नोटबन्दी लागू की गयी तब कहा गया कि अमीर आदमी चोर है, काला धन रखता है। जीएसटी जब लागू की गई तब बताया गया कि व्यापारी चोर है, टैक्स चोरी करता है। अब मोदी सरकार नयी पॉवर टैरिफ नीति लाने जा रही है जिसमें बताया जा रहा है कि आम बिजली उपभोक्ता ही चोर है जिसके कारण हमारे मित्र उद्योगपतियों अडानी अम्बानी टाटा की पावर कंपनियों को घाटा हो रहा है।
हर घर में बिजली पहुंचाने के नाम पर, स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर, बेहतर टैरिफ नीति के नाम पर मोदी सरकार अगले कुछ महीनों में NTPC-Powergrid के जरिए घाटे में चल रही डिस्कॉम यानी बिजली वितरण कंपनियों को टेकओवर कर सकती है।
सरकार जो नयी पावर टैरिफ नीति लायी है उसे अच्छी तरह से समझना बहुत जरूरी है। इसके तहत बिजली इस्तेमाल को लेकर दिन में तीन तरह के पावर टैरिफ हो सकते हैं- ग्राहकों को सुबह, दोपहर और शाम के लिए अलग-अलग टैरिफ (स्लैब) के मुताबिक बिजली बिल भरना पड़ सकता है।
यानी मीटर उस समय के आधार पर बिल पैदा करेगा, जिस पर बिजली का सेवन किया जाता है। उपभोक्ताओं को भी पीक अवधि के लिए और अधिक भुगतान किया जाएगा। जिस वक्त घर मे बिजली का कम इस्तेमाल होगा उस वक्त का कम बिल आयेगा और जैसे ही शाम के 7 बजे के बाद जब बिजली का अधिक इस्तेमाल होगा उस वक्त आपका मीटर ओर तेजी से घूमेगा। आप चाहे नमो नमो का कितना ही जाप कर लें विद्युत खपत में कोई कमी नही आएगी क्योकि आपके घर मे स्मार्ट मीटर लगे होंगे ओर वो स्मार्ट मीटर मीटर प्रीपेड होंगे मतलब जितना रिचार्ज उतना उपयोग।
बिजली मंत्रालय ने देश में अगले तीन साल में सभी मीटर को स्मार्ट प्रीपेड मीटर में तब्दील करने का फैसला किया है जो प्रीपेड होंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा पावर कंपनियों को यह है कि उपभोक्ता के बिल नहीं चुकाने पर वो दूर बैठकर भी उसका बिजली का कनेक्शन काट सकती हैं। कर्मचारियों को आपके घर आकर मीटर रीडिंग लेने की जरूरत नहीं है। कर्मचारी किसी चौराहे पर खड़े होकर 500 मीटर की रीडिंग एक साथ ले सकेंगे।
इसके अलावा नई टैरिफ नीति में बिजली सब्सिडी को लेकर भी बड़ा बदलाव किया जा रहा है। नई टैरिफ नीति में बिजली सब्सिडी सीधे ग्राहक के बैंक खाते में भेजे जाने की योजना है जैसे गैस सिलेंडर की सब्सिडी भेजी जाती है। यानी बिजली बिल बेतहाशा बढ़ जाएंगे और आपको याद दिला दूं कि इस साल सरकार ने बजट में यह प्रावधान किया है कि जिस व्यक्ति का बिल साल भर में 1 लाख के ऊपर होगा उसे आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य है।
तो सबसे बड़ा घोटाला अब स्मार्ट मीटर के नाम पर होने वाला है।