गृहमंत्री अमित शाह यह भूल जाते हैं कि अब वह केवल भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं, बल्कि देश के गृह मंत्री भी हैं। यही नहीं, वह शायद यह भी भूल जाते हैं कि सांसद और फिर केंद्रीय मंत्री के तौर पर उन्होंने क्या शपथ लिया था अन्यथा नागरिकता और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के सिलसिले में वह ऐसे बयान न देते जो हमारे संविधान के शब्दों और उसकी आत्मा के खिलाफ है। गृह मंत्री जानते हैं कि संविधान की धारा 14 और 15 के तहत इस देश में सभी नागरिकों को सामान अधिकार प्राप्त हैं और सरकार धर्म जाति क्षेत्र और लिंग के आधार पर किसी से किसी प्रकार का भेद भाव नहीं कर सकती उन्होंने सांसद और मंत्री के तौर पर जो शपथ ली है, उसमें भी यही कहा गया है कि वह उक्त आधारों पर देश के किसी नागरिक से किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेंगे। फिर वह ऐसे बयान कैसे दे सकते हैं कि सरकार नागरिकता का जो क़ानून बनाने जा रही है, उससे हिन्दुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, ईसाईयों आदि को डरने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि सरकार उन सबको भारत की नागरिकता दे देगी।
Amit Shah in Kolkata: I today want to assure Hindu,Sikh,Jain,Buddhist &Christian refugees, you will not be forced to leave India by the Centre. Don't believe rumours. Before NRC, we will bring Citizenship Amendment Bill, which will ensure these people get Indian citizenship pic.twitter.com/zcWhmL10xl
— ANI (@ANI) October 1, 2019
उनके इस बयान से स्पष्ट है कि केवल मुसलमानों को घुसपैठिया बता कर उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा। यह तो सम्भव है कि सरकार लोक सभा में अपने बहुमत और राज्य सभा में अपने मैनेजमेंट से उक्त क़ानून पास करा ले और राष्ट्रपति जिस प्रकार आँख बंद कर के सरकार के हर क़ानून को मंज़ूरी दे रहे हैं उसी प्रकार इस क़ानून को भी मंज़ूरी दे दें। लेकिन गृह मंत्री को मालूम होना चाहिए कि उक्त क़ानून को ठीक उसी तरह सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जायेगी जैसे धारा 370 को समाप्त करने के लिए दी गयी है और संविधान की उक्त धाराओं के चलते सुप्रीम कोर्ट इस क़ानून को निष्क्रय कर देगा। क्योंकि संविधान इस सिलसिले में बिलकुल स्पष्ट है।
All Hindu refugees safe, Citizenship Bill will be brought in, says Amit Shah in Bengalhttps://t.co/1ch94qOMk3 pic.twitter.com/3jEIin1BnO
— Scroll.in (@scroll_in) October 1, 2019
गृह मंत्री और संघ परिवार के अन्य नेताओं का कहना है कि चूँकि पड़ोस के मुस्लिम देशों बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिन्दू, सिख और अन्य गैर मुस्लिमों को प्रताड़ित किया जाता है, इसलिए वह भाग कर भारत आते हैं और चूँकि हिन्दुओं आदि के लिए भारत के अलावा और कोई देश नहीं है। इसलिए भारत उन्हें नागरिकता देगा।
People of Mizoram opposed to Citizenship Amendment Bill: CM tells Amit Shahhttps://t.co/qqRadzslBK pic.twitter.com/s1ZkMychIp
— Hindustan Times (@htTweets) October 6, 2019
मानवीय आधार पर यह नागरिकता देने पर किसी को एतराज़ नहीं हो सकता लेकिन क्या माननीय गृहमंत्री और संघ परिवार के अन्य नेता यह बताएँगे कि दुनिया में कौन सा ऐसा देश है जहां हिन्दू, सिख या अन्य धर्मावलम्बी न रहते बस्ते हों या उन्हें गुण दोष के आधार पर नागरिकता न मिलती हो, कनाडा, अमरीका और ब्रिटेन समेत कई देशों में तो हिन्दू सिख आदि सरकार में बड़े बड़े ओहदों पर बैठे हैं। कई हिन्दू मंत्री है, और अमरीका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की एक हिन्दू महिला तैयारी भी कर रही है। यह बात अलग बात है कि मोदी जी उसके मुक़ाबले ट्रम्प का चुनाव प्रचार कर आये।
गृहमंत्री यह भी स्पष्ट नहीं कर रहे हैं कि घुसपैठिया बता कर जिन मुसलमानों को भारत से निकाला जायगा। उन्हें किस देश में भेजा जायगा और क्या वह देश उन्हें स्वीकार कर लेगा? अब तक के रिकॉर्ड के अनुसार एक दर्जन से भी कम लोगों को बांग्लादेश वापस भेजा जा सका है। कोई भी पडोसी देश आपके द्वारा निकाले गए नागरिकों को लेने पर तैयार नहीं होगा। तो क्या उन सबको बंगाल की खाड़ी या हिन्द महासागर में ढकेल दिया जायगा?
गृहमंत्री के अनुसार देश में क़रीब 100 करोड़ घुसपैठिये हैं (भारत की कुल आबादी 130 करोड़ है)। मान भी लिया जाए कि गृहमंत्री ने जोश में आकर उक्त संख्या बता दी और देश में केवल एक करोड़ ही घुसपैठिये हैं। तो उन एक करोड़ का आप क्या करेंगे? यह तो सरकार को विशेष कर गृहमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए।
हो सकता है गृहमंत्री के दिमाग में असम के डिटेंशन कैंप बनाने जैसा कोई मंसूबा हो। तो क्या इतने लोगों को डिटेंशन कैंप में रख कर उनके खाने-पीने और जीवन की अन्य मूलभूत सुविधाओं का खर्च सरकार उठाएगी? इस पर कितना खर्च आएगा और अर्थव्यवस्था पर इसका क्या बोझ होगा यह भी सोचा गया या नहीं?
कटु सत्य यह है कि गृहमंत्री का केवल एक ही मक़सद है। मुसलमानों को डराना और कटटर हिन्दुओं को मुसलमानो के इस डर से प्रसन्न कर के बीजेपी को थोक भाव में उनका वोट दिलवाना क्योंकि उग्र राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के बल पर ही अब तक बीजेपी चुनावी समर पार करती रही है और आगे भी यही सिलसिला जारी रखेगी।
एनआरसी को ले कर केंद्र का रवैया तो और भी हास्यपाद है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह रजिस्टर केवल असम के लिए तैयार किया गया है। किसी और राज्य के लिए नहीं। तो फिर अन्य राज्यों में इसे कैसे लागू करेंगे उसका आधार क्या होगा? क्या गैर भाजपाई दलों की राज्य सरकारें इसे लागू करेंगी ? क्या इसके खिलाफ कोई सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगा?
साफ़ ज़ाहिर है कि गृहमंत्री यह कार्ड भी मुसलमानो को भयभीत करने के लिए खेल रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में इसे लागू करने का बड़ा शोर उठा। अंततः पुलिस अधिकारियों को ही स्पष्ट करना पड़ा कि केवल गैर क़ानूनी तौर से रह रहे बांग्लादेशियों को जिन्हें आम बोलचाल में आसामी कहा जाता है उनकी ही जांच पड़ताल हो रही है और यह कोई नयी बात नहीं है, ऐसी जांच पड़ताल अक्सर होती रही है। हर शहर में ऐसे आसामियों की बड़ी संख्या झुग्गी झोंपड़ी में रहती है और प्लास्टिक व कूड़ा बीन कर अपना जीवन यापन करती है। एक प्रकार से देखा जाए तो यह प्रधानमंत्री का स्वच्छता अभियान में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन चूँकि आँखों पर मसुलमानों से नफरत का चश्मा लगा हुआ है इसलिए उन्हें अवांछनीय बना दिया जाता है। लेकिन प्रशासन की ऐसी जांच पड़ताल से आम मुसलमानो को भयभीत होने की ज़रूरत है।
गृहमंत्री के तौर पर अमित शाह जी की पहली ज़िम्मेदारी देश के प्रत्येक नागरिक को बेखौफ ज़िंदगी जीना सुनिश्चित कराना है। किन्तु सियासी ज़रूरतों के चलते वह खुद ही भय और अनिश्चितता का माहौल पैदा करते है।