सीएम के कार्यक्रम की व्यवस्थाके लिए पीडब्ल्यूडी ने 35 लाख का टेंडर निकला था यानि कि इतना धन कम से कम खर्च तो हुआ ही लेकिन किसानों के खेत का मुआवजा देने में खूब कंजूसी की गई.
प्रशासन ने 20 गुणे 20 मीटर क्षेत्र में हेलीपैड बनाया था और उसके चारो और 60 गुणे 60 मीटर क्षेत्र में बैरीकेडिंग की गई थी.
मुख्यमंत्री के हेलीकाप्टर को लैंड करने के लिए जिस स्थान पर हेलीपैड बनाया गया वह चार किसानों -साधूशरण, हरिओम, सुकुर अली व मिश्री चौहान का खेत है. मिश्री चौहान ने अपने खेत में केले लगाये थे. फसल 15 दिन बाद तैयार हो जाती तो उसकी विक्रय से 25 हजार रूपये मिलते. मिश्री चौहान की पत्नी कलावती ने बताया कि मेरे खेत से 105 केले के पेड़ काटे गये हैं। मुझे मात्र 2500 रूपये मिले हैं. मेरा बहुत नुकसान हुआ है। प्रशासन पूरा मुआवजा देने में हीलाहवाली कर रहा है.
हेलीपैड के बगल में विद्यावती देवी की रिहायशी झोपड़ी थी जिसे प्रशासन ने हटा दिया. विद्यावती ने बताया कि प्रशासन की ओर उसे सिर्फ 5 हजार रूपये दिये गये हैं.
साधूशरण को तो मुआवजे के रूप में एक रुपया नहीं मिला है.
गोरखपुर न्यूज़लाइन से साभार प्रकाशित