मशहूर पर्यावरणविद् और चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा का आद दोपहर 94 साल की अवस्था में निधन हो गया। वे कोरोना से संक्रमित होकर 8 मई से ऋषिकेश के आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे। उन्हें 2009 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।
उनके शरीर के शांत होने के कुछ देर पहले उनके बेटे और मशहूर पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा ने एक तस्वीर के साथ उनकी स्थिति की जानकारी फ़ेसबुक पर पोस्ट की थी।
उनके निधन पर विभिन्न राजनेताओं और दलों ने शोक व्यक्त किया है। अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने इस संबंध में शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। संगठन की ओर से भेजी गयी विज्ञप्ति में कहा गया है कि किसानों और जनांदोलनों ने अपना सच्चा साती खो दिया है। सुंदरलाल बहुगुणा ने युवावस्था में टिहरी राजशाही के खिलाफ चले प्रजामण्डल आंदोलन से जन आंदोलनों में अपनी शिरकत शुरू की। उसके बाद उन्होंने जल, जंगल, जमीन पर जनता के अधिकार की लड़ाई में सात दशक तक सक्रिय भागीदारी की। चिपको आंदोलन और टिहरी बांध के खिलाफ दशकों तक चले किसान आंदोलनों में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका कभी भुलायी नहीं जा सकती। सुंदरलाल बहुगुणा का जाना उत्तराखण्ड और पूरी दुनिया में जन आंदोलनों के लिए एक बड़ी क्षति है। किसानों ने अपना एक सच्चा साथी खो दिया है।