सरकार ने शुक्रवार को कहा कि देश में विभिन्न जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में ढाई करोड़ से अधिक मुकदमों में पक्षकारों को फैसले का इंतजार है। साथ ही इन अदालतों में न्यायिक अधिकारियों के 5746 पद रिक्त पड़े हैं।
कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी देते हुए बताया कि देश की जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 2,65,05,366 मुकदमे लंबित हैं।
सपा के किरणमय नंदा द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में चौधरी ने राज्य सरकारों और उच्च न्यायालयों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर बताया कि इन अदालतों में न्यायिक अधिकारियों के 5746 पद रिक्त हैं।
एक अन्य सवाल के जवाब में चौधरी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों के स्वीकृत 31 पदों में से सात और उच्च न्यायालयों में 1048 पदों में 406 पद रिक्त हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में पिछले साल 31 दिसंबर तक स्वीकृत पदों की संख्या 22474 थी। इनमें से 16728 पदों पर न्यायिक अधिकारी पदस्थ हैं।
रिक्त पदों और लंबित मुकदमों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार शीर्ष तीन पायदान पर हैं। उत्तर प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों के 1348 पद रिक्त हैं और 63,42,179 मुकदमे लंबित हैं।
वहीं, बिहार में न्यायिक अधिकारियों के रिक्त पदों की संख्या 835 और मध्य प्रदेश में 728 है। जबकि बिहार और मध्य प्रदेश में लंबित मुकदमों की संख्या क्रमश: 16,77,925 और 33,70,848 है।
लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए राज्य न्यायिक सेवाओं में प्रबंधन, प्रशासन तथा वित्त पोषण संबंधी अधिकारियों के लिए अलग से संवर्ग बनाने से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि अप्रैल 2013 में न्यायिक सेवा के प्रबंधन आदि से जुड़े अधिकारियों को भारतीय प्रबंधन संस्थानों से प्रशिक्षण कराने की पहल की गई थी। इस दिशा में सभी उच्च न्यायालयों से सुझाव मांगे गए हैं।
साभार: पीटीआई/भाषा