उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की आपत्तिजनक भाषा को लेकर वायरल हो रहे एक वीडियो पर हंगामा मचा हुआ है। यूपी सरकार के अधिकारियों से लेकर कुछ पत्रकारों ने कहा है कि ये वीडियो एडिटेड है।
सरकार समर्थक पत्रकारों ने एक वीडियो ट्वीट भी किया, जिसमें इस वीडियो को एडिटेड और फ़ेक बताया गया।
यही नहीं यूपी के सीएमओ की ओर से इस वीडियो को प्रसारित करने वालों पर मुकदमा दर्ज करवाने की धमकी तक दे दी गई।
इसके बाद हमको लगा कि इस वीडियो की जांच ज़रूरी है, जिससे कि सीएम को लेकर या फिर वीडियो को लेकर फैले भ्रम के जालों को साफ किया जा सके। हम चाहते थे कि वीडियो फ़र्ज़ी ही निकले, क्योंकि इस तरह की भाषा शोभनीय नहीं लगती। लेकिन मीडिया विजिल की फैक्ट चेक टीम ने इस वीडियो को जांचा है और पाया कि ये वीडियो असली है और इसमें आपत्तिजनक हिस्से में कुछ भी एडिटेड नहीं है।
इस बीच समाचार एजेंसी ANI ने पहले वीडियो को अपने ट्विटर हैंडल से हटा दिया और एक नया वीडियो जारी करते हुए ‘Retracted’ यानी कि खंडन या रद्द करने जैसे शब्द का इस्तेमाल किया।
परीक्षण प्रक्रिया
हमने सबसे पहले, इस वीडियो की एक फुटेज को लेकर, उसको सामान्य गति और फिर स्लो मोशन में चला कर, कई बार देखा..(आप भी वीडियो में ये देख सकते हैं)
उसके बाद, हमने 3 अलग-अलग चैनल्स की उसी बयान की फुटेज को उसी गति में चला कर, उनका मिलान कराया और तीनों में वही बयान आया। तीनों की फुटेज में कोई अंतर नहीं था। (इनमें से कुछ फुटेज अब यूट्यूब पर उपलब्ध नहीं है) ये चैनल थे, 1st India राजस्थान, ABP गंगा (यूपी-उत्तराखंड) और News 18 – यूपी/उत्तराखंड।
ये आपत्तिजनक वाक्य, उस वीडियो बाइट के अंत में आता है, जिसमें योगी आदित्यनाथ वैक्सीन के बारे में बात करते हैं। लेकिन एजेंसी ने जो वीडियो दोबारा जारी किया है और जिसको भाजपा नेता और कई पत्रकार – असली वीडियो बता रहे हैं।
इस वीडियो और पिछले – हटा दिए गए वीडियो में कुछ अंतर साफ हैं, जो कोई भी देख कर समझ सकता है। यानी कि वीडियो पुनः शूट किया गया है। उदाहरण के लिए;
- नए वीडियो में ANI के माइक पर लाइट की चमक (Glare) आ रही है, जबकि पुराने वीडियो में वो नहीं है।
- पहले वीडियो में माइक की पोज़ीशन, सीएम के कॉलर बोन के नीचे के हिस्से पर है, जबकि नए वीडियो में माइक बिल्कुल सीने के बीच, कुर्ते के बटन के नीचे है।
- सीएम के पीछे, सेंटर की संभवतः उनकी ख़ुद की तस्वीर, जिस स्पेस में दिख रही है..उससे भी साफ है कि दोनों वीडियो अलग हैं।
लेकिन इसके अलावा एक और अंतर है, जो साफ कर देता है कि नया वीडियो संभवतः दोबारा ही शूट किया गया है।
नए वीडियो में मुख्यमंत्री केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की बात नहीं करते हैं – जबकि पिछले वीडियो में करते हैं। पहले आए वीडियो में, जो कि आप देख-सुन सकते हैं, सीएम – प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्रालय और वैज्ञानिकों का वैक्सीन के लिए आभार प्रकट करते हैं। लेकिन दूसरे वीडियो में वे स्वास्थ्य मंत्रालय का नाम नहीं लेते।
इसके अलावा हमने पहले वीडियो को, बार-बार स्लो मोशन में लिप सिंक (होंठों की गति और उच्चारण) को मैच करा कर देखा। साथ ही सामान्य गति में भी। हमने पाया कि इस वीडियो में किसी तरह का फ्रेम या साउंड फ्रेम या आवृत्ति का मिसमैच नहीं है।
निष्कर्ष
ये वीडियो कम से कम 3 चैनलों पर तो हमारी फैक्ट चेक जांच में ही चला है। तो;
1. अगर ये वीडियो एडिटेड है, तो या तो इन चैनल्स की फुटेड एडिटेड है।
2. क्या तीनों ही चैनल कोई एडिटेड वीडियो, लाइव कह कर चला रहे थे?
3. कम से कम ये तीन चैनल, लाइव फीड या प्लेआउट – ANI से ले रहे थे, जहां से ये रॉ फीड प्रसारित हुई, जिसे संभवतः जस का तस प्रसारित किया गया है।
4. तो क्या एजेंसी से एडिटेड वीडियो प्रसारित किया गया?
5. न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने अपने ट्विटर एकाउंट से पहले वीडियो के ट्वीट को हटाकर, नया ट्वीट किया, जिसमें अंतिम हिस्सा नहीं है और एजेंसी की ओर से कहा गया है कि पुराने वीडियो को Retract (खंडन/रद्द/वापस लेना) किया गया है। लेकिन ये नहीं बताया गया है कि क्या खंडन है और स्पष्ट है कि पिछले वीडियो को खारिज नहीं किया गया है।
6. इसके अलावा, नए और पुराने वीडियो में कई सारी असमानताएं हैं। यहां तक कि सीएम द्वारा दिए गए बयान में भी अंतर है। इससे ये ही संकेत मिलता है कि ये पुराना वीडियो नहीं है।
दिलचस्प ये है कि नेताओं की बदज़ुबानी को लगातार मुद्दा बनाने वाला मुख्यधारा का मीडिया, इस ख़बर पर चुप्पी साधे बैठा रहा। इस वीडियो के ऑन एयर चलने के बाद भी, इस पर न तो निंदा की गई, न भर्त्सना और न ही ये कहीं ख़बर थी। एएनआई ने भी इस वीडियो को हटाकर खारिज करने की कोशिश की, जैसे की कुछ हुआ ही न हो। साथ ही, कई चैनल्स के यूट्यूब चैनलों पर अब ये वीडियो आपको मिलेगा ही नहीं। जबकि ये सवाल होना बेहद अहम है कि पूरे प्रदेश, देश और सभी को संस्कारों का पाठ देते रहने वाले यूपी के सीएम की भाषा कैमरे के बंद होते ही क्या वाकई ऐसी है? अगर ये वीडियो सच है, तो फिर…आगे हम क्या कहें?
मीडिया विजिल ने जो जांच की है, वह उपलब्ध वीडियोज़ के आधार पर की है और उसके अलावा किसी तरह के वीडियो के लिए ये सत्यापन लागू नहीं होगा।
Media Vigil ने इस वीडियो में प्रयुक्त आपत्तिजनक भाषा को जानबूझ कर, इसलिए हटाया, म्यूट किया या ब्लीप नहीं किया है, जिससे कि आप समझ सकें कि हमने स्लो मोशन और सामान्य गति में वीडियो की जांच कैसे की है…