BHU: मालिनी अवस्‍थी का चेयर प्रोफेसर बनना क्‍या VC त्रिपाठी का आखिरी घोटाला माना जाए?



क्‍या इसे इत्‍तेफ़ाक़ समझा जाए कि जिस दिन लोकगायिका मालिनी अवस्‍थी ने बीएचयू कांड पर सरकार और पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई का समर्थन किया, उसके अगले दिन दिल्‍ली में हुई बीएचयू की कार्यकारी परिषद की बैठक में उनका नाम सेंटेनरी चेयर प्रोफेसर के लिए चुन लिया गया? अगर यह सुनियोजित है, तो इसे बीएचयू के छुट्टी पर गए कुलपति जी.सी. त्रिपाठी का जाते-जाते आखिरी घपला माना जाना चाहिए?

बनारस हिंदू युनिवर्सिटी (बीएचयू) में 23 सितंबर की रात धरनारत छात्राओं पर लाठी चले अभी महीना भर भी नहीं हुआ है। छात्राओं की सुरक्षा की मांग तो पूरी नहीं हो सकी अलबत्‍ता उक्‍त घटना पर मौका रहते प्रतिक्रिया देने वालों को ईनाम-इकराम मिलना पहले ही दिन से शुरू हो गया था।

जिन्‍होंने छात्राओं के समर्थन में आंदोलन में हिस्‍सा लिया और सरकार के खिलाफ़ बोले, उन्‍हें गवाही और मुकदमे का नोटिस थमा दिया गया। जिन्‍होंने प्रशासन की कार्रवाई का बचाव किया, उन्‍हें पुरस्‍कृत करने का सिलसिला अब जाकर शुरू हुआ है। इस कड़ी में पहला नाम सामाजिक और राजनीतिक रूप से रसूखदार व ताकतवर गायिका मालिनी अवस्‍थी के रूप में सामने आया है जिन्‍हें बीएचयू में पांच साल के लिए सेंटेनरी चेयर प्रोफेसर नियुक्‍त किया गया है।

मालिनी अवस्‍थी बीएचयू आंदोलन के वक्‍त अचानक चर्चा में आई थीं जब झांसी में दिया उनका एक बयान अखबारों और चैनलों पर 26 सितंबर को खूब चला था। घटना के तीन दिन बाद अमर उजाला के झांसी संस्‍करण में एक खबर छपी जिसका शीर्षक था: ”लड़कों पर लाठीचार्ज तो लड़कियों पर क्‍यों नहीं?” ख़बर कहती है कि मालिनी अवस्‍थी ने बीएचयू की घटना पर कहा कि ”इस मामले में लोगों को सरकार और पुलिस का भी पक्ष समझना चाहिए… सरकार के विरोध का फैशन चल पड़ा है।”

झांसी के शिल्‍प मेले में प्रस्‍तुति देने उस वक्‍त झांसी पहुंची मालिनी अवस्‍थी ने मंडलायुक्‍त आवास पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए सोमवार, 25 सितंबर को कहा था ”आज के दौर में लड़का और लड़की को एक समान समझा जा रहा है… ऐसे में जब पुलिस लड़कों पर लाठीचार्ज कर सकती है तो लड़कियों पर क्‍यों नहीं?” ख़बर आगे कहती है कि ”उन्‍होंने यह भी स्‍पष्‍ट किया कि वह किसी पर भी लाठीचार्ज के समर्थन में नहीं हैं।” खबर 26 को छपी।

26 सितंबर की दोपहर 2 बजे भास्‍कर डॉट कॉम पर एक ख़बर प्रकाशित हुई जिसका शीर्षक था, ”BHU बवाल पर इस सिंगर ने कहा- लड़कों पर लाठीचार्ज तो लड़कियों पर क्‍यों नहीं”। इस संबंध में ज़ी न्‍यूज़ की वेबसाइट ने भी  एक ख़बर चलायी थी जिसके शीर्षक में उनका नाम था।

मालिनी अवस्‍थी के बयान पर दो दिनों तक काफी बवाल हुआ था। सोशल मीडिया में उनके बयान की काफी आलोचना भी हुई थी।  अब बयान के करीब बीस दिन बाद खबर आई है कि उन्‍हें बीएचयू के भारत अध्‍ययन केंद्र में चेयर प्रोफेसर बना दिया गया है। इस संबंध में सबसे दिलचस्‍प बात यह है कि जिस दिन उनका बयान अखबारों में छपा, उसी दिन कार्यकारी परिषद की बैठक दिल्‍ली में हुई थी और उनके नाम पर मुहर भी लगी थी। जागरण की ख़बर कहती है कि 26 सितंबर को दिल्‍ली में हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में उनका नाम तय किया गया। उन्‍होंने सरकार का बचाव 25 सितंबर को झांसी में किया था।

ध्‍यान रहे कि कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के हाथ में नियुक्ति का अधिकार 27 सितंबर तक ही था क्‍योंकि विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के मुताबिक 27 नवंबर को अपनी सेवानिवृत्ति से दो माह पहले तक उनके पास इसका अधिकार नहीं रह जाता। 26 सितंबर को कार्यकारी परिषद की उनकी आखिरी बैठक थी जिसमें उन्‍होंने सर सुंदरलाल चिकित्‍सालय के एमएस पद लिए डॉ. ओपी उपाध्‍याय का नाम आगे बढ़ाया था। उपाध्‍याय को फिजी की निचली अदालत और फिर उच्‍च अदालत में यौन उत्‍पीड़न का दोषी ठहराया जा चुका है।

यौन हिंसा के दोषी उपाध्‍याय की नियुक्ति को लेकर काफी बवाल हुआ था लेकिन पहली बार सामने आया है कि उसी बैठक में कुलपति त्रिपाठी ने मालिनी अवस्‍थी के नाम को भी चेयर प्रोफेसर के लिए हरी झंडी दे दी थी। अब यह तो कुलपति त्रिपाठी ही बता सकते हैं कि क्‍या मालिनी अवस्‍थी के एक दिन पहले अपने बचाव में दिए बयान से प्रभावित होकर उन्‍होंने उनके नाम पर मुहर लगायी या यह पहले से तय था। घटनाक्रम इस मामले में वाजिब संदेह पैदा करता हैा