जबलपुर मेडिकल कॉलेज से, पुलिस सुरक्षा के बीच ‘कोरोना पीड़ित क़ैदी’ फ़रार

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जी, इस ख़बर का शीर्षक देख कर हैरान मत होइए-यहां कोरोना पीड़ित क़ैदी ही लिखा है। जबलपुर में एक परेशान कर देने वाली घटना में एक कोरोना पीड़ित क़ैदी, जबलपुर मेडिकल कॉलेज के आईसोलेशन वॉर्ड से फरार हो गया। मामला जु़ड़ा हुआ है, इंदौर में डॉक्टर्स की टीम पर हमले की घटना से, जिससे जुड़े एक अभियुक्त को जब हिरासत में भेजने से पहले कोरोना पॉज़िटिव पाया गया था। मामले में पुलिस पर अब गंभीर लापरवाही के आरोप लगे हैं।

इंदौर के चंदन नगर में, डॉक्टर्स की टीम पर हमले के आरोपी जावेद को, 3 अन्य आरोपियों के साथ जबलपुर जेल भेजा गया था। जबलपुर जेल के अधीक्षक ने जब बाकी क़ैदियों और स्टाफ की सुरक्षा के मद्देनज़र इन आरोपियों को जेल में हिरासत के लिए रखने से पहले कोविड 19 टेस्ट के लिए भेजा – तो जावेद ख़ान का सैंपल कोरोना पॉज़िटिव मिला था। इसके बाद, जावेद ख़ान को मेडिकल कॉलेज में आईसोलेशन वॉर्ड में रखा गया। 11 अप्रैल को आईसोलेशन वॉर्ड में भेजे जाने के 1 हफ़्ते बाद ही, जावेद कड़ी सुरक्षा के बीच से ही फ़रार हो चुका है।

जावेद जिस आईसोलेशन वॉर्ड में था, वहां पर ताला लगा होने की बात सामने आ रही है। सूत्रों की मानें तो जावेद ये ताला तोड़ कर, फ़रार हुआ है। ऐसे में दो सवाल उठ रहे हैं – पहला ये कि आख़िर बिना किसी बाहरी मदद के वह, ताला तोड़ कर कैसे फ़रार हो सकता है और दूसरा ये कि पुलिस की टीम, जिसे इस वॉर्ड और जावेद की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था, वह क्या कर रही थी?

जावेद के फ़रार होने के तुरंत बाद, सबसे पहले इस घटना को दबाने की कोशिश हुई और जैसे ही ये ख़बर फैलने लगी – जावेद की सूचना देने के लिए पुलिस ने 10 हज़ार रुपए के ईनाम का एलान कर दिया। रात तक ये ख़बर देश भर में फैल जाने के बाद, देर रात हाउस स्टेशन इंचार्ज और 4 गार्ड्स को निलंबित कर दिया गया है।

मीडिया विजिल ने जबलपुर के पुलिस अधीक्षक और अस्पताल प्रबंधन से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने भी इस मामले पर, हमको कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ख़बर लिखे जाने तक फ़रार आरोपी पकड़ा नहीं जा सका था। बताया जा रहा है कि आईसोलेशन वॉर्ड के बाहर, जो ताला लगा था – उसे केवल स्टाफ ही खोलता था।