कश्मीर से ग्राउंड रिपोर्टों की श्रृंखला में चौथी किस्त
बुरहान वानी परिघटना के बाद से माहौल फिर से विस्फोटक होने लगा। बातचीत की किसी प्रक्रिया के अभाव में इसे हल करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से सेना और अर्द्धसैनिक बलों को दी…
आम तौर पर गर्र-गुर्र जैसी लगने वाली ऐसी भाषा कार्टून के कैरेक्टर बोलते हैं। मगर यह भारत के सीएजी की भाषा है।
पत्रकार आज तक मुलायम की भाषा की शिकायत करते थे, आज वे मर्म पकड़ने में चूक गए
मौजूदा 16 वीं लोकसभा की पहली बैठक चार जून 2014 को हुई थी। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, पांच वर्ष का उसका निर्धारित कार्यकाल तीन जून 2019 को स्वतः समाप्त हो जाएगा।
प्रिंयका की छवि बीजेपी ने ही अपनी आलोचना से इतनी रहस्मयी और जादुई बना दिया कि प्रियंका के बारे में जानने के लिये वोटरो में भी उत्सुकता जाग गई।
गिरीश मालवीय देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेंसी सीएजी ने रॉफेल सौदे पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंप दी है। दो भागों में यह रिपोर्ट संसद में पेश की जाएगी। रॉफेल…
क्या आपने रक्षा ख़रीद की ऐसी कोई डील सुनी है जिसकी शर्तों में से किसी एजेंसी या एजेंट से कमीशन लेने या अनावश्वयक प्रभाव डालने पर सज़ा के प्रावधान को हटा दिया जाए?
दास मलूका अखंडानंद त्रिपाठी ने एक बार फिर मुन्ना को फटकारा- “विशुद्ध चूतिए लड़के हो तुम” लेकिन मुन्ना हैं कि हर फटकार से बेअसर। तय कर लिया है तो तय कर लिया है…
मोदीजी द्वारा राहुल गांधी को यह कहने का क्या अर्थ है कि ‘’ज्यादा शोर मत मचाओ नहीं तो पूरे परिवार की पोल-पट्टी खोल कर रख दूंगा’’!
एन राम ने दि हिन्दू अख़बार में रफाल डील से संबंधित जो खुलासा किया है वो सन्न कर देने वाला है
अमेरिका की बौखलाहट को देखकर नेपाल के विदेश मंत्रालय ने 29 जनवरी को एक दूसरा बयान जारी किया
कश्मीरी औरतें अपने ‘शहीदों’ के जनाज़े में आखिर क्यों जाती हैं?
पहले ही तय कर लिया था अपना नाम फराह ‘ख़ान' नहीं बताऊंगी। नाम से ज़ाहिर होता मेरा मज़हब काम में रुकावट डाल सकता था।
कयास हैं कि राहुल गांधी अमेठी से पलायन तो नहीं करेंगे लेकिन वह महाराष्ट्र के नांदेड़ अथवा मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से भी लोक सभा चुनाव लड़ सकते हैं
EVM से जुड़ी तीन अहम ख़बरें जिनकी मीडिया में कही कोई चर्चा नही है।
प्राणवान् चिकित्सा नहीं है, चिकित्सक है। विवेकशील दवा नहीं है, देने वाला है। प्राण और विवेक के आँखें नहीं हैं, वे हितकामी अन्तःप्रेरित अनुमान से चलते हैं।
हर बार बहुजन आंदोलन के साथ यही होता है कि मेहनत कोई और करता है और नेता कोई और बनता है
'सत्ता के भूखे लोगों से मजहब बचाइये।'
मादुरो ने कहा है कि वह विपक्षी दलों और खुआन गोइदो के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं
पूर्वोत्तर भारत में भाजपा के चुनावी मंसूबों में नागरिकता विधेयक अड़चन डाल सकता है
26 किताबों के लेखक और डा.आंबेडकर की पौत्री के पति आनंद तेलतुम्बडे को फँसा रही है सरकार।
मुझे खुर्शीद की बात याद आ रही थी- जब घर में कोई मर्द बचा ही नहीं तो हमारी बेटियां हथियार नहीं उठाएंगी तो क्या करेंगी?
जो समाज स्थायी तौर पर विभाजित, निराश और नाराज हो, वह कैसे एक सफल राष्ट्र बन सकता है?
बीजेपी में हर नेता के सामने ये चुनौती है कि वह कैसे मोदी-शाह को पहले पटकनी दे फिर खड़ा हो सके!