यक़ीन करना मुश्किल है, लेकिन यूपी के योगीराज में कुछ भी मुमकिन है। क्या आप यक़ीन करेंगे कि योगी सरकार की नज़र में तीन और छह साल के बच्चे भी अपराधी हो सकते हैं, उन पर मुक़दमा चलाया जा सकता है..लेकिन यूपी में पुलिस प्रशासन चरम अमानवीयता का व्यवहार कर रहा है।
ऊपर की दोनों तस्वीरें सीतापुर के सीपीआईएमएल ज़िला सचिव कॉमरेड अर्जुन लाल के पोते अभिनव सिंह बौद्ध और हिमांशु सिंह बौद्ध की हैं। अभिनव की उम्र तीन साल और हिमांशु की छह साल है। 5 दिसंबर को पूरे देश में किसान आंदोलन के समर्थन में विरोध दिवस मनाया गया था। दिल्ली घेर कर बैठे किसान संगठनों की ओर से पूरे देश में इस दिन पीएम मोदी और अंबानी-अडानी समेत कॉरपोरेट जगत का पुतला फूँकने का ऐलान किया गया था। इसी के तहत सीतापुर में भी पुतला फूँका गया। सदर तहसील के थाना हरगाँव के गाँव रिक्खी पुरवा में अर्जुन लाल का घर है जहाँ पार्टी के तमाम लोगों ने पुतला फूँका और सरकार के ख़िलाफ़ नारे लगाये। अर्जुन लाल का पूरा परिवार इसमें शामिल था। दोनों नन्हें कॉमरेड भी परिवार के साथ लाल झंडा थामे खड़े थे।
बाद में नन्हें कॉमरेडों का यह वीडियो वायरल हुआ और प्रशासन हरक़त में आ गया। पुतला फूँकने वालों के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज कर दिया गया। इस लिस्ट में नन्हें कॉमरेडों का भी नाम है। धारा 188,269,270,3 महामारी अधिनियम एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है (मुक़दमा अप. संख्या 599/20)।
कॉमरेड अर्जुन लाल ने मीडिया विजिल को बताया कि पुतला जलाना राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम था। यह लोकतांत्रिक आंदोलनों का हिस्सा रहा है। लेकिन यूपी की योगी सरकार तानाशाही पर उतर आयी है। उसे बरदाश्त ही नहीं कि कोई उसकी सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाये। पुतला फूँकने के आरोप में तमाम ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ भी मुकदमा दर्ज कराया गया है जो मौक़े पर मौजूद भी नहीं थे। हद तो ये है कि बच्चों को भी नहीं छोड़ा गया।
वाक़ई यह अजीब बात है कि जो उत्तर प्रदेश लोकतांत्रिक आंदोलनों का गढ़ रहा है। जहाँ धरना, प्रदर्शन और पुतला फूँकना या काला झंडा दिखाना सामान्य बात समझी जाती थी, वह योगीराज में अपराध हो गया है। हालाँकि ख़ुद बीजेपी भी इन्हीं का सहारा लेकर सत्ता तक पहुँची है।