल की कीमत 80 के पार बस पुहचने ही वाली है रविवार को मुंबई में पेट्रोल का दाम 79.95 रुपए प्रति लीटर दर्ज किया गया इस से पहले एक अगस्त 2014 को मुंबई में पेट्रोल की कीमत 80.60 रुपये तक जा पुहंची थी यह अब तक पेट्रोल के प्रति लीटर दाम का उच्चतम स्तर है,उम्मीद है एक दो दिन में ही यह आंकड़ा भी क्रॉस हो जाएगा
लेकिन एक दिलचस्प तुलना भी कर लेना जरूरी है जब 2014 में पेट्रोल के दाम 80 को पार कर गए थे तब भारतीय बास्केट में कच्चे तेल की कीमत 108.05 डॉलर प्रति बैरल पुहंच गयी थी लेकिन आज कच्चे तेल की कीमत मात्र 67 डॉलर प्रति बैरल है और तब भी दाम लगभग 80 रु लीटर हो गए हैं यानी अगर कच्चे तेल के दाम वापस 108 डॉलर प्रति बैरल पर चले जायेंगे तो मोटे अनुमान से पेट्रोल 130 रु प्रति लीटर के लगभग आपको मिलेगा
तो आखिर इतना अधिक अंतर आया कैसे , दरअसल हुआ ये है कि यूपीए सरकार ने उस वक्त मूल्य नियंत्रण के कड़े उपाय किये थे लेकिन मोदी सरकार ने छह महीने पहले पेट्रोल डीजल के दामो को बाजार के हवाले कर दिया इसलिए इस मूल्य वृद्धि को रोकना मोदीजी के बस की बात नही रह गयी हैं दूसरा महत्वपूर्ण कारण यह हैं कि पेट्रोल के उत्पाद शुल्क में 120 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के समय इस पर उत्पाद शुल्क 9.48 पैसे था जो फिलहाल 21.48 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच चुका है
अब डीजल पर आते हैं आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि 2 जुलाई 2017 को डीजल की कीमत 56.58 रुपये थी, ओर आज इसके दाम में लगभग 10 रुपये ओर जुड़ चुके हैं
यानी छह महीने में ही 10 रुपये महंगा
इंडियन ऑयल के आंकड़ों के मुताबिक दक्षिण भारत के शहर त्रिवेंद्रम में डीजल का भाव 68.21 रुपए और हैदराबाद में 68.26 रुपए प्रति लीटर दर्ज किया गया जो देशभर में डीजल का सबसे ज्यादा और रिकॉर्ड भाव हैं………..
जब से मोदी सरकार आयी है डीजल पर उत्पाद शुल्क 3.56 रुपए से बढ़कर 17.33 रुपए प्रति लीटर हो गया है.2014 से डीजल पर उत्पाद शुल्क 380 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाया गया है. डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों की वजह से देश में महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। डीजल का इस्तेमाल कमर्शियल गाड़ियों में ज्यादा होता है जिससे सामान और वस्तुओं के ट्रांसपोर्टेशन के लिए कमर्शियल गाड़ियों की लागत बढ़ गई है, महंगाई का दानव मुँहबाये खड़ा है
2014 में सत्ता में आने से पहले भाजपा अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुपात में तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोत्तरी को लेकर यूपीए सरकार के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोले हुए थी. बढ़ती महंगाई पर संसद के बाहर थाली बजाकर बकायदा डांस किया जाता था प्रधानमंत्री मोदी अपनी चुनावी रैली में तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर यूपीए की कड़ी आलोचना करते थे लेकिन जब 2015-16 के मध्य में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें 60 प्रतिशत से भी अधिक नीचे आ गई तब भी जनता को महंगी कीमत पर पेट्रोल डीजल बेचा गया और आज अंतराष्ट्रीय बाजार में थोड़ी सी मुल्य वृद्धि पर पेट्रोल फिर से 80 पार जाने वाला है एक्सपर्ट का अनुमान है कि यह दाम अगले महीने तक 85 रुपये प्रति लीटर ओर जुलाई अगस्त तक 100 रु प्रति लीटर पुहंच जाएँगे
लेकिन बढ़ती महंगाई से जनता में कोई गुस्सा नजर नही आ रहा है जनता जयजयकार के नारे लगा रही है और मोदी जी की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है ऐसा हम नही कह रहा हैं न्यूज़ चैनल के सर्वे बता रहे हैं।
लेखक इंदौर (मध्यप्रदेश )से हैं , ओर सोशल मीडिया में सम-सामयिक विषयों पर अपनी क़लम चलाते रहते हैं ।