तेज़ हुआ किसान आंदोलन, रोहतक में कर्फ़्यू, घेरे गये बीजेपी के नेता और मंत्री

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किसान आंदोलन के दूसरे दौर के आग़ाज़ के साथ आज देश के कई इलाक़ों में किसानों ने टोल फ्री कर दिया। किसानों ने ऐलान के मुताबिक दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम किया और बड़ी तादाद में आसपास के राज्यों से दिल्ली की ओर कूच किया। इस बीच हरियाणा के रोहतक में प्रशासन ने कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है। लेकिन सरकार कृषि कानूनों पर कदम पीछे हटाने को तैयार नहीं है। पीएम मोदी ने आज फिर कहा कि इससे किसानों को फायदा होगा। साथ ही बीजेपी ने कृषि कानूनों के समर्थन में अभियान चलाने का ऐलान किया है।

किसानों ने कृषि क़ानून वापस न लेने तक आंदोलन तेज़ करते जाने का ऐलान किया है। इसका असर आज दिल्ली की उनकी घेरेबंदी पर दिखी। किसानों के तमाम जत्थे दिल्ली पहुँचते रहे। रास्ते के टोल प्लाज़ा पर ऐलान के मुताबिक कोई भुगतान नहीं किया गया। किसानों ने 14 दिसंबर को देश भर में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।

इस बीच सरकार की ओर से किसानों को बदनाम करने का अभियान चलाया जा रहा है। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर बता रहे हैं कि वार्ता में वामपंथी हैं, इसलिए समझौता नहीं हो पा रहा है। मुख्यधारा का मीडिया इसे लेकर उड़ गया है जबकि वामपंथी दलों के किसान संगठन पहले दिन से इस आंदोलन में शामिल हैं और संयुकत किसान मोर्चे के नेता के रूप में सरकार से वार्ता करते रहे हैं।

इस बीच किसानों को खालिस्तान बताने के अभियान पर शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि विरोधी की हर आवाज़ को देशद्रोही बताने का चलन ख़तरनाक़ है। इधर, हरियाणा सरकार भी दबाव में आ गयी है। जननायक जनता पार्टी के नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि एमएसपी सुनिश्चित न हुई तो वे इस्तीफ़ा  दे सकते हैं। एनडीए के सहयोगी सांसद हनुमान बेनीवाल भी किसानों के दिल्ली कूच में शामिल हो गये हैं। साथ ही बीजेपी के विधायकों और मंत्रियों का घेराव शुरू हो गया है। नोएडा मे सांसद डॉ.महेश शर्मा का घेराव किया गया।

इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने अब तक दिल्ली बॉर्डर पर हुए धरने में 11 किसानों की मौत को लेकर सरकार को घेरा हैं। उन्होंने पूछा कि आखिर कितने किसानों को अपनी आहुति देनी होगी?

 

 

बहरहाल, सरकार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि उस पर आंदोलन का कोई दबाव नहीं है। पीएम मोदी ने आज फिक्की के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि कानूनों का जमकर बचाव किया। उन्होंने कहा कि इससे कृषि में निवेश बढ़ेगा और किसानों की दशा सुधरेगी। हालाँकि न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी न देने के सवाल पर न वे मुँह खोलते हैं और न उनकी पार्टी।