पेगासस जासूसी मामला बेहद गंभीर, सच्चाई सामने आनी चाहिए-सुप्रीम कोर्ट


पेगासस जासूसी मामले की जाँच के लिए दायर नौ याचिकाओं की सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन.वी.रमना ने बेहद अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “अगर रिपोर्ट सही है तो इसमें कोई संदेह नहीं कि आरोप गंभीर हैं। सच्चाई सामने आनी चाहिए। हमें नहीं पता कि इसमें किसके नाम हैं।”


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पेगासस जासूसी मामले की जाँच के लिए दायर नौ याचिकाओं की सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन.वी.रमना ने बेहद अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “अगर रिपोर्ट सही है तो इसमें कोई संदेह नहीं कि आरोप गंभीर हैं। सच्चाई सामने आनी चाहिए। हमें नहीं पता कि इसमें किसके नाम हैं।”

अदालत में पीड़ितों की ओर से एफआईआर न कराने और 2019 में पेगासस मुद्दा सामने आने के बाद अब याचिकाएँ दायर होने से जुड़े सवाल उठने पर वरिष्ठ पत्रकार एन.राम और शशि कुमार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पेगासस हमले की सीमा के बारे में जानकारी अभी मिली है। केवल सरकारें ही पेगासस ख़रीद सकती हैं। सिब्बल ने पेगासस लक्ष्यों की संभावित सूची में न्यायपालिका के सदस्यों के शामिल होने की संवेदनशील रिपोर्टों का भी ज़िक्र करते हुए कहा कि इसमें एक व्यापक जाँच की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि इस सूची में वकीलों, सार्वजनिक हस्तियों, संवैधानिक अधिकारियों, एक्टिविस्ट आदि हैं जैसे वे आतंकवादी हैं।

कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि पेगासस स्पाइवेयर फोटो और वीडियो भी ले सकता है। “इसका मतलब है कि अगर मैं अपने निजी क्षणों में घूमता हूं, तो वे मुझे देख सकते हैं। वे मेरा कैमरा, मेरा माइक सक्रिय कर सकते हैं,” उन्होंने अदालत से याचिका पर नोटिस जारी करने का आग्रह करते हुए आरोप लगाया।

वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने कहा कि लक्षित व्यक्तियों के नाम 2019 में ज्ञात नहीं थे। नामों का पता एक अतंरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा फ़ोरेंसिक विश्लेषण के बाद पता चला। सीपीआईएम के राज्य सभा सदस्य जॉन ब्रिटास की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने याद दिलाया कि पूर्व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि कोई अनधिकृत निगरानी नहीं थी। उन्होंने कहा कि अब जब यह बात साफ़ हो गयी है कि जासूसी की गयी तो फिर जाँच की आवश्यकता स्पष्ट है।

एक्टिविस्ट जगदीप छोकर की ओर से पेश वकील श्याम दीवान ने कहा कि अमेरिका और फ्रांस की सरकारों ने पेगासस कांड की जाँच शुरू कर दी है और इज़रायल सरकार से जवाब मांगा है। इसलिए ये कुछ मीडिया रिपोर्ट नहीं फोरेंसिक परीक्षण से निकली व्यापक जाँच रिपोर्ट हैं।
श्याम दीवान ने कहा कि एक नागरिक को स्पाईवेयर के निशान पर लेना न सिर्फ असंवैधानिक है, बल्कि नागरिक के ख़िलाफ़ सरकार का युद्ध है। उन्होंने कहा कि मामले की एक स्वतंत्र समिति द्वारा उच्चस्तरीय जाँच की जरूरत है। यह जाँच किसी कैबिनेट सचिव स्तर के व्यक्ति से करानी चाहिए जिसकी तमाम मंत्रालयों तक पहुँच हो।

पेगासस मामले में जाँच की माँग करते हुए याचिकाएँ वरिष्ठ पत्रकार एन.राम, शशि कुमार, जॉन ब्रिटास, प्रंजय गुहा ठाकुरता, एसएनएम आब्दी, प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और इप्सा शताक्षी, जगदीप छोकर, नरेंद्र कुमार मिश्र और एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया की ओर से दायर की गयी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकीलों को भारत सरकार को अपनी याचिकाओं की प्रति देने और अगले मंगलवार को सुनवाई के लिए मामला सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।