योगी आदित्यनाथ सरकार का एक और प्रचार वीडियो विवादों में आ गया है। लेखपाल दुर्गेश चौधरी के बाद अब ताजा वीडियो मोहम्मद रियाज का है जिसे 6 मार्च को मुख्यमंत्री के ऑफिस के ट्विटर हैंडल @myogioffice से जारी किया गया है। इस वीडियो में गोरखपुर के रहने वाले रियाज़ कहते हैं कि उन्हें पैसे कमाने के लिए गांव से बाहर नहीं जाना पड़ा, उन्हें गांव में ही रोज़गार मिल गया। रियाज़ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देते हुए कर रहे हैं कि उनकी सरकार की योजनाओं से उन्हें बहुत फ़ायदा मिला।
इस वीडियो को को ट्विटर पर शेयर करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय ने लिखा है कि ‘रोजगार का हब बन रहा उत्तर प्रदेश, अब नहीं जाना पड़ रहा दूसरे प्रदेश या विदेश। सुनें, लखनऊ के निवासी मो. रियाज जी की कहानी, उन्हीं की जुबानी…’
रोजगार का हब बन रहा उत्तर प्रदेश
अब नहीं जाना पड़ रहा दूसरे प्रदेश या विदेशसुनें, लखनऊ के निवासी मो. रियाज जी की कहानी, उन्हीं की जुबानी… pic.twitter.com/USMGr8rdl2
— Yogi Adityanath Office (@myogioffice) March 6, 2021
लेकिन इस वीडियो को लेकर पूर्व IAS अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने यूपी सरकार पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने रियाज से फोन बात की, जिसमें वो कह रहा है कि वो पोल्ट्रीफार्म का मालिक है, जिसके लिए उसे समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान लोन मिला था ना कि वर्तमान योगी सरकार के दौरान।
https://twitter.com/suryapsingh_IAS/status/1370341391595827200
इसके पहले लेखपाल दुर्गेश चौधरी का वीडियो इस ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया था। जिसको लेकर युवा नेता अनुपम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेर लिया था। मुख्यमंत्री कार्यालय को दबाव में आकर अपना ही ट्वीट डिलीट करना पड़ गया। दरअसल मुख्यमंत्री कार्यालय ने बुधवार को एक वीडियो जारी करके ये दिखाने की कोशिश की थी कि प्रदेश में पूर्ण पारदर्शिता और समयबद्ध ढंग से राजस्व लेखपाल की भर्ती हुई है। लेकिन देश में रोज़गार को बड़ा मुद्दा बनाने वाले ‘युवा हल्ला बोल’ संस्थापक अनुपम ने मुख्यमंत्री के इस दावे पर ही सवाल कर दिया।
अनुपम के सवाल करते ही भारी संख्या में युवाओं ने मुख्यमंत्री को सोशल मीडिया पर ट्रोल करना शुरू कर दिया। अगले दिन जब दुबारा अनुपम ने मुख्यमंत्री योगी से स्पष्टीकरण मांगा या ट्वीट डिलीट करने को कहा तो कुछ ही देर में मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से ट्वीट डिलीट कर दिया गया। इसके बाद विपक्ष भी सक्रिय हो गयी और मुख्यमंत्री के दावे को झूठा बताया।
https://twitter.com/AnupamConnects/status/1369907107835703299
असल में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ऐसी कोई भर्ती निकली ही नहीं है। जिस लेखपाल दुर्गेश चौधरी के वीडियो को मुख्यमंत्री ने जारी किया वो पिछली अखिलेश सरकार में ही नौकरी पा चुका था। फिर भी सीएम योगी ने जनता को गुमराह करने और भ्रम फैलाने की कोशिश की। लेकिन अनुपम के हस्तक्षेप के कारण यूपी सरकार को पीछे हटना पड़ा और अंततः सच सबके सामने आ गया। महराजगंज के जिस दुर्गेश चौधरी का वीडियो मुख्यमंत्री ने जारी किया था, वो मीडिया से बचते हुए नेपाल भाग गया। अनुपम ने तंज कसते हुए कहा है कि पहले सरकार जब किसी कुख्यात अपराधी का पीछा करती थी तो वो नेपाल भागता था, लेकिन अब सरकार जब किसी लेखपाल का वीडियो ट्वीट कर देती है तो उसे नेपाल भागना पड़ता है।
गजब टाइम आ गया है भाई!
• पहले की सरकार जब किसी कुख्यात का पीछा करती थी, तो वो बचने के लिए नेपाल भाग जाता था
• अब की सरकार जब किसी लेखपाल का वीडियो ट्वीट कर देती है, तो उसे बचने के लिए नेपाल भागना पड़ता है
क्या आप समझते हैं कि ये कितनी गंभीर चिंता का विषय है?#योगी_सच_बोलो
— Anupam | अनुपम (@AnupamConnects) March 11, 2021
अनुपम ने पहले भी उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पर रोज़गार के नाम पर सिर्फ प्रचार करने का आरोप लगाया था। पिछले महीने लखनऊ में हुई प्रेस वार्ता में अनुपम ने सीएम योगी के चार साल में चार लाख नौकरी देने के दावे पर सवाल उठाए थे और ढाई करोड़ रोज़गार को लेकर भी स्पष्टीकरण मांगा था। तब से ही उत्तर प्रदेश सरकार हरकत में है और लगातार अपने काम का प्रचार कर रही है। लेकिन अब सरकार के प्रचार पर भी ‘युवा हल्ला बोल’ समेत प्रदेश के युवाओं की पैनी नज़र है।
दुर्गेश चौधरी प्रकरण से सबसे बड़ी बात ये पता चली है कि सरकारी नौकरियों पर बड़े बड़े दावे करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार के पास दिखाने को अपना कुछ है ही नहीं। एक व्यक्ति मिला “पारदर्शी और समयबद्ध भर्ती” का नमूना पेश करने के लिए, और वो भी अपने कार्यकाल का नहीं था। आश्चर्य की बात है कि चार साल में चार लाख नौकरी देने का दावा करने वाली सरकार चार ऐसे लोगों का वीडियो नहीं दिखा पा रही जिसको उनके कार्यकाल में नौकरी मिली हो।
अनुपम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निवेदन किया कि, “जितना ध्यान आप वीडियो बनाने, पोस्टर डिजाइन करवाने, मीडिया मैनेजमेन्ट और प्रचार तंत्र में लगा रहे हैं.. उतना ही ध्यान अगर अटकी हुई भर्तियों को जल्द पूरा करने और रिक्त पदों को भरने में लगाते तो युवाओं में आपके प्रति अविश्वास नहीं पनपता।”
दुर्गेश चौधरी प्रकरण से सबसे बड़ी बात ये पता चली कि सरकारी नौकरियों पर बड़े बड़े दावे करने वाली यूपी सरकार के पास दिखाने को अपना कुछ है ही नहीं?
एक व्यक्ति मिला "पारदर्शी और समयबद्ध भर्ती" का नमूना पेश करने के लिए, और वो भी आपके अपने कार्यकाल का नहीं था?https://t.co/SA9wYXgqHL pic.twitter.com/ZGzKv1i17r
— Anupam | अनुपम (@AnupamConnects) March 11, 2021
बता दें कि योगी सरकार इन दिनों ‘काम दमदार-योगी सरकार’ नाम से अभियान चला रही है। जिसमें दावा किया जा रहा है कि 4 साल में 4 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई है। इसी अभियान के तहत ये वीडियो भी जारी किये गये हैं।