शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद में गौसनगर मुहल्ले के नबी अहमद की पिछले दिनों भीड़ द्वारा सरेराह एक सड़क हादसे के बाद हत्या कर दी गई थी। यह मामला न तो मीडिया में आया और न ही इस पर किसी सामाजिक संगठन ने कोई सक्रियता दिखाई। पहली बार रिहाई मंच और अवामी काउंसिल के कार्यकर्ताओं ने शाहजहांपुर जाकर इस मामले की तफ़सील से पड़ताल की तो पाया कि पुलिस ने धारा 304 में मुकदमा दर्ज कर इस संगठित हत्या के मुकदमे को कमजोर कर दिया है। हत्या के दस दिन बीत जाने के बाद भी अब तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
अवामी काउंसिल के असद हयात, रिहाई मंच के राजीव यादव और स्थानीय मोहम्मद कादिर ने मृतक नबी अहमद के परिजनों के अलावा उनके साथ भीड़ की हिंसा के शिकार घायल अज़मत उल्लाह से शाहजहांपुर में मुलाकात की। नबी अहमद के परिजनों का कहना था कि जिस तहरीर को लेकर पुलिस के पास वे दर्ज कराने के लिए गए थे, उसे दर्ज करने से पुलिस ने इनकार कर दिया और अपनी मर्जी से कमजोर तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया जिसके कारण यह मामला संगठित हत्या यानी मॉब लिंचिंग के बतौर सामने नहीं आ सका।
साठ वर्षीय नबी अहमद, पुत्र सलामत जलालाबाद के गौसनगर के रहने वाले थे। इस मोहल्ले के ज्यादातर लोग बिहार, हरियाणा, राजस्थान तथा अन्य राज्यों में जाकर खेतीबाड़ी का काम करते हैं। नबी बिहार के सीतामढ़ी में जाकर खेतीबाड़ी का काम करते थे। 19 सितंबर की शाम 6 बजे के करीब नबी अहमद, अजमत उल्लाह के साथ एक रिश्तेदारी से मोटरसाइकिल से आ रहे थे। मदनापुर के आगे बढ़ते ही अतिबरा गांव के पास पाइप लदी एक साइकिल से वे टकरा गए। साइकिल वाले सुनील ने तुरंत आवाज दी औऱ कुछ दूर खड़े लोग तुरंत आ गए और लाठी डंडे लात घूसों से दोनों को मारना पीटना शुरू कर दिया और भीड़ तमाशाई बनी देखती रही।
परिजनों का कहना है कि नबी और अज़मत को भीड़ ने बहुत बुरी तरह से मारा पीटा। सुनील पुत्र ध्यान पाल कलान शाहजहांपुर का रहने वाला है जिसकी ससुराल बताया जा रहा है कि अतिबरा गांव में है।
घटना के बाद दोनों को 108 एम्बुलेंस से नगरिया अस्पताल जलालाबाद लाया गया जहां से रेफर कर दिया गया। इसके बाद शाहजहांपुर अस्पताल लाया गया वहां से भी रेफर कर दिया। अंत में बरेली में देर रात नबी अहमद की मौत हो गई। नबी के सात लड़के, दो लड़कियां हैं। दो लड़के और एक लड़की की शादी हो चुकी है। नबी अहमद के बेटे सगीर अहमद, पड़ोसी परवेज, शरीफ अहमद, मोहम्मद यासीन बताते हैं कि भीड़ ने इतनी बुरी तरह से उन्हें मारा था कि उनकी पसलियां बुरी तरह से टूट गई थीं। सिर से लेकर पाव तक जगह-जगह से खून निकल रहा था और गंभीर चोटों के निशान थे जिसे पोस्टमॉर्टम में देखा जा सकता है। छाती, माथे, हाथ-पैर, कोहनियों और घुटनों पर गहरे जख्म थे। इतनी बड़ी घटना जिसमें एक आदमी की मौत हो जाती है दूसरा गंभीर स्थिति में चला जाता है, उसमें घटना के दस दिनों बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
नबी अहमद के साथ जा रहे पचपन वर्षीय अजमत उल्लाह पुत्र सलीम उल्लाह भी राजस्थान में सब्जी का काम करते हैं। अजमत अपने घर पर खाट पर पड़े-पड़े सीने, पसलियों, घुटने में लगी गंभीर चोटों के दर्द से कराह रहे थे। रिहाई मंच के मुताबिक उनके दर्द की वजह से ज्यादा बात नहीं हो सकी पर उन्होंने बताया कि उस दिन उन लोगों ने लाठी-डंडे से हमला किया और जमीन पर गिर जाने पर लात-घूसों से बुरी तरह पीटा। अज़मत के चार लड़के और तीन लड़कियां हैं जिसमें एक लड़के और एक लड़की की शादी हो चुकी हैI
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित