बनारस हिंदू युनिवर्सिटी में लड़कियों की सुरक्षा के लिए 22 सितंबर को शुरू हुए आंदोलन, 23 की रात उसके दमन और उसके बाद इस मसले के राष्ट्रीय सुर्खियों में आने के बाद 26 सितंबर को हिंसा व दमन की न्यायिक जांच के आदेश तक एक अध्याय पूरा हो चुका है। जो कुछ भी दिखा या रिपोर्ट किया गया है, वह कहानी का केवल एक पहलू है जिसके केंद्र में छात्राओं का यौन उत्पीड़न है।
जो दूसरा गंभीर पहलू बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और उससे जुड़े हुए लोगों को पता है लेकिन जिसके बारे में अंदरखाने लगातार बातें हो रही हैं, उस बारे में पहली बार सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. लेनिन रघुवंशी ने मंगलवार को एक फेसबुक लाइव वीडियो में खुलकर कहा है। यह मामला विश्वविद्यालय में हो रही नियुक्तियों के घोटाले से जुड़ा है जिसमें लगातार दो सवर्ण जातियों राजपूत और ब्राह्मण के बीच की आपसी लड़ाई आकार लेती रही है।
इसमें एक तरफ़ भारतीय जनता पार्टी के एक लोकप्रिय सांसद हैं जो एक बिरादरी से आते हैं तो दूसरी ओर कुलपति और उनके कुछ खास गुर्गे हैं, जिनमें विश्व संवाद केंद्र के एक द्विवेदीजी का नाम प्रमुखता से लिया गया है। यह कोई छुपी हुई बात नहीं है कि कुलपति डॉ. गिरीश चंद्र त्रिपाठी के यहां आने के बाद से ही नियुक्तियों को लेकरएक धड़े और बिरादरी के भीतर असंतोष का भाव रहा है। चूंकि अब तक नियुक्तियों की कोई औपचारिक जांच नहंी हुई है, इसलिए लोग अपनी-अपनी लिस्ट लेकर यहां-वहां घूमते रहे हैं।
डॉ. लेनिन कहते हैं कि अगर कायदे से इन नियुक्तियों की सीबीआइ जांच हो जावे, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। देखिए पूरा वीडियो और सुनिए कि आखिर बीएचयू के समूचे प्रकरण में आखिर क्या मवाद जमा पड़ा है।
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