नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की अभूतपूर्व और शानदार जीत की पूर्व संध्या पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने बनारस में उनके ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरीडोर पर कानूनी मुहर लगाते हुए सभी स्थानीय लोगों द्वारा दायर याचिकाओं को एक सिरे से खारिज कर दिया।
काशी विश्वनाथ मंदिर के परिसर के आसपास तोड़े गए मकानों और मंदिरों से जुड़े लोगों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ध्वस्तीकरण के खिलाफ कई याचिकाएं लगाई थीं। इनमें कई भवनों, दुकानों, मकानों के स्वामी और कारमाइकल लाइब्रेरी के भवन में रहने वाले 26 परिवार भी थे। इन याचिकाओं पर हस्तक्षेप से अदालत ने इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति स्थालेकर और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की एक खंडपीठ ने यंत्रलेश्वर गुप्ता सहित अन्य की ओर से दायर याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
अदालत ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 1 मई को फैसला सुरक्षित कर लिया था। मतगणना और जनादेश से एक दिन पहले बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि याचियों को सिविल वाद दायर करना चाहिए।
याचियों का कहना था कि उन्हें बिना नोटिस दिए हटा जा रहा है और उन्होंने इस संबंध में अपने पुनर्वास की मांग की थी।