मीडियाविजिल डेस्क
हाइकोर्ट के दो अवकाश प्राप्त जज, दो रिटायर्ड आइएएस अफसर, तीन अवकाश प्राप्त आइपीएस अफसर और वरिष्ठ अधिवक्ताओं, पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक उच्चस्तरीय टीम तमिलनाडु के तूतीकोरिन से गोलीबारी की नृशंस घटना की जांच कर के लौटी है और उसने प्राथमिक जांच रिपोर्ट एक प्रेस विज्ञप्ति में आज जारी की है।
”कोआर्डिनेटिंग कमेटी फॉर पीपुल्स इंक्वेस्ट इनटु थूतुकुडी पुलिस फायरिंग” नाम की एक टीम 2-3 जून, 2018 को थूतुकुड़ी और उसके आसपास के इलाकों में 22 मई को हुई गोलीबारी, मौतों, हिरासत और उत्पीड़न की जांच करने गई थी। ताज़ा़ जानकारी के मुताबिक इस घटना में 15 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है और सौ से ज्यादा लोग गंभीर रूप से ज़ख्मी हुए हैं। ये सभी स्टरलाइट के कॉपर संयंत्र का विरोध कर रहे थे।
कमेटी ने अपनी जांच में 20-21 मई को हुए घटनाक्रम का पता किया। पता चला है कि 20 मई को प्रदर्शनकारियों और संगठनों को थूतुकुडी के प्रशासन ने एक अमन मीटिंग के लिए बुलाया था। यह पाया गया कि प्रशासन ने चुनिंदा संगठनों और जन प्रतिनिधियों को ही बुलवाया था। टीम ने जिन लोगों से बात की, उनका आरोप है कि यह विरोध प्रदर्शन को दो फाड़ करने की नीयत से किया गया। एक मामले में तो ऐसे एक संगठन मक्काल अधिकारम के नाम पर एक ऐसे व्यक्ति को आमंत्रित किया गया था जिसका उस संगठन से कोई लेना-देना नहीं था। इसके चलते प्रशासन की नीयत पर लोगों को शक हो गया।
जिला प्रशासन ने 22 की रैली के लिए एसएवी स्कूल का परिसर तय किया था और उस पर 17 शर्तें लगाई थीं। इस स्कूल का मैदान छोटा है और प्रशासन को आने वाली भीड़ का अंदाजा नहीं लग सका। इस रैली स्थल के संबंध में कोई सार्वजनिक घोषणा भी नहीं की गई थी। टीम का कहना है कि एक जगह रैली को मंजूरी देना और दूसरी जगह उसे प्रतिबंधित करना, यह जानते हुए भी कि रैली में शामिल लोग जिला कलक्टरेट की तरफ जाना चाहते थे, प्रशासन की रणनीतिक गलती रही जिसके चलते धारा 144 को लागू करना व्यावहारिक रूप से मुमकिन नहीं रह गया। इसके बजाय प्रशासन ने भीड़ इकट्ठा होने दी और फिर उसे विसर्जित करने के प्रयास किया जिसके चलते इतने लोगों की जान गई।
टीम का कहना है कि अमन बैठक में जिला कलक्टर नदारद रहे। बैठक एसपी और उपकलक्टर ने ली। कायदे से यह काम कलक्टर को करना था जिससे प्रदर्शनकारियों में सकारात्मक संदेश जाता। इसके बजाय प्रदर्शनकारियों को केवल कानून व्यवस्था का मामला माना गया और उनकी मांगों की उपेक्षा कर दी गई। बैठक के बाद धारा 144 लागू की गई। इस आदेश की प्रति लोगों को मुहैया नहीं करवाई गई थी। जांच टीम को भी 144 लागू होने संबंधी आदेश की प्रति नहीं दी गई। लोगों को टीवी के माध्यम से 21 मई की रात 9.30 पर इसके बारे में पता लगा और अगले दिन 144 की खबर अखबारों में छपी। जाहिर है, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। चूंकि 144 केवल दो पुलिस थानों में लगी थी लिहाजा प्रदर्शनकारियों के 15 किलोमीटर पैदल वलकर जिला कलक्टरेट तक पहुंचने पर कोई बंदिश नहीं थी। टीम ने पाया है कि धारा 144 लागू करने की प्रक्रिया ही अनियमित थी। जिला कलक्टर ने सारी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था।
लोगों से बात कर के टीम को पता चला कि अधिकतर प्रदर्शनकारियों को 144 लगे होने का अंदाजा ही नहीं था। रैली में भारी संख्या में महिला और बच्चे भी शामिल थे और वे खाने-पीने का सामान लेकर आए थे यह मानते हुए कि यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन है और केवल कलक्टर को ज्ञापन देकर लौट जाना है। महिलाओं की भारी संख्या के बावजूद महिला पुलिस तैनात नहीं थी। इसके अलावा सभी थाना क्षेत्रों में धारा 144 नहीं लागू थी। किसी गवाह ने टीम को यह नहीं बताया कि प्रदर्शनकारियों को विसर्जित करने के लिए अथवा स्कूल के मैदान में जाने के लिए कोई घोषणा की गई हो या लाउडस्पीकर पर कहा गया हो।
लोगों ने बताया कि जब प्रदर्शनकारी जिला कलक्टरेट पहुंचे उस वक्त पहले से वाहनों में आग लगी हुई थी। कुछ गवाहियों के मुताबिक खाकी वर्दी में कुछ पुलिसवाले प्रदर्शनकारी बनकर पत्थरबाज़ी कर रहे थे। जब उनकी पहचान हुई तो वे भाग निकले। प्रदर्शनकारियों को लाठी से बर्बर तरीके से पीटा गया। एक महिला के पेट में बंदूक के बटअ से मारा गया। टीम उसके घर होकर आई है। बच्चों को भी नहीं बख्शा गया और कई को मारने के बाद हिरासत में भी ले लिया गया। इसके अलावा असॉल्ट राइफल लिए पुलिसवालों ने पुलिस वाहनों और जिला कलक्टरेट की पहली मंजिल पर चढ़कर काले कपड़े पहले प्रदर्शनकारियों पर चुन चुन कर यह मानते हुए गोली चलाई कि वे नेता हैं।
कलक्टरेट से 10-13 किलोमीटर दूर तेरेस्पुरम में एक महिला के सिर में उसी दिन दोपहर ढाई बजे सीधे गोली मारी गई जो अपनी बेटी के यहां मछली पहुंचाने जा रही थी। वह प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थी हालांकि आंदोलन की नेता हैं। उस इलाके में 144 भी नहीं लगा था। उस महिला का चेहरा उड़ गया था। इसके अलावा फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और थर्ड माइल में भी हत्याएं हुईं।
लोग जब अपने मारे गए परिजनों को देखने अस्पताल के मुर्दाघर पहुंचे तो वहां भी पुलिस ने लाठीचार्ज किया। साठ ज़ख्मी लोगों के सीटी स्कैन करने के लिए सरकारी अस्पताल में 500 रुपये की मांग की गई। लोगों ने बताया है कि ज़ख्मी के लिए 108 एंबुलेंस सेवा भी मुहैया नहीं कराई गई। लोगों का कहना है कि ऐसा पुलिस के आदेश के मुताबिक था कि ज़ख्मी लोगों को एंबुलेंस न दी जाए। लिहाजा ज़ख्मी लोगों के लिए निजी एंबुलेंस नलमपल्ली और टीएमएमके से बुलवानी पड़ी।
अखबारों में ख़बर आई थी कि प्रदर्शनकारियों ने स्टरलाइट कारखाने और पुलिस थाने पर भी हमला किया और आगजनी की। टीम ने इन मामलों में जांच की है और ये मामले संदिग्ध निकले हैं। 22 मई की घटना के बाद पूरे इलाके में भारी पुलिस तैनाती है। लोगों के घरों में घुसकर पुलिस ने जांच के नाम पर तोड़फोड की है।
जांच टीम ने स्टरलाइट कारखाने से स्थानीय लोगों में आई विकलांगता और स्वास्थ्य समस्याओं पर भी गहन पड़ताल की और रिपोर्ट का एक बड़ा हिस्सा इसको समर्पित है। जांच टीम ने निम्न सिफारिशें की हैं:
- स्टरलाइट को तत्काल प्रतिबंधित किया जाए
- स्टरलाइट प्लांट को बंद किया जाए और प्लांट क्षेत्र की सफ़ाई की जाए
- पुलिस द्वारा मारे गए लोगों के नाम पर तमिलनाडु सरकार एक स्मारक बनवाए
- तय हो कि गोलीचालन और हत्या का आदेश किसने दिया और कानूनन उसे जवाबदेह बनाया जाए
- हत्या, ज़ख्म और निरंतर गैरकानूनी दबिश, हमले व जनता के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई
इस उच्चस्तरीय जांच टीम में निम्न शामिल थे:
बॉम्बे हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज बीजी कोलसे पाटील, मद्रास हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज हरिपरंतमन, हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव एमजी देवसहायम, तमिलनाड के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव क्रिस्तुदोस गांधी, राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद के पूर्व निदेशक कमल कुमार, गुजरात के पूर्व पुसि महानिदेशक आरबीएस श्रीकुमार, केरल के पूर्व पुलिस महानिदेशक और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में विशेष दूत जेकब पुन्नोस, फॉरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. के. मतिहरण, मद्रास हाइकोर्ट की अधिवक्ता गीता हरिहरन, दिल्ली की विधि शोधकर्ता उषा रामनाथन, सीएचआरआइ दिल्ली के वरिष्ठ परामर्शदाता मजा दारूवाला, सीएसडी, हैदराबाद की निदेशक कल्पना कन्नाबिरन, प्रो. शिव विश्वनाथन, वरिष्ठ पत्रकार पामेला फिलिपोस, अमित सेनगुप्ता व कविता मुरलीधरन, चेन्नई से फॉरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सेवियर सुरेश, अधिवक्ता और नेशनल दलित मूवमेंट फॉर जस्टिस के महासचिव डॉ. वीए रमेश नाथन, कॉरपोरेट रिस्पॉन्सिबिलिटी वॉच के संयोजक टॉम थॉमस, चेन्नई की सामाजिक कार्यकर्ता कविता गजेंद्रन, दिसंबर3मूवमेंट के अध्यक्ष टीएमएन दीपक नाथन, नेशनल फिशवर्कर्स फोरम, त्रिवेंद्रम के टी. पीटर और नेशनल फिशवर्कर्स फोरम, कन्याकुमारी के जेसइया जोसफ
पूरी प्रेस विज्ञप्ति नीचे पढ़ी जा सकती है
FF Report_Tuticorin