भारतीय सैनिकों के शव के साथ बर्बरता किसी भी देशवासी के लिए वेदना और आक्रोश का विषय है। सेना और सरकार इसका माकूल जवाब दे, यह इच्छा भी स्वाभाविक है। लेकिन अगर कुछ समाचार माध्यम न्यूज़रूम में ही जवाबी कार्रवाई गढ़ने लगें तो क्या कहेंगे ? अगर वे जवाबी कार्रवाई के बारे में झूठ फैलाने लगें तो क्या मतलब होगा ? यही ना किस सरकार में दम नहीं है तो उसके पिट्ठू पत्रकार छवि बचाने में जुट गए हैं।
स्वयंभू राष्ट्रवादी अख़बार दैनिक जागरण और संघ से दीक्षित और एबीवीपी में प्रशिक्षित रजत शर्मा के मालिकाने वाले न्यूज़ चैनल इंडिया टीवी ने यही किया। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए दो सैनिकों के बदले दस मारे और तमाम बंकर उड़ा दिए।
जबकि सेना ने साफ़ किया कि उसने ऐसी कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की।
जागरण और इंडिया टीवी के इस रुख पर फ़ेसबुक पर लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई।
मुँह तोड़ जवाब दे दिया
पार्टटाइम रक्षा मंत्री अरुन जेटली के मित्र चैनल इंडिया टीवी ने दे दिया
दो बंकर तबाह भी कर दिये(दिल्ली की सड़क पर खड़े संवाददाता मनीष प्रसाद की बार्डर से लाइव रिपोर्ट )
अभी जी न्यूज़ और सुदर्शन न्यूज़ नहीं देख सका , हो सकता है लाहौर ख़ाली हो रहा हो !
आप लोग चैन से सोइये
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फिर से झूठ बोला मीडिया। देश में मीडिया मोदी सरकार का प्रवक्ता बन गया है। युद्धोन्माद की सवारी कर रहा है मीडिया।
सरहद पर दो सैनिकों की हत्या हुई। टीवी/अख़बारों ने चंद घंटे बाद ये दावा किया कि भारत ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें पाकिस्तान के दो बंकर उड़ा दिए गए और सात पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया गया।
भारतीय सेना ने इनकार कर दिया। कह दिया कि ये झूठ है। कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सवाल है कि मीडिया ने फिर किसके इशारे पर “जवाबी कार्रवाई” की ख़बर चलाई?
सरकार के कहने पर? हथियार लॉबी के कहने पर? बड़ी मूंछों वाले रिटायर्ड “टीवी जनरलों” के कहने पर?
आज वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे है। पिछले हफ़्ते रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स ने प्रेस फ्रीडम इनडैक्स जारी किया, जिसमें भारत 180 देशों की सूची में 136वें नंबर पर आया। भारतीय मीडिया के इस हाल के लिए “मोदी नैशनलिज़्म” को कारण बताया गया। दूसरा कारण बताया गया था “सेल्फ़ सेंसरशिप” को।
आज फिर मीडिया के ये दोनों लक्षण सामने आ गए। आप कम टीवी देखा कीजिए। दिमाग़ में झूठ और उन्माद के अलावा ये लोग और कुछ नहीं भरेंगे। मीडिया में काम करने वाले आपसे कम पढ़े-लिखे हैं। हां, धूर्त आपसे ज़्यादा हैं।
3 hrs ·
सेना कह रही है हमने पाक पर कोई हमला नहीं किया,लेकिन सारे मीडिया ने कहा सेना ने पाक पर हमला किया ।
सवाल यह है मीडिया खबरें कहाँ से ला रहा है ? हाल ही की इस घटना ने साफ कर दिया है कि आरएसएस के खबरों के कारख़ाने यानी संघी चंडूखाने से मीडिया सीधे खबरें ले रहा है और आँखें बंद करके चला रहा है। चंडूखाने की खबरें जब सभी माध्यमों को अपनी पकड में ले लें तो समझ सकते हैं कि हमारे देश के अंदर किस तरह का देश बनाया जा रहा है।अब भारत को झूठी खबरों के देश के रूप में जाना जाएगा। चंडूखाने और मीडिया के अंतस्संबंध के इस मॉडल को सीआईए के प्रचारतंत्र से सीधे नकल करके तैयार किया गया है।
2 hrs ·
“पकिस्तान की सैन्य चौकियां ध्वस्त,सात पाक सैनिक मारे गये”
( ये खबर है या एडवरटीजमेन्ट। कुछ अखबारों/चैनलो में आयी ये खबर, और कुछ में बिलकुल भी नही आयी। ऐसे तो एडवरटीजमेन्ट छपते है। किसी को ऐड मिल गया किसी को नहीं मिला।)
हो सकता है कि कुछ और अख़बारों और चैनलों ने भी यह हरक़त की है। पाठकों से निवेदन है कि उनके बारे में मीडिया विजिल को बताएँ। चूँकि हमारे पास सिर्फ़ इन्हीं दो के प्रमाण हैं, इसलिए इनके बारे में ही लिखा जा रहा है। सेना की कार्रवाई के बारे में झूठी रपटें पत्रकारिता ही नहीं भारतीय सेना के शौर्य का भी अपमान है।
पुनश्च: जब हमने आगे पड़ताल की तो पता चला कि जागरण और इंडिया टीवी ने जो किया उसका असर तमाम चैनलों पर पड़ा। कोई टीआरपी लूटने में पीछे नहीं रहना चाहता था। कुछ तस्वीरें देखें और समझें कि पत्रकारिता की मुख्यधारा कितनी गंदी हो चुकी है..चाहे सबसे तेज़ आज तक हो या सबको आगे रखने वाला एबीपी हो या फिर राष्ट्रवाद का सर्टिफिकेट बाँटने वाला ज़ी न्यूज़…कोई किसी से कम नहीं–