थाईलैण्ड के राजा के निधन पर आज कुछ हिन्दी पोर्टल ने जो खबर लिखी है उसमें बीबीसी और नभाटा ने उनका नाम “अदुन्यदेज पुमीपोन” लिखा है। कहां कहां तक लोग अपनी जहालत सिर पर लादे ढो रहे हैं, समझ नहीं आता। उनका नाम था अतुल्यतेज भुमिबोल। त का थाई में द हो जाता है तो अतुल्यतेज को थाई में अदुन्यदेज लिखा जाता है लेकिन भूमिबोल जस का तस है। यह पुमीपोन कहां से आ गया?
जाहिर है डेस्क पर बैठे लोगों के दिमाग में कुछ तो ऐसा भरा है जो विषाक्त है और थाइलैण्ड से भारत के उस रिश्ते को छिपाना चाहता है जो नाम सुनकर सोचने पर मजबूर करता। थाइलैण्ड बौद्ध देश है और वहां राज परिवार की परंपरा आज भी कायम है ब्रिटेन की तरह। थाईलैण्ड में राजा को “राम” कहा जाता है। बौद्ध देश होते हुए भी थाई लोग अपने राजा को विष्णु का अवतार राम मानते हैं। अतुल्यतेज भूमिबल नौवें राम थे जिन्होंने सबसे लंबे समय (70 साल) तक राज्य करने का रिकार्ड बनाया।
इतने लंबे समय तक शासन का कारण यह था कि उनके पिता अतुल्यतेज महिडोल का निधन महज 37 साल की उम्र में हो गया था। पिता की मृत्यु के बाद दस साल की उम्र में राजा बने बड़े भाई आनंद महिडोल का निधन भी महज 20 साल की उम्र में हो गया। इसके बाद 18 साल की उम्र में थाइलैण्ड के राजा बने भूमिबोल ने सत्तर साल तक शासन किया। इस वर्ष पहले उनकी पत्नी का निधन हुआ और अब वे भी नहीं रहे।
खबर बनाना तो सही है क्योंकि थाई राजा के नाम कई तरह के रिकार्ड दर्ज हैं लेकिन खबर के साथ यह पुमीपोन वाली बदमाशी क्यों की गयी?
(संजय तिवारी की फेसबुक वॉल से साभार)