सोनभद्र के घोरावल ब्लॉक स्थित उम्भा गांव में कम से कम दस आदिवासियों की आज हत्या कर दी गई। पचीस अन्य गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं। मामला गुर्जरों और गोंड आदिवासियों के बीच ज़मीन विवाद का है। गोली चलाने वाले गुर्जर समुदाय के ग्राम प्रधान और उसके गुंडे हैं। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है और शासन ने जांच समिति बना दी है।
मामला एक भूखंड से जुड़ा है जिसे ग्राम प्रधन ने कथित तौर पर दो साल पहले किसी से खरीदा था। पुलिस के मुताबिक प्रधान उसी भूखंड पर कब्ज़ा लेने गया था जब आदिवासी ग्रामीणों ने उसका विरोध किया। इसके बाद प्रधान और उसके आदमियों ने अंधाधुंध गोली चला दी जिसमें नौ से दस लोग मारे गए।
मृतकों के अब तक जो नाम सामने आए हैं वे हैं: राजेश गौड़ (28 साल) पुत्र गोविंद, रामचंद्र पुत्र लालशाह, रामधारी (60 साल) पुत्र हीरा शाह, अशोक (30 साल) पुत्र नन्हकू, महिला का नाम अज्ञात (45) पत्नी रंगीला लाल, राम सुंदर (50 साल) पुत्र तेजा सिंह, पत्नी नंदलाल, दुर्गावती (42 साल) जवाहिर (48 साल) पुत्र जयकरन, सुखवन्ती (40 साल)।
DGP UP OP Singh’s version on the Sonbhadra incident. pic.twitter.com/tbVxqKvAqj
— UP POLICE (@Uppolice) July 17, 2019
मामला राष्ट्रीय स्तर पर उठ चुका है और बड़े नेताओं के बयानात आ चुके हैं। प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए घटना पर चिंता जाहिर की है और कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय लल्लू को तुरंत सोनभद्र रवाना किया है।
इस बीच आलोचनाओं से घिरी यूपी सरकार ने घटना की जांच के लिए दो सदस्यीस जांच समिति गठित करने का आदेश निकाला है जिसमें मिर्जापुर के आयुक्त और बनारस ज़ोन के एडीजी को रखा गया है। मुख्य सचिव के दस्तखत से जारी शासनादेश में कहा गया है कि जांच रिपोर्ट चौबीस घंटे के भीतर प्रस्तुत की जाए।
शुरुआती पड़ताल में पता चला है कि उम्भा गांव चकबंदी के अधीन है और आज की घटना बहुत संभव है कि वन विभाग की ज़मीन की गलत तरीके से खरीद-फरोख्त का नतीजा हो। सामान्य प्रतिक्रियाओं में भी भू-माफिया का जि़क्र आ रहा है।
खबर लिखे जाने तक सूचना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के आश्रितों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की है। साथ ही जिलाधिकारी सोनभद्र को निर्देश दिए गए हैं कि वे रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि ग्रामवासियों को पट्टे क्यों नहीं उपलब्ध कराए गए थे।
सोनभद्र में पिछले कई दशक से आदिवासियों की ज़मीनों के पट्टे की लड़ाई रह-रह कर हिंसक रूप लेती रही है। पिछली बार आज से पांच साल पहले कनहर बांध का विरोध कर रहे आदिवासियों पर यहां पुलिस ने गोली चलायी थी जिसमें एक आदिवासी को गोली लगी थी, हालांकि उसकी जान बच गयी थी।
इससे पहले भी इस किस्म की हिंसक घटनाएं होती रही हैं लेकिन पहली बार इतनी बड़ी संख्या में एक साथ आदिवासियों की हत्या की गई है।मीडियाविजिल जल्द ही इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट अपने पाठकों के सामने रखेगा।