मीडिया विजिल पर कल आपने लंदन में इलाज करा रहे मशहूर अभिनेता इरफ़ान का मार्मिक पत्र पढ़ा। आज पढ़िए उनकी बीमारी के बारे में जिसे लेकर काफ़ी भ्रम हैं। भ्रम निवारण कर रहे हैं हमारे लखनऊ निवासी हरदिल अज़ीज़ डॉक्टर स्कन्द शुक्ल-संपादक
इरफ़ान ख़ान के मार्मिक पत्र को सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने साझा किया है। रोग की पीड़ा के भावनात्मक पक्ष से इतर यह भी ज़रूरी हो जाता है कि लोग उस रोग-बिरादरी के बारे में जानें , जिससे वे पीड़ित हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्हें न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर बताया जा रहा है।
न्यूरोएंडोक्राइन विशेषण में न्यूरो और एंडोक्राइन , दो शब्दों का सम्मेल है। न्यूरो अर्थात् तन्त्रिका-तन्त्र-सम्बन्धी कुछ बात है : इतना लगभग सब जानते हैं। दुर्भाग्यवश एंडोक्राइन या अन्तःस्रावी तन्त्र के बारे में भारत में जानकारी न के बराबर है।
अन्तःस्रावी तन्त्र हॉर्मोनों का संसार है। हॉर्मोन वे पदार्थ हैं , जो बहुत सूक्ष्म मात्रा में कुछ विशिष्ट ग्रन्थियों द्वारा बनाये जाते हैं और बिना किसी नली के भीतर-ही-भीतर रक्त में प्रवाहित कर दिये जाते हैं। इतनी सूक्ष्म मात्रा में बनने के बाद भी इनकी लीला निराली है। मनुष्य की लम्बाई , उसका दैहिक-लैंगिक विकास , उसके तमाम प्रोटीन-कार्बोहाइड्रेट-वसा के उपचय-सम्बन्धी काम , इन्हीं हॉर्मोनों के माध्यम से नित्य सम्पन्न होते हैं।
रक्त में शर्करा घटाने वाला इन्सुलिन एक हॉर्मोन है। शर्करा बढ़ाने वाला ग्लूकागॉन दूसरा हॉर्मोन। उपचय को ठीक से चलाने वाला थायरॉक्सिन तीसरा हॉर्मोन। लम्बाई बढ़ाने वाला ग्रोथ हॉर्मोन भी इसी बिरादरी का है। सेक्स-सम्बन्धी परिवर्तन लाने वाले ईस्ट्रोजन-टेस्टोस्टेरॉन भी इसी परिवार में शामिल हैं। हॉर्मोनों की तालिका यहीं समाप्त नहीं होती ; यहाँ केवल कुछ ही जाने-पहचाने सदस्यों का ज़िक्र किया गया।
तन्त्रिका-तन्त्र और अन्तःस्रावी तन्त्र शरीर के भीतर साहचर्य निभाते हैं। शरीर में कई जगहों पर इन दोनों का परस्पर सहयोग होता है। मस्तिष्क में ही समस्त अन्तःस्राविता की नियन्त्रिका ग्रन्थि पिट्यूटरी स्थित रहती है। कई हॉर्मोन मस्तिष्क में अपनी अलग-अलग भूमिकाएँ निभाते पाये गये हैं।
ऐसे में क्या करता और कर सकता है कोई न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर किसी मनुष्य में ? ट्यूमर शब्द के नाम से ही स्पष्ट है कि यह एक असामान्य कोशिकाओं का समूह है। कोशिकाएँ जो बेलगाम बढ़ रही हैं। बढ़ने के कारण स्थानीय लक्षण पैदा हो रहे हैं। आसपास की सामान्य संरचनाएँ दब सकती हैं। उन्हीं संरचनाओं पर प्रभाव से लक्षण पैदा हो रहे हैं। इस तरह के स्थानीय लक्षण अंग-विशेष के अनुसार पैदा होते हैं।
लेकिन फिर न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमरों में एक दुर्गुण और भी है। ये असामान्य कोशिकाओं के जत्थे कई ऐसे हॉर्मोन बनाकर रक्त में छोड़ते हैं , जिनके अपने दुष्प्रभाव हैं। कोई हॉर्मोन अनियन्त्रित रूप से बढ़ जाए और उससे विकार जन्मने लगें। ये विकार स्रावित हॉर्मोन के तदनुरूप ही होते हैं। जैसा हॉर्मोन , वैसा उसका दुष्प्रभाव।
मैं अन्तःस्रावी हॉर्मोनों की जटिलता के बारे में यहाँ नहीं लिखना चाहता। लेकिन इतना ज़रूर है कि इस बिरादरी के ट्यूमर अपनी स्थानीयता और अन्तःस्राविता , दोनों के द्वारा मनुष्य की देह पर दुष्प्रभाव डालते हैं। साथ ही ये विरले देखने को मिलते हैं और विशिष्ट एंडोक्राइन-ऑन्कोचिकित्सक / सर्जन ही इनका उपचार कर पाते हैं : यह तो स्थापित सत्य है ही।
इरफ़ान की प्रतिभा की बहिर्स्राविता की समाज को बहुत आवश्यकता है। उनकी अन्तःस्राविता सुचारु हो , वे स्वस्थ और दीर्घायु हों , ऐसी मंगलकामना है।
पेशे से चिकित्सक (एम.डी.मेडिसिन) डॉ.स्कन्द शुक्ल संवेदनशील कवि और उपन्यासकार भी हैं। लखनऊ में रहते हैं। इन दिनों वे शरीर से लेकर ब्रह्माण्ड तक की तमाम जटिलताओं के वैज्ञानिक कारणों को सरल हिंदी में समझाने का अभियान चला रहे हैं।