हाथरस में एक दलित युवती के साथ हुए बर्बर गैंपरेप और हत्या की ख़बर को योगी प्रशासन से लेकर प्रिंट और टीवी मीडिया का बड़ा हिस्सा शुरू में झूठ बताने पर तुला था। प्रशासन ने रातो रात पीड़िता की लाश भी जलवा दी थी लेकिन आज सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में साफ़ तौर पर गैंगरेप और हत्या की बात कही है। साथ ही चारों आरोपितों के ख़िलाफ़ दलित उत्पीड़न की धाराएँ भी लगाई गयी हैं।
हाथरस के एक गाँव में बीती 14 सितंबर को एक दलित युवती के साथ गाँव के ही ऊंची जाति के चार युवकों गैंगरेप किया था। युवती की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार की मंजूरी के बिना पुलिस-प्रशासन ने तुरत–फुरत युवती का खुद ही गाँव के बाहर दाह–संस्कार कर दिया था। आखिरकार तीन महीने बाद शुक्रवार को मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम ने सीबीआई टीम ने चारों आरोपितों संदीप, लवकुश, रवि और रामू के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। उनके खिलाफ गैंगरेप–हत्या की धाराओं के अलावा एससी/एसटी ऐक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं। चारो आरोपित न्यायिक हिरासत में हैं।
सीबीआई ने जांच के दौरान आरोपितों का कई तरह का फरेंसिक टेस्ट किया था। इसके अलावा जांचकर्ताओं ने जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल के डॉक्टरों से भी बातचीत की जहां गैंगरेप पीड़िता का इलाज कराया गया था।
ख़ास बात है कि यूपी पुलिस ने पहले गैंगरेप की थ्योरी को खारिज कर दिया था। गोदी मीडिया ने किंतु-परंतु लगाते हुए तमाम ख़बरें छापीं और दिखायीं। इस मुद्दे पर ऊंची जाति की पंचायत भी हुई जिससे सामाजिक तनाव की स्थिति बनी। पीड़ित परिवार को मदद करने जबलपुर से आईं एक दलित महिला डाक्टर को नक्सली बताने का अभियान चला। इस सबसे योगी आदित्यनाथ सरकार की साख काफी कमज़ोर हुई। सीबीआई की चार्जशीट ने उसे और कमज़ोर कर दिया है।
पढ़ें–
हाथरस में अमीर की बेटी होती तो क्या यूँ ही फूँका जाता शव- हाईकोर्ट