21वी सदी के भारत में लड़कियों का यौन उत्पीड़न होना मानों आम बात हो गई है। सरकारें महिलाओं को सुरक्षित करने का जितना भी दावा करें, लेकिन रेप, यौन उत्पीड़न, प्रताड़ना के मामले काम होने का नाम नहीं ले रहे है। आज एक खबर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से आई है, जहां यौन उत्पीड़न से परेशान एक 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली नाबालिक लड़की ने आत्महत्या का रास्ता चुना। मगर मरने से पहले वह लड़कियों के लिए 2 सुरक्षित जगहों का जिक्र करती है। जो आज की हकीकत को बाया करती है, जो समाज और देश की सभी सरकारों को आइना दिखाया है।
स्कूल सुरक्षित नहीं हैं और शिक्षकों पर भरोसा नहीं किया जा सकता..
मृतक नाबालिग लड़की ने इस तरह का कदम उठाने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उसने पूरे समाज को ही गुनहगार बताते हुए कटघरे में खड़ा का दिया, नोट में लिखा है कि, एक लड़की मां के गर्भ और कब्र में ही सुरक्षित होती है। उसने यह भी लिखा कि स्कूल सुरक्षित नहीं हैं और शिक्षकों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। उसने लिखा की वह “मानसिक उत्पीड़न” के कारण न तो पढ़ सकती है और न ही सो सकती है। आगे उसने दुनिया के तमाम पैरेंट्स के लिए एक संदेश लिखा कि हर माता-पिता को अपने बच्चों और बेटों को लड़कियों का सम्मान करना सिखाना चाहिए। नोट के अंत ने उसने लिखा, यौन उत्पीड़न बंद हो, मुझे इंसाफ मिले। साथ ही नोट में उसने तीन संभावित आरोपी का जिक्र भी किया था, “रिश्तेदार, शिक्षक और सभी।”
पूरा मामला…
शनिवार को जब नाबालिग लड़की की मां एक घंटे के लिए बाजार गई थी, तभी लड़की ने खुदकुशी कर ली। जब मां घर लौटी तो कमरे का दरवाजा बंद था, दरवाज़े को तोड़ा गया तो नाबालिग बच्ची मृत पड़ी थी। जहां उसका लिखा हुआ नोट भी पड़ा हुआ था। आपको बता दें कि पुलिस ने इस मामले में एक 21 वर्षीय लड़के को गिरफ्तार किया है। लड़के ने नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध बनाने की बात स्वीकार की है। पिछले दो सप्ताह से वह लड़की का उत्पीड़न के साथ उसे प्रताड़ित कर रहा था। पुलिस को दोनों के मैसेज और कुछ तस्वीरें भी मिली हैं। बता दें की घर वालों को इसकी भनक बिल्कुल भी नहीं थी कि उनकी बेटी किस परेशानी से गुजर रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों कि एक दूसरे से पिछले आठ महीने से दोस्ती थी। पुलिस ने आरोपी पर पॉक्सो की धारा के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस द्वारा आगे की जांच जारी है क्योंकि सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस का मानना है कि इस यौन उत्पीड़न में कुछ और लोग भी शामिल हो सकते हैं।
क्यों लड़कों को नही सिखाया जाता लड़कियों की इज्जत करना..
यह राज्य का कोई पहला मामला नही हैं हाल ही में चार और ऐसे मामले शहर में दर्ज हुए हैं जिसमें यौन उत्पीड़न की वजह से आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। एक मामले में टीचर को गिरफ्तार भी किया गया है। सिर्फ एक राज्य ही नही आज कोई ऐसा कोना नही बचा है जहां लड़कियां खुल कर सांस ले सके। एक तरफ सरकारें महिलाओं को सक्षम बनाने की बात करती हैं। महिला सशक्तिकरण की बात करती है। वहीं, दूसरी तरफ इस तरह की घटनाएं महिलाओं को झिंझोड़ देती है। लेकिन इन सब के लिए सिर्फ सरकारों जिम्मेदार नहीं है। यह सिर्फ सरकारों की नाकामी नही है। यह हर उस परिवार की नाकामी है, जहां महिलाओं बेटियों को तो यह सिखाया जाता है कि बाहर नज़रे नीची करके चालों, लेकिन बेटों को यह नही सिखाया जाता की बाहर नज़रे नीची करके चालों, जहां लड़कियों को तो यह सिखाया जाता है कि लड़कों से बचों, लेकिन लड़कों को यह नहीं सिखाया जाता की लड़कियों से बचों उनकी इज्जत करो, जहां एक लड़की से ज्यादा एक लड़के को अहमियत दी जाती है। यह समाज की एक ऐसी सच्ची हैं जिसे नकारा नहीं जा सकता।