दिल्ली से महज 45 किलोमीटर दूर राजपूतों ने दलितों के साथ खेली खून की होली, मीडिया बेखबर


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मीडियाविजिल प्रतिनिधि 


गुरुग्राम साइबर सिटी के गांव खांडसा में होली के दिन जातिवाद का नंगा नाच देखने को मिला। होली वाले दिन राजपूतों ने शराब पीकर जमकर हुड़दंग मचाया और दलितों के घरों पर जमकर पथराव किया। मामला यहीं शांत नहीं हुआ। हमलावरों ने सोची समझी साजिश के तहत लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से लैस गुंडों को बुलाकर लोगों के घरों में घुसकर जमकर मारपीट की। मामला सेक्टर-37 थाने का है। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को इसकी सूचना दी लेकिन जब पूरा एक घंटा तांडव मचाकर और उन्हें अधमरा करके हमलावर जा चुके थे तब पूरे दो घंटे बाद पुलिस पहुंची। पुलिस की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

इस हमले में बुजुर्ग सूबेदार महिपाल की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूबेदार महिपाल के अलावा कैलाश, मनोज, राकेश, सोनू, लखन, सुनील, कांता और 2 महिलाएं व कुछ युवा घायल हुए हैं। एक युवक के पेट में शराब की बोतल से भी हमला किया गया है। पीड़ित कैलाश ने बताया- “हमारे बच्चे बाहर होली खेल रहे थे तभी राजपूत समाज के धौला राघव पुत्र बीर सिंह, सतपाल राघव, सौरभ, मोहित, गाला, लवली, सुमित, भोला, रेहड़ा, हालन, सेंकी आदि 20 से 25 लोग हुड़दंग मचाते हुए आये और मारपीट करने लगे। उन्होंने हमारे घरों में पथराव कर दिया। इसके बाद 30-35 ओर लोग लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से लैस होकर आ गए उन्होंने घरों में घुसकर मारा।” कैलाश ने बताया कि उनकी पत्नी ने पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना दी लेकिन पुलिस नहीं आयी। “एक घंटे तक तांडव मचाकर वे लोग हमें अधमरा छोड़कर फरार हो गए। घटना के दो घंटे बाद पुलिस पहुंची है। कैलाश ने बताया कि उनके पिता को मारपीट करके रोड पर फेंक दिया था।

घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सामाजिक संगठन निगाहें (एक नया बदलाव) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की। घायलों से मिलने के लिए बसपा के युवा नेता रविन्द्र तंवर और बसपा के प्रदेश प्रभारी नेतराम एडवोकेट आदि नेता पहुंचे। मामला तूल पकड़ गया है और सोशल मीडिया पर यह घटना जबरदस्त वायरल हो रही है।

दिल्ली के शिक्षक नेता (सुप्रीमो, JOINT SC/ ST TEACHERS FRONT DELHI & PSKB) रामकिशन पूनिया और यूनियनिस्ट विनोद कुमार चौहान ने भी पीडित परिवार से मुलाकात की और हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। शिक्षक यूनियन प्रवक्ता विनीत कुमार ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र ही दोषियों को नहीं पकड़ा गया तो दिल्ली के शिक्षक संसद की ओर कूच करेंगे।

इस घटना के बाद खांडसा गांव में तनाव का माहौल है। लोगों का आरोप है कि राजपूतों का यह हमला कोई पहला नहीं है। इससे पहले भी अनेकों बार उन्होंने मारपीट की है।

“निगाहें” कोर कमेटी के राष्ट्रीय प्रभारी अनिल तंवर का कहना की आरोपी समझौते का दवाब बना रहे हैं और अस्पताल में भी आरोपियों की तरफ से पीड़ितों पर मानसिक दवाब डाला जा रहा है। वहीं राजपूतों ने उन दलितों को भी धमकी दी है जिनकी गाड़ियां यूनियन में चलती हैं कि यदि किसी दलित ने पीड़ित परिवार का साथ दिया तो उनकी गाड़ियों को यूनियन से हटा दिया जाएगा।

अनिल तंवर ने चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह के भीतर आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल में नहीं डाला गया तो ”निगाहें” टीम आंदोलन करेगी जो पुलिस के लिए भी भारी होगा और इस सरकार के लिए भी।

फिलहाल पुलिस ने अनुसूचित जाति/ जनजाति अधिनियम के तहत आइपीसी की धारा 3, 147, 148, 149, 323, 324, 452, 506 में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। तनाव को देखते हुए गांव में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। खांडसा गांव के दलित परिवारों का कहना है कि हालात कभी भी खराब हो सकते हैं। राजपूत समाज के लोगों ने खांडसा में दंगे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं।

घटना के बाद दो आरोपियों को गिरफ्तार किया जा गया है, बाकी सभी आरोपी फरार हैं। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच चल रही है सभी आरोपियों को जल्द ही पकड लिया जाएगा।