जल्द खत्म हो सकता है किसान आंदोलन, केस वापसी और MSP पर बनी सहमति: पर्दे के पीछे का नतीजा

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एक साल से आंदोलन में डटे किसान और सरकार के बीच की गुत्थी अब सुलझती मालूम पड़ रही है। किसान आंदोलन अब जल्द ही समाप्त हो सकता है। दरअसल, विवाद को सुलझाने की जिम्मेदारी गृह मंत्री अमित शाह को दे दी गई है, जिसके बाद से ही किसान संगठनों और सरकार के बीच पर्दे के पीछे कई बार बातचीत हो चुकी है। खबर है कि सोमवार को दोनों के बीच सार्वजनिक चर्चा हो सकती है। वहीं, आंदोलन खत्म करवाने के लिए मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजे के अलावा उनकी सभी बाधाओं को लगभग दूर कर दिया गया है।

मुआवजे पर भी सरकार की सहमति..

किसान मुआवजे को लेकर अड़े हुए हैं और आंदोलन को समाप्त करने की राह में सबसे बड़ी बाधा भी 700 से अधिक मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा देना है। जिसे लेकर शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था की उनके पास मृतक किसानों का कोई आंकड़ा नही है इस लिए मुआवजे का सवाल ही नहीं बनता। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, सरकार मुआवजे के लिए तैयार है, लेकिन मुआवजा देने के फॉर्मूले पर फिलहाल मंथन चल रहा है। पर्दे के पीछे हुई वार्ता में सरकार और किसान संगठनों के बीच कई मुद्दों पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। मसलन लखीमपुर मामले में गृह राज्य मंत्री अजय टेनी के इस्तीफे की मांग पर ज्यादा जोर न देने का भरोसा दिया है। एमएसपी को लेकर गठित होने वाली कमेटी को भेजने, दर्ज केस वापस लेने पर भी सहमति बनी है।

अब क्यों सरकार विवाद को जल्द खत्म करना चाहती है?

अमर उजाला की एक खबर के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब सरकार आंदोलन का जल्द से जल्द समाधान चाहती है। क्योंकि यूपी में फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं। यही कारण है कि भाजपा की मुख्य चिंता पश्चिमी उत्तर प्रदेश है, जहां किसान एक साल से आंदोलन में सक्रिय हैं। पार्टी चाहती है कि इस विवाद को जल्द खत्म किया जाए। बता दें कि फिलहाल अभी अंदिलान जारी है। वहीं, चार दिसंबर को कुंडली सीमा पर हुई एसकेएम की अहम बैठक में नेताओं ने एमएसपी गारंटी कानून समेत बाकी 6 लंबित मांगों के पूरा होने तक आंदोलन जारी रखने की घोषणा की थी।