हाथरस पीड़िता के ‘गरिमाहीन’ दाह-संस्कार पर हाईकोर्ट सख़्त, योगी सरकार तलब

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हाथरस गैंगरेप केस में पीड़िता के परिजनों को अंतिम संस्कार का हक़ न देने की ख़बरों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत:संज्ञान लेते हए कहा है कि इस घटना ने उसकी अंतरात्मा को झकझोर दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस जसप्रीत सिंह और जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने तमाम मीडिया रपटों का संज्ञान लेते हुए इसे अत्यंत संवेदनशील मामला बताते हुए यूपी के पुलिस माहनिदेशक, एडीजी (कानून एवं व्यवस्था) के अलावा हाथरस के डीएम और एसपी को नोटिस जारी करके 12 अक्टूबर को अदालत के सामने पेश होने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने इस मामले को ‘सभ्य और गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार के अधिकार’ के तहत स्वत: संज्ञान लिया है।

अदालत ने कहा है, “अखबार की रिपोर्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कार्यक्रम / वीडियो क्लिपिंग से पता चलता है कि परिवार के लोग पीड़िता के शव की मांग करते रहे और उन्होंने अधिकारियों को यह भी बताया कि परंपराओं के अनुसार, सूर्यास्त के बाद और दिन निकलने से पहले दाह संस्कार नहीं किया जा सकता है, फिर भी, जिला प्रशासन ने परंपराओं के विपरीत दाह संस्कार किया।” कोर्ट ने कहा कि अगर ये रिपोर्ट सच हैं, तो यह “भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 25 के तहत” मूल मानव और मौलिक अधिकारों के घोर उल्लंघन का मामला होगा। जो हमारे देश में कानून और संविधान द्वारा शासित बिल्कुल अस्वीकार्य है। ”

कोर्ट ने ऑस्कर वाइल्ड के कथन को याद किया, “Death must be so beautiful. To lie in the soft brown earth, with the grasses wearing above one’s head, and listen to silence. To have no yesterday, and no tomorrow. To forget time, to forget life, to be at peace.”

कोर्ट ने कहा, “जैसा कि यह है, अपराध के अपराधियों द्वारा मृतक पीड़िता के साथ बहुत क्रूरता के साथ व्यवहार किया गया और उसके बाद जो कुछ घटित होने का आरोप लगाया गया, अगर वह सच है, तो यह परिवार के दुख और उनके घावों में नमक रगड़ने के समान है।” न्यायालय इस तथ्य पर भी संज्ञान लिया कि राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों ने समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बयान दिया है कि परिवार के सदस्यों की सहमति से दाह संस्कार किया गया था और वे इस दौरान मौजूद थे

गौरतलब है कि 14 सितंबर को हाथरस के एक गाँव में दलित युवती का बलात्कार किया गया और उसकी जीभ भी काट दी गयी। पुलिस ने शुरु में इसे छेड़खानी का मामला ही बताया था, लेकिन हंगामा हुआ और पीड़िता को इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया तो आठ दिन बाद बलात्कार की धाराएँ लगायी गयीं। इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन लड़की को बचाया नहीं जा सका। इसके बाद 29 सितंबर को युवती का शव उसके गाँव ले जाया गया लेकिन आरोप है कि प्रशासन ने घर के लोगों को बंद करके लड़की का रात में ही दाह संस्कार कर दिया। अब यह बड़ा मुद्दा बना हुआ है लेकिन प्रशासन जबरदस्त सख्ती दिखा रहा है। हाल यह है कि विपक्ष के नेताओं को गाँव जाकर परिजनों से मिलने भी नहीं दिया जा रहा है। कल इसी सिलसिले में प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी को हिरासत में भी लिया गया था जब वे हाथरस जाने की कोशिश कर रहे थे।

बहरहाल, इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इस मामले का संज्ञान लेने पर यूपी की योगी सरकार बैकफुट पर है। देखना है कि हाईकोर्ट में वह क्या सफाई देती है।


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