आज़मगढ़ में दलित उत्पीड़न के ख़िलाफ़ कांग्रेस का उपवास सत्याग्रह जारी, 12 को दलित पंचायत


कांग्रेस के बारे में कहा जा रहा है कि उसका संगठन कमज़ोर है और चुनाव में वह मुख्य लड़ाई में नहीं है, लेकिन सच्चाई ये है कि चाहे कोरोना काल में मज़दूरों का पलायन रहा हो या किसानों से लेकर अल्पसंख्यकों और दलितों का उत्पीड़न, कांग्रेस ही सबसे ज़्यादा सड़क पर लड़ती नज़र आ रही है।


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आज़मगढ़ के पलिया में दलितों के पुलिसिया उत्पीड़न के खिलाफ कांग्रेस के धरने का आज पाँचवा दिन है। इस बीच कल उपवास पर बैठे कांग्रेस नेता मंजीत की हालत बिगड़ गयी तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

कांग्रेस के प्रदेश संगठन सचिव अनिल यादव अभी भी उपवास पर हैं। इस सत्याग्रह उपवास का ही नतीजा है कि रौनापार के सीओ को हटा दिया गया है और प्रशासन तमाम मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कर रहा है। पीड़ितों को मुआवज़ा भी देने की बात हो रही है।

दरअसल 29 जून को पलिया में कई दलित परिवारों का घर पुलिस ने तोड़ दिया था। इसके बाद कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया। पहले तो गाँव में ही धरना दिया गया, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की तो फिर ज़िला मुख्यालय पर उपवास शुरू हो गया है। आज़मगढ़ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र है, लेकिन उनका अब तक पीड़ितों से मिलने न जाना चर्चा में है। कांग्रेस ने इसे समाजवादी पार्टी के दलित विरोधी रवैये के रूप में चिन्हिंत किया है। पार्टी के दलित प्रकोष्ठ से लेकर अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ तक इस मुद्दे पर सक्रिय है। कल प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने भी धरना स्थल पर पहुँचकर अनिल यादव और दूसरे सत्याग्रहियों का सम्मान किया। (मुख्य तस्वीर)

यही नहीं, कांग्रेस की ओर से 12 जुलाई को आज़मगढ़ में दलित पंचायत भी आयोजित की जा रही है जिसमें महाराष्ट्र के मंत्री नितिन राउत, पीएल पुनिया और उदितराज जैसे पार्टी के बड़े नेता संबोधित करेंगे।

कांग्रेस के बारे में कहा जा रहा है कि उसका संगठन कमज़ोर है और चुनाव में वह मुख्य लड़ाई में नहीं है, लेकिन सच्चाई ये है कि चाहे कोरोना काल में मज़दूरों का पलायन रहा हो या किसानों से लेकर अल्पसंख्यकों और दलितों का उत्पीड़न, कांग्रेस ही सबसे ज़्यादा सड़क पर लड़ती नज़र आ रही है।

पार्टी की महासचिव प्रियंका गाँधी यूपी की प्रभारी हैं। कहा जा रहा है कि जल्द ही वे कुछ चौंकाने वाले फ़ैसले ले सकती हैं जो यूपी की राजनीति में उलट-पलट कर सकता है।