
बीते कुछ साल में जिस तरीके से पत्रकारों और लेखकों की हत्या हुई है, उनके खिलाफ कानूनी नोटिस भेजे गए हैं और उन्हें चुन-चुन कर डराया धमकाया गया है, वह इस बात की ताकीद करता है कि सत्ताओं को सबसे ज्यादा डर लिखने-पढ़ने और बोलने वालों से लगता है। कर्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या हो या फिर उनकी हत्या पर आरएसएस को घेरने वाले रामचंद्र गुहा के खिलाफ कानूनी नोटिस, ये तमाम घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि लेखकों-पत्रकारों को एकबारगी डराया जा सकता है, लेकिन हमेशा के लिए चुप नहीं कराया जा सकता।
कांग्रेस जब पूर्ण बहुमत में थी तब उसके सामने भी लेखक-पत्रकार समस्या खड़ी करते थे। आज जब भारतीय जनता पार्टी पवूर्ण बहुमत में है, तो वह भी सच बोलने-लिखने वालों से हलकान है। इसका इलाज करने की कोशिशें पूर्व में की गई हैं, लेकिन नाकाम रही हैं। इस बार हालांकि आरएसएस ने एक अरबपति कारोबारी के सहारे मीडिया को अपनी मुट्ठी में करने की बड़ी कवायद की है, जिसकी झलकी पिछले गुरुवार को नाएडा के सेक्टर-63 में देखने को मिली जब प्रसार भारती के अध्यक्ष ए. सूर्यप्रकाश ने हिंदुस्थान समाचार की नई वेबसाइट का उद्घाटन किया।
ध्यान देने वाली बात है कि इस कार्यक्रम में सरकारी संस्थान प्रसार भारती के अध्यक्ष और सीईओ दोनों मौजूद रहे जबकि हिंदुस्थान समाचार विश्व हिंदू परिषद के संस्थापक और पहले महासचिव दादासाहब आप्टे द्वारा 1948 में स्थापित संवाद समिति थी जो आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सीधे नियंत्रण में है। अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे, उस वक्त इस एजेंसी को राजेंद्र प्रसाद रोड स्थित लाजपत राय के बंगले से शुरू करने की कवायद की गई थी और इसका प्रभार वरिष्ठ दक्षिणपंथी पत्रकार नंदकिशोर त्रिखा को दिया गया था। उस वक्त इसमें पैसा लगाने वाला कोई नहीं था, लिहाजा एजेंसी अपनी मौत मर गई।
इस बार जब पूर्ण बहुमत की सरकार आई है, तो धनकुबेरों की बड़ी जमात बीजेपी सरकार के साथ है। उन्हीं में से एक बीजेपी से राज्यसभा सांसद और एसआइएस सिक्योरिटी एजेंसी के मालिक आरके सिन्हा का पैसा इस बार एजेंसी को बहाल करने के काम आया है। नोएडा सेक्टर-63 की जिस इमारत में इस एजेंसी का दफ्तर शुरू किया गया है, वह आरके सिन्हा की है। इसकी कहानी साल भर पीछे जाती है। इंडिया टुडे में संतोष कुमार की रपट के मुताबिक मध्यप्रदेश के छोटे से शहर निनोरा में आरएसएस का विचार महाकुम्भ चल रहा था, उस वक्त 13 मई को अचानक आरके सिन्हा के पास एक आपात संदेश आया, ”तुरंत निनोरा के लिए निकलिए।”
उज्ज्ैन सिंहस्थ के समानांतर आयोजित सघ के इस विचार महाकुम्भ में ही आरके सिन्हा को भैयाजी जोशी ने हाइकमान का आदेश सुनाया था, ”संघ के नेतृत्व ने तय किया है कि आपको हिंदुस्थान समाचार संवाद समिति की जिम्मेदारी सौंपी जाए। अब आप इसकी अगुवाई करेंगें।” सरसंघचालक मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में आरके सिन्हा ने इस नई जिम्मेदारी को अपने सिर पर सहर्ष ले लिया। केवल तीन दिन बाद समिति की बोर्ड बैठक में उन्हें समिति का संरक्षक घोषित कर दिया गया। अगले पखवाड़े में सेक्टर-63 नोएडा की एक आलीशान इमारत को उन्होंने समिति चलाने के लिए रंगवा-पोतवा कर दुरुस्त कर दिया। भैयाजी जोशी ने 1 जून, 2016 को दफ्तर का लोकार्पण किया। दस दिन बाद संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले नोएडा दफ्तर आए और उन्होंने पत्रकारों को वस्तुपरक पत्रकारिता के गुर सिखाए।
इस एजेंसी को टिकाने और बहाल करने का असली खेल हालांकि 10 जून को नोएडा में नहीं, सूचना प्रसारण मंत्रालय में हुआ। डीएवीपी (दृश्य और प्रसार निदेशालय) ने एक नई नीति का आरंभ किया जिसमें सरकारी विज्ञापनों के लिए अखबारों की योग्यता के लिए 0 से 100 प्वाइंट तक रैकिंग की व्यवस्था की गई। इसके तहत 15 प्वाइंट यूएनआइ, पीटीआइ और हिंदुस्थान समाचार को सब्सक्राइक करने के लिए रखे गए यानी यूएनआइ और पीटीआइ की प्रतिष्ठित कतार में संघ की संवाद समिति को लाकर खड़ा कर दिया गया।
इमरजेंसी में यूएनआइ, पीटीआइ और हिंदुस्तान समाचार (हिंदुस्थान नहीं) का विलय कर के एक नई एजेंसी बनाई गई थी समाचार के नाम से, जिसे बाद में 1978 में अलग कर दिया गया। लंबे कानूनी मुकदमे के बाद 2002 में हिंदुस्तान समाचार एक बार फिर संघ के नियंत्रण में आ गया। वाजपेयी के दौर में जब एजेंसी का काम दोबारा नंदकिशोर त्रिखा की अध्यक्षता में शुरू हुआ, उस वक्त भी एजेंसी का नाम ‘हिंदुस्तान समाचार’ ही था। इस बार जब इसकी बहाली हुई है, तो खुले तौर पर यह ‘हिंदुस्थान समाचार’ के नाम से काम कर रही है।
Reconstructed website of Hindusthan Samachar launched by Dr. A. Suryaprakash, Chairman, Prasar Bharti. Visit https://t.co/lXj8S6zp1l pic.twitter.com/ASiZH9qydd
— HS News (@HSnewsLive) September 6, 2017
गुरुवार को हिंदुस्थान समाचार की दो दिवसीय वार्षिक आम सभा के प्रथम दिन का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने किया। इसी सत्र में हि.स. की नई वेबसाइट http://www.hindusthansamachar.in का शुभारम्भ प्रसार भारती के अध्यक्ष सूर्यप्रकाश के द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर भी मौजूद रहे। इस वार्षिक आम बैठक में संस्थान के सभी निदेशक मंडल और समस्त भारतवर्ष के हि.सा के ब्यूरो प्रमुखों ने भाग लिया। बता दें कि हिंदुस्थान समाचार का जो नया बोर्ड बना है, उसमें रामबहादुर राय, जगदीश उपासने, बीके कुठियाला और अच्युतानंद मिश्र जैसे वरिष्ठ पत्रकार शामिल हैं। इन सब के पीछे 3000 करोड़ का कारोबारी साम्राज्य चलाने वाले भाजपा सांसद आरके सिन्हा की ताकत सबसे अहम है।
प्रसार भारती के अध्यक्ष सूर्यप्रकाश जिस तरीके से सरसंघचालक मोहन भागवत और आरएसएस के जन संपर्क अधिकारी के रूप में ट्वीट करते हैं, उससे वे कोई गुंजाइश नहीं छोड़ते कि संघ की संवाद समिति की वेबसाइट का उद्घाटन करने पर उनसे कोई सवाल पूछा जा सके। इस देश में सभी को अपना मीडिया चलाने की छूट है, लेकिन संविधान के बुनियादी मूल्यों का तकाज़ा है कि सरकारी प्रसारक को किसी भी निजी मीडिया संस्थान से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। बड़ी बात यह है कि हिंदुस्थान समाचार किसी कॉरपोरेट का संस्थान नहीं है बल्कि आरएसएस का अपना संस्थान है। लिहाजा, सरकारी प्रसारक समेत प्रधानमंत्री तक का इस एजेंसी के साथ किसी न किसी तरह जुड़ा होना बुनियादी संवैधानिक मूल्य पर चोट है।
इससे इतर डीएवीपी की नई विज्ञापन नीति के संदर्भ में देखें तो बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में हिंदुस्थान समाचार को सब्सक्राइब करने और उसकी खबरों को चलाने के लिए छोटे प्रकाशनों पर दबाव बने। इससे न केवल पीटीआइ और यूएनआइ की ग्राहकी और समाचारों पर फर्क पड़ेगा बल्कि राश्ट्रीय प्रसारक के कंटेंट में भी तब्दीली आएगी। निजी मीडिया के बरक्स आरएसएस का अपना मीडिया खड़ा करने की यह कवायद कितनी कामयाब रहेगी, यह वक्त की बात है।