पूर्व बीएसएफ जवान और लोकसभा चुनाव 2019 में बनारस से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रहे तेज बहादुर यादव की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोटिस जारी किया. बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मोदी के चुनाव को चुनौती दी थी. जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता ने ये नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजने का आदेश दिया है. साथ ही दो अख़बारों में नोटिस प्रकाशित करने को कहा है. कोर्ट ने नोटिस का जवाब 21 अगस्त तक मांगा है.
Allahabad High Court issues notice to PM Narendra Modi in Petition by Tej Bahadur Yadav challenging election from Varanasi @narendramodi @PMOIndia https://t.co/W37uTXuWDw
— Bar and Bench (@barandbench) July 20, 2019
तेज बहादुर यादव समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार थे और चुनाव के समय निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर का नामांकन रद्द कर दिया था.
तेज बहादुर यादव की याचिका पर तर्क देते हुए उनके वकील ने अदालत से कहा कि तेज बहादुर समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान पर थे. नामांकन पत्र में गलत जानकारी देने की बात कहकर नामांकन रद्द कर दिया गया था. उन्हें नामांकन पत्र की आपत्तियों पर जवाब दाखिल करने का वक्त नहीं दिया गया था. जबकि कानून के मुताबिक तेज बहादुर को 24 घंटे का समय मिलना चाहिए था. अदालत में यादव का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील शैलेंद्र और अधिवक्ता धर्मेंद्र सिंह के ने किया. उनकी दलीलें सुनने के बाद जस्टिस एम.के. गुप्ता की बेंच ने मोदी को नोटिस जारी कर दिया.
इससे पहले यादव ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. जिसे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 9 मई को खारिज कर दिया था.
इस तरह चुनाव संबंधी नोटिस पाने वाले मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री बन गये हैं. गौरतलब है कि, इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ही 12 जून, 1975 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 6 सालों के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया था. उस वक्त इंदिरा देश की प्रधानमंत्री थीं. अब देखना यह है कि तेज बहादुर की ओर से किए केस का क्या नतीजा निकलता है.
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