गणतंत्र दिवस पर लालकिले में हुई हिंसा के लिए कांग्रेस ने सीधे मोदी सरकार को ज़िम्मेदार बताते हुए गृहमंत्री अमित शाह का इस्तीफ़ा माँगा है। कांग्रेस ने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने के लिए खुद सरकार ने साज़िश की वरना लाल किले पर झंडा फहरा रहे मुट्ठी भर लोगों को रोकने के बजाय पुलिस चुपचाप कुर्सियों पर बैठी न रहती।
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आज शाम प्रेस कान्फ्रेंस करके कहा कि दिल्ली हिसा के लिए सीधे गृहमंत्री अमित शाह ज़िम्मेदार हैं और अगर वे इस्तीफा़ न दें तो पीएम मोदी उन्हें बरखास्त करें वरना माना जायेगा कि इस साज़िश में वे भी शामिल हैं। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि तीस-चालीस ट्रैक्टर लेकर लोग लालकिले में कैेसे घुस गये। लाल किला देश की आज़ादी का प्रतीक है। पाँच-सात सौ हिंसक तत्व यहाँ घुस कर झंडा कैसे फहरा सकते हैं। बीजेपी के साथ काम करने वाले दीप सिद्धू और उसके साथियों को लाल किले तक जाने की इजाज़त कैसे दी गयी। पुलिस बैठकर तमाशा देख रही थी और टीवी कैमरों का मुँह लालकिले की ओर था। यह सब बताता है कि आंदोलन को बदनाम करने के लिए हिंसा कराने की साज़िश रची गयी।
सुरजेवाला ने कहा कि अब तक 178 किसान शहीद हो चुके हैं। अगर उन्हें हिंसा करनी होती तो 63 दिन से अहिंसक तरीके से क्यों बैठे होते। क्या किसी चैनल ने गृहमंत्री से भी सवाल किया? क्या हिंसा का वातावरण किसान आंदोलन को बदनाम करने की मोदी सरकार की साज़िश नहीं है? शाहीन बाग़ से लेकर जेएनयू तक क्या ऐसा ही नहीं किया गया? किसान आंदोलन में अगर कोई हिंसक तत्व घुस गये तो ज़िम्मेदार कौन है?
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर जो हुआ, उससे किसको फायदा और किसको नुकसान हुआ? किसानों को मिल रहे देशव्यापी समर्थन को विरोध में बदलने की कोशिश क्या सरकार नहीं कर रही थी? देश इन बिंदुओं का जवाब मोदी और अमित शाह से माँगता है? कल जो हुआ, वह आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश है जिसे मोदी सरकार का समर्थन और संरक्षण प्राप्त है।
सुरजेवाला ने कहा कि कृषि कानून तत्काल वापस हों। सरकार अब तक वार्ता का नाटक कर रही थी। किसान शांति चाहता है। वह खाद्य सुरक्षा भी चाहता और सीमा की सुरक्षा भी। मोदी सरकार समाधान करे और तीनों कृषि कानून तो वापस ले। यही राजधर्म है। यही राष्ट्रप्रेम भी है।