उत्तर प्रदेश में हुए 69,000 शिक्षक भर्ती घोटाले के ख़िलाफ़ आंदोलन जोर पकड़ रहा है। छात्रों ने 2 जुलाई को परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) कार्यालय पर प्रदर्शन का ऐलान किया है। छात्रों का कहना है कि वो 15 महीने से परेशान हैं लेकिन सरकार नौजवानों की बात नहीं सुन रही है और भ्रष्टाचार के आरोपियों को गिरफ़्तार करने के बजाय बचाने का कार्य कर रही है। छात्रों का कहना है कि शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोपियों के रिश्ते सरकार के मंत्रियों के साथ खास हैं, इसीलिए सरकार पूरी ताकत के साथ भ्रष्टाचार के सवाल को दबाना चाहती है। लेकिन नौजवान पीछे नहीं हटेगा और पीएनपी कार्यालय पर प्रदर्शन कर अपनी मांगों को बुलंद करेगा।
न्याय मोर्चा उत्तर प्रदेश के संयोजक सुनील मार्य ने छात्र-युवा और सामाजिक संगठनों से भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई में शामिल होने की अपील की है। सुनील मार्य ने कहा कि 69,000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ, भर्ती परीक्षा रद्द करने व सीबीआई जांच की मांग को लेकर परीक्षा के दिन से ही विरोध शुरू हो गया था। 7 जनवरी से लगातार दो महीने पीएनपी पर धरना प्रदर्शन भी हुआ। परीक्षा रद्द की मांग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दो याचिकाएं भी दायर हुईं। 12 मई 2020 को लिखित परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया। इस परीक्षा में कुल 1,46,060 कैंडिडेट पास हुए। यानी रिक्त पदों की संख्या 69 हजार के दो गुने से भी ज्यादा।
सुनील मौर्य ने कहा कि 69,000 शिक्षक भर्ती में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार 6 मई 2020 को उजागर हुआ। जिसमें कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और कई लोग अभी फरार चल रहे हैं। इसकी जांच उत्तर प्रदेश पुलिस से हटाकर एसटीएफ को सौंप दी गई है। एसटीएफ के द्वारा भ्रष्टाचार उजागर करने के बजाय लीपापोती साफ साफ दिखाई दे रही है, जिन व्यक्तियों का नाम इस भ्रष्टाचार में आ रहा है वह अब तक पकड़े नहीं जा सके हैं। इसलिए परीक्षा की सीबीआई जांच को लेकर लगातार प्रतियोगियों द्वारा सोशल मीडिया पर अपील की जा रही है। लॉकडाउन की वजह से उत्तर प्रदेश का युवा सरकार के निर्देशन का पालन करते हुए सड़कों पर नहीं आ रहा है, क्योंकि वैश्विक कोरोना वायरस पर भी विजय पाना है। साथ ही साथ भ्रष्टाचार को भी समाप्त करने के लिए प्रयास करना है।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय द्वारा 69,000 शिक्षक भर्ती संपन्न कराई गई, इसमें एक ही सेंटर पर एक ही कक्षा के एक क्रम में सभी परीक्षार्थियों का पास होना इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि विद्यालय में सामूहिक नकल करायी गयी। यह मामला केवल एक ही विद्यालय का नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश के कई विद्यालयों का है। इस्लामिया मजीदिया इंटर कॉलेज प्रयागराज और बाल विद्या भारती प्रयागराज सहित आजमगढ़, सुल्तानपुर, जौनपुर, अंबेडकरनगर, मेरठ, वाराणसी तथा फैजाबाद के विद्यालय में इस तरह के मामले साफ तौर पर दिख रहे हैं। इतना ही नहीं इस भर्ती में एक ही परिवार के सभी सदस्यों का एक समान अंक लाना और भी कई सवाल खड़े करता है।
सनील मार्य ने कहा कि सरकार भर्ती प्रक्रिया को शीघ्र पूरा कर लेना चाहती हैं। लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त दोषियों को गिरफ़्तार नहीं कर पा रही है। जिन विद्यार्थियों ने टीईटी परीक्षा में बड़ी मुश्किल से 82 नंबर हासिल किए हैं, वही 20 दिन की तैयारी में 140, 141, 142 ,143 नंबर तक हासिल किए हैं। जिससे रात-दिन मेहनत करने वाले युवाओं में बड़ी निराशा है। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश के कोई भी कोचिंग संचालक इस बात की जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं कि जो प्रतियोगी 69,000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में सबसे उच्च अंक प्राप्त किया है, वह मेरे संस्थान का है। छात्रों की माने तो ऐसे टॉप करने वाले प्रतियोगी छात्र किसी भी शैक्षणिक संस्था से संबंध नहीं रखते हैं बल्कि स्वरोजगार में वर्षों से लगे हुए हैं।
उन्होने कहा कि आपके संज्ञान में यह लाना बहुत जरूरी है कि परीक्षा से पूर्व ही यूट्यूब, व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर परीक्षा से जुड़ी उत्तर कुंजी वायरल हो चुकी थी, जिसको लेकर के परीक्षा के दिन ही छात्रों ने जमकर प्रदर्शन किया, लेकिन उसको संज्ञान में नहीं लिया गया। न्यायालय में मामला चल रहा है और उत्तर प्रदेश के असहाय योग्य शिक्षित और मेहनतकश युवा आज हताशा और निराशा में जी रहा है।
न्याय मोर्चा उत्तर प्रदेश के सह संयोजक सुमित गौतम व उदय भान चौधरी ने कहा कि सरकार को इस भर्ती में जांच कराने से क्या परेशानी है, जबकि जांच कराने से भर्ती में व्यापक भ्रष्टाचार का खुलासा होना तय है। इतना ही नहीं परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय द्वारा जो परीक्षा 6 जनवरी 2019 को संपन्न कराई गई, उसमें हजारों से अधिक छात्रों ने अपनी बुकलेट सीरीज का गलत विवरण छायांकित किया है। उदाहरण के तौर पर परीक्षा में जिस अभ्यर्थी को ए सीरीज मिली थी, उसने 150 प्रश्नों की उत्तर कुंजी के आधार पर बी सी डी सीरीज को अंकित किया है और उनका रिजल्ट भी घोषित कर दिया गया है।
छात्रों ने कहा कि सरकार से निवेदन है कि 69,000 शिक्षक भर्ती की सीबीआई जांच कराने के बाद ही सरकार आगे की कार्यवाही करे। जिससे योग्य युवाओं के भविष्य के साथ भद्दा मजाक ना हो सके और योग्यता भी जिंदा रहे। हम सभी चाहते हैं कि इस भर्ती की पूरी तरह से जांच कराने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाए।
न्याय मोर्चा के नेताओं ने कहा कि 69,000 ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा एलटी जीआईसी की परीक्षा में भी व्यापक स्तर पर धांधली हुई है। जिसको लेकर के पूर्व परीक्षा नियंत्रक अंजू कटिहार तथा प्रिंटिंग प्रेस संचालक कौशिक कुमार सहित सैकड़ों लोग जेल में हैं। फिर भी सरकार ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। उत्तर प्रदेश के युवाओं को इस पूरे मामले को संज्ञान में लेकर लड़ाई में सहयोग व समर्थन देना चाहिए। जिससे उत्तर प्रदेश का युवा भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की लड़ाई को मजबूती से लड़ सके।
आंदोलन कर रहे छात्र-छात्राओं की मांगे-
1- 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में व्यापक भ्रष्टाचार को देखते हुए भर्ती परीक्षा रद्द की जाए
2- पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जाए
3- भ्रष्टाचार में लिप्त दोषियों को गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए
4- परीक्षा में व्यापक अनियमितता और भ्रष्टाचार के जिम्मेदार पीएनपी सचिव व बेसिक शिक्षा मंत्री इस्तीफा दें