ताबूत घोटाला याद है? भाजपा की सरकार पहली बार देश में आई थी। करगिल की जंग छिड़ी थी। सरकार ने अमेरिका की एक कंपनी से 13 गुना दाम पर 500 ताबूत शहीद जवानों के लिए खरीदे थे। महालेखा परीक्षक और नियंत्रक की रिपोर्ट में पहली बार इसका उद्घाटन हुआ तो बड़ी भद्द पिटी थी। सीबीआइ ने मामले की जांच की। दस साल जांच चली। 2009 में जाकर केस बंद हुआ तो सेना के तीन अफ़सरों को इस घोटाले में दोषी पाया गया। दिसंबर 2013 में सीबीआइ की एक विशेष अदालत ने कोई साक्ष्य न मिलने के कारण सभी दोषियों को मामले से बरी कर दिया।
इस बार भी भाजपा की सरकार है। प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी कह गए हैं कि ”न खाऊंगा न खाने दूंगा”। ज़ाहिर है, बिना खाए ताबूत आएंगे नहीं और आए, तो जांच बैठ जाएगी। दस साल किसने देखा है। नतीजतन, ताबूत का झंझट ही खत्म करो। गत्ते में लपेट के शहीदों के शवों को घर भिजवा दो।
राष्ट्रवादी सरकार का यह शर्मनाक कारनामा इन तस्वीरों में देख लें।
असहमति के हर स्वर पर सरहद पर तैनात जवानों के दर्द की दुहाई देने वाले लोगों ने इस घटना पर चुप्पी साध ली है। अरुणाचल के तवांग में शुक्रवार को दुर्घटनाग्रस्त एक जहाज में मारे गए सात सैनिकों के शव गत्ते में पैक कर के भेजे गए। इस सरकार के पास सात ताबूत नहीं थे। लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग (अवकाश प्राप्त) ने पहली बार इसकी तस्वीरों को साझा किया तो सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ आ गई।
2. Seven young men stepped out into the sunshine yesterday, to serve their motherland. India.
This is how they came home. pic.twitter.com/rlSbdpJyR4— Lt Gen H S Panag(R) (@rwac48) October 8, 2017
इसके बाद सेना को एक वक्तव्य जारी कर के कहना पड़ा कि ”स्थानीय संसाधनों में जवानों के शवों को लपेटना एक अपवाद था” और हर शहीद जवान को पूरा सैन्य सम्मान दिया जाता है। सेना का तर्क है कि ऊंचाई से हेलिकॉप्टर को ताबूत लाने में दिक्कत होती इसलिए ऐसा किया गया।
ट्विटर पर इस मामले पर कुछ पत्रकारों ने काफी आक्रोश ज़ाहिर किया है।
जनरल पनाग ने लिखा कि कायदा यह होता है कि जब तक ताबूत उपलब्ध न हों, जवानों के शव बॉडी बैग में लपेट कर भेजे जाने चाहिए। सेना ने इतनी बुनियादी चीज़ का भी ख़याल नहीं रखा।
Indian Armed Forces Don't Have A Single Body-Bag To Ensure A Dignified Final Journey For Its Fallen https://t.co/0m6w3htBCT
— Lt Gen H S Panag(R) (@rwac48) October 9, 2017