पुलिस और मीडिया ने पत्थरगड़ी को बदनाम करने में किया खूँटी बलात्कार का इस्तेमाल: रिपोर्ट



झारखण्ड के खूंटी ज़िले के कोचांग गांव में पिछले दिनों मानव तस्करी के ख़िलाफ़ नुक्कड़ नाटक करने गईं पांच युवतियों को अगवाकर गैंगरेप ​किया गया। यौन हिंसा व दमन के खिलाफ महिलाएँ (WSS) के एक स्वतंत्र जाँच दल ने 28 से 30 जून 2018 तक घटनास्थल का दौरा किया। दल में रिनचिन, राधिका तथा पूजा शामिल थी। जाँच दल का मानना है कि इस पूरे मामले में पीड़ित महिलाओं का पक्ष पूरी तरह से गौण है। उनके परिवारों द्वारा मामले में कोई भी बयान नहीं आया है। पीड़ित महिलाओं के परिवारों को पुलिस द्वारा घटना की जानकारी नहीं दी गई है। सरकार एवं स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा पूरे मामले में गोपनीय तरीके से कार्यवाही की जा रही है। पीड़ित महिलाओं को सरकार की हिरासत में रखने के नाम पर किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। अज्ञात आरोपियों के नाम पर पत्थरगड़ी के नेताओं को टारगेट किया जा रहा है और उनके खिलाफ छापेमारी की जा रही है। सरकार द्वारा की जा रही फर्जी आत्मसमर्पण, फर्जी मुकदमे और गिरफ्तारियों की वजह से आदिवासी पलायन के लिए मजबूर हैं। पेश है जाँच दल की विस्तृत रिपोर्ट:


फैक्ट फाइंडिंग की तारीख: 28/06/2018 से 30/06/2018

स्थानः खूंटी

जैसा कि ज्ञात है कि 19/06/2018 को कोचांग गांव (ब्लाक-अड़की, जिला-खूंटी) में मानव तस्करी पर नुक्कड़ नाटक करने गईं पांच महिलाओं के साथ कथित तौर पर घटे गैंगरेप की घटना की खबर मालूम हुई। इस घटना के बाद भारत के विभिन्न राज्यों में महिला अधिकारों पर काम करने वाले संगठनों और झारखण्ड के स्थानीय सामाजिक कार्यकत्ताओं ने डब्लू.एस.एस.की अगुवाई में एक जांच टीम का गठन किया। जांच टीम दिनांक 28/06/2018 को रांची पहुंची और मामले से संबंधित तथ्यों की सही जानकारी इकट्ठी की जा सके। इस क्रम में फैक्ट फांइंडिंग के सदस्यों ने घटना से प्रभावित लोगों और घटना की जानकारी रखने वाले लोगों से बातचीत की। फैक्ट फाइंडिंग के सदस्य तथ्यों की पुख्ता जानकारी के लिए पीड़ित महिलाओं से भी बात करने के लिए पीड़िताओं से मिलने गए, पर टीम को उनसे मिलने नहीं दिया गया। साथ ही, खूंटी के डी.सी. और एस.पी. से  टीम ने मिलने के लिए समय मांगा, पर वे नहीं मिले। टीम की जांच-पड़ताल के बाद कुछ खास बातें सामने निकलकर आती हैं। जैसे कि, आम जनता तक घटना की जानकारी का स्रोत केवल पुलिस द्वारा गढ़ी गई कहानी है, जो अखबारों के माध्यम से उन तक पहुंच रही है। साथ ही, टीम की जांच के बाद जो तथ्य निकल कर सामने आए हैं, वे पुलिस द्वारा बनाई गई कहानी की प्रमाणिकता पर सवाल उठाते हैं।

फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच में पाए गए तथ्य

1.19/06/2018 को एफ.आई.आर.के मुताबिक कथित तौर पर गैंगरेप की घटना घटी। इस घटना में स्थानीय संस्था की देखरेख में रहने वाली दो बालिग महिलाओं और नुक्कड़ नाटक करने वाले संस्था के संचालक की टोली से तीन बालिग महिलाओं के साथ कथित गैंगरेप की घटना को कोचांग नामक गांव में अंजाम दिया गया। टीम को जांच के दौरान यह पता चला कि खूंटी के एक स्थानीय संस्थान के कर्मी और नुक्कड़ नाटक करने वाले संस्था के संचालक की मंडली साथ में मानव तस्करी के खिलाफ खूंटी में नुक्कड़ नाटक किया करते थे। इस पूरे मामले में गौर करने लायक बात यह है कि, एफ.आई.आर. में नुक्कड़ नाटक करने वाली संस्था के संचालक द्वारा खूंटी के एक स्थानीय संस्थान की सिस्टर पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने नुक्कड़ नाटक की मंडली को जोर देकर कोचांग मिशन स्कूल में नुक्कड़ नाटक करने को कहा जबकि उनका प्रोग्राम कोचांग स्थित बाजार में चल रहा था। अन्य सूत्रों से बात करने पर यह पता चला कि सिस्टर पर नुक्कड़ नाटक करने वाली संस्था के संचालक द्वारा 19 जून का कार्यक्रम करने को लेकर दबाव डाला गया था जबकि सिस्टर द्वारा नुक्कड़ नाटक का टारगेट पूरा कर लिया गया था। साथ ही, नुक्कड़ नाटक मंडली का कोचांग में यह पहला कार्यक्रम था और नुक्कड़ टोली के लोग और दोनों सिस्टर इस इलाके से परिचित नहीं थे।

2. फादर के बारे में एफ.आई.आर. में यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने ननों को रोक लिया जबकि बाकी महिलाओं को जानबूझ कर मोटरसाइकिल पर सवार चार अज्ञात लोगों के साथ जंगल में जाने दिया। उन पर एफ.आई.आर. में षडयंत्र करना, जबदस्ती रोककर रखना और गैंग रेप और भारतीय दंड संहिता के अन्य प्रावधान लगाए गए हैं। पर, फैक्ट फांडिंग टीम को अन्य सूत्रों से यह पता चला है कि फादर खुद उस परिस्थिति में डरे हुए थे और उन अज्ञात अपराधियों के दबाव में थे।

3. एफ.आई.आर. के मुताबिक, गैंगरेप की घटना के बाद जब पीड़ित महिलाएं वापस आयीं और उन्होंने स्थानीय संस्था की दोनों सिस्टर (जो उनके साथ थी) को घटना के बारे में बताया, तो उन्होंने घटना की जानकारी देने से मना किया।

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने जब इसके बारे में पूछताछ की तो पता चला कि जब पीड़ित महिलाएं घटना के बाद गाड़ी में सिस्टर के साथ बैठीं, तब कोचांग से खूंटी के रास्ते में उन्होंने सिस्टर के पूछने पर बलात्कार की घटना के बारे में बताया। सिस्टर ने उसी वक्त डी. सी. के पास खबर देने को कहा। पर, पीड़ित महिलाओं ने उन्हें ऐसा करने से यह कहकर मना कर दिया कि उन्हें खतरा होगा क्योंकि कथित गैंग रेप को अंजाम देने वाले अज्ञात लोगों ने उनका नाम, पता और पूरे परिवार का ब्योरा ले लिया है।

4. 20 जून को पुलिस को घटना की जानकारी मिली, लेकिन एफ.आई.आर. या मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें घटना की जानकारी कहां से मिली। टीम द्वारा सूत्रों से पूछताछ करने पर यह पता चला कि एस.पी. ऑफिस से ही थानों को कथित गैंगरेप की घटना की सूचना मिली थी। पुलिस के अनुसार, 20 जून की रात से ही पुलिस ने पीड़ित महिलाओं से संपर्क साधने की कोशिश की पर वे 21 जून को पीड़ित महिलाओं तक पहुंच पाए। उसके बाद 21 जून को पांचों पीड़ित महिलाओं का मेडिकल करवाया गया। यहां गौर करने लायक बात यह है कि पीड़ित महिलाओं के मेडिकल जांच के बारे में जब हमने सदर अस्पताल, खूंटी में पूछताछ की तो हमें पता चला कि दो पीड़ित महिलाओं को मेडिकल जांच के लिए 20 जून को ही लाया गया था। फिर, 21 जून को मेडिकल जांच के लिए सभी पांच पीड़ित महिलाओं को लाया गया, जिसकी जांच के लिए मेडिकल बोर्ड की टीम बनाई गई थी।

5. एफ.आई.आर. में फादर के अलावा अज्ञात अपराधियों और पत्थरगड़ी समर्थकों को अपराधी के रूप में डाला गया था। फैक्ट फाइंडिंग टीम के पूछताछ के मुताबिक फादर के अलावा दो अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, दोनों संदिध लोगों ने तीन अन्य लोगों का नाम लिया। इनमें दो को पत्थरगड़ी का नेता बताया गया है और एक बाजी सामंत नामक व्यक्ति का नाम लिया गया है, जो पी.एल.एफ.आई. का एरिया कमांडर है।

पुलिस से जब यह पूछा गया कि दोनों गिरफ्तार आरोपियों और सभी आरोपियों की शिनाख्त पीड़ित महिलाओं द्वारा की गई है या नहीं, तो कहा गया कि कानूनी प्रक्रिया की सारी जानकारी एस.पी. से ही मिलेगी और उन्हें इस मामले में किसी से कुछ भी ना कहने को कहा गया है। यह बात साफ है कि आरोपियों की शिनाख्त पीड़ित महिलाओं द्वारा नहीं की गयी है। इसके अलावा, आसपास के गांवों के लोगों और अन्य स्रोत के अनुसार जो चार अज्ञात लोग मोटरसाइकिल पर सवार होकर पांचों महिलाओं को ले गए थे, वे उस इलाके के नहीं थे और पत्थरगड़ी के नेता और उससे जुड़े व्यक्ति तो बिलकुल नहीं थे।

6. 26 जून को घाघरा में पुलिस के जवानों ने यह कहकर अंदर घुसने की कोशिश कि, की वहां कथित गैंग रेप के मामले में शामिल आरोपी पत्थरगड़ी में शामिल होने वाले हैं जबकि घाघरा गांव में पत्थरगड़ी को लेकर ग्राम सभा हो रही थी, जहां आसपास के गांव के लोग आए थे। वहां पुलिस और गांव वालों के बीच झड़प हुई। इस क्रम में महिलाओं ने पुलिस को करिया मुंडा के घर तक खदेड़कर भगा दिया। इस बीच करिया मुंडा के घर से चार जवानों को महिलाएं अपने साथ ले आईं।

7. 27 जून को सी.आर.पी.एफ., आरएएफ, जे.ए.एफ. और होम गार्ड के 1000 जवान घाघरा (300 लोगों का गांव) और उससे सटे गांवों में घुस गए। फैक्ट फाइंडिंग टीम द्वारा घाघरा से सटे गाँवों का 30 जून को दौरा करने पर यह पता चला कि घाघरा से सटे 7 गांव है जहां पुलिस गई थी, पर उनमें से केवल 3 से 4 गांवों में पत्थरगड़ी हुई थी। पुलिस जब उन गावों में घुसी जहां पत्थरगड़ी हुई थी, तब अर्धसैनिक बलों द्वारा इन गांवों में लोगों को मारा-पीटा गया, जिसमें एक व्यक्ति मारा गया, कुछ लोगों को चोट पहुंची और एक बच्ची का हाथ भी टूट गया। कुल 150 से 300 लोगों को हिरासत में लिया गया जिसमें महिलाएं काफी संख्या में थी। बाकी के लोग पुलिस के आने की सूचना पाकर अपने घरों को छोड़कर चले गए थे। अन्य गांवों में जहां पत्थरगड़ी नहीं हुई थी, वहां पुलिस ने लोगों के घर में घुसकर तलाशी ली। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने घाघरा में भी घुसने की कोशिश की पर वहां पर भारी संख्या में जवान तैनात थे। उन्होंने यह कहकर टीम को रोक दिया कि एस. पी. की अनुमति के बिना हम वहां नहीं जा सकते।

हमने एस.पी. से संपर्क करने की कोशिश की पर वे हमें नहीं मिले।

8. 29 जून को गार्ड को रिहा कर दिया गया, इसके बावजूद 30 जून तक घाघरा में भारी संख्या में पुलिस तैनात थी। पुलिस ने प्रेस कान्फरेंस में कथित गैंग रेप के आरोपियों का वीडियो जारी किया और जिस व्यक्ति बाजी सामंत का फोटो दिखाया वह पत्थरगड़ी से जुड़ा व्यक्ति नहीं बल्कि पी.एल.एफ.आई. का सदस्य है।

फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच से उठते कुछ सवाल

• पुलिस को कथित तौर पर गैंग रेप की घटना की जानकारी सबसे पहले कब और किसके द्वारा मिली?

• पुलिस के अनुसार, वह पीड़ित महिलाओं से पहली बार 21 जून को मिली और वह पीड़ित महिलाओं को मेडिकल जांच के लिए 21 जून को ले गई। जबकि सदर अस्पताल, खूंटी के मुताबिक 20 जून को दो पीड़ित महिलाओं की मेडिकल जांच की गई, वहीं 21 जून को पांचों पीड़ित महिलाओं की मेडिकल जांच फिर से की गई। पुलिस और सदर अस्पताल, खूंटी के द्वारा बताए गए तत्थों में अनियमितता क्यों है?

• जब पुलिस के पास कथित तौर पर घटे गैंगरेप आरोपियों का वीडियो था, तो उन्होंने अज्ञात पत्थरगड़ी समर्थकों के खिलाफ केस क्यों दर्ज किया?

• पुलिस घाघरा में जहां पत्थरगड़ी को लेकर ग्राम सभा हो रही थी वहां घुसने की कोशिश यह कहकर क्यों की, कि वहां कथित तौर पर घटे गैंग रेप के आरोपी आ रहे हैं? जबकि उन्हें पता है कि रेप का एक आरोपी बाजी सामंत दूसरे इलाके (खरसावां, सराईकेला) का रहने वाला है।

• पुलिस ने पीड़ित महिलाओं के द्वारा पकडे़ गए कथित तौर पर गैंग रेप के आरोपियों की शिनाख्त क्यों नहीं करवाया? और जिन तीन आरोपियों के लिए वह छापेमारी कर रही है, उसकी शिनाख्त पीड़ित महिलाओं द्वारा ना करवाकर पुलिस की हिरासत में लिए गए दो आरोपियों द्वारा क्यों करवा रही है?

• पीड़ित महिलाओं को प्रशासन की हिरासत में अब तक क्यों रखा गया है और उन्हें किसी से मिलने क्यों नहीं दिया जाता है?

• नुक्कड़ नाटक करवाने वाली संस्था का संचालक जिसने एक एफ.आई.आर. दर्ज किया है, वह कौन है और एफ.आई.आर. दर्ज कराने के बाद वह कहां गायब हो गया है? क्या वह प्रशासन की हिरासत में है?

फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच के कुछ नतीजे 

• इस पूरे मामले में पीड़ित महिलाओं (जिनमें कुछ शादीशुदा हैं और उनके बच्चे भी हैं) का पक्ष पूरी तरह से गायब है। उनके परिवारों द्वारा मामले में कोई भी बयान नहीं आया है। हमने यह भी पाया कि पीड़ित महिलाओं के परिवारों को पुलिस द्वारा घटना की जानकारी नहीं दी गई है।

• सरकार एवं स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा पूरे मामले में गोपनीय तरीके से कार्यवाही की जा रही है। पीड़ित महिलाओं को सरकार की हिरासत में रखने के नाम पर किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। अज्ञात आरोपियों के नाम पर पत्थरगड़ी के नेताओं को टारगेट किया जा रहा है और उनके खिलाफ छापेमारी की जा रही है। ये सभी चीजें पूरे मामले में अपनाई गई कानूनी और जांच की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करती हैं, क्योंकि सभी जानकारियों का पुलिस प्रशासन ही एकमात्र स्रोत है और केवल प्रशासन द्वारा दिखाया जाने वाला पहलू ही देखने को मिल रहा है। बाकी जानकारी के माध्यमों को बंद कर दिया गया है।

• इस पूरे मामले में मीडिया की भूमिका संदिग्ध रही है। मीडिया ने पूरे मामले में तत्थों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। मामले में मीडिया ने पत्थरगड़ी, आदिवासी समुदाय और चर्च एवं मिशन की संस्थाओं की नाकारात्मक छवि पेश की है।

• मीडिया और सरकार द्वारा चर्च एवं मिशन की संस्थाओं को फंसाने और बदनाम करने की कोशिश की गई है, इससे साफ पता चलता है कि तत्थों के साथ खिलवाड़ करके ऐसा किया गया है। इससे मामले से संबंधित सभी संस्थाओं के लोगों में भी भय का माहौल है।

• ये पीड़ित महिलाएं जिन संस्थाओं से संबंध रखतीं हैं, उन संस्थाओं को प्रेस या किसी से भी बात करने की स्वतंत्रता नहीं है। इन संस्थाओं में काम करने वाले लोगों को जिनका संबंध मामले से है, उन्हें संस्था के चारदीवारी से ना निकलने को कहा गया है। इन संस्थाओं के कर्मियों को किसी भी बाहरी व्यक्ति से बात करने से मना किया गया है और संस्थाओं के अंदर किसी को भी घुसने की अनुमति नहीं दी गई है।

रिनचिन, राधिका, पूजा
डब्लू.एस.एस. की फैक्ट फाइंडिंग टीम

फैक्ट फाइंडिंग टीम की पूरी रिपोर्ट 

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यौन हिंसा व दमन के खिलाफ महिलाएं (WSS)

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