‘जय किसान आंदोलन’ द्वारा लॉन्च किये गए ‘MSP लूट कैलकुलेटर’ ने आज गेहूं की फसल में किसानों से हो रही लूट का चौकाने वाला खुलासा किया है। 1 से 20 मार्च 2021 के बीच यानी पिछले 20 दिन में गेहूं की फसल में किसानों से 205 करोड़ रुपये की लूट हुई है। इस दौरान किसानों का 87.5 फ़ीसदी गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बिका है। ‘MSP लूट कैलकुलेटर’ के अनुसार अगर यही बाजार भाव चलता रहा तो इस सीजन में केवल गेंहू की फसल में किसानों से 4,950 करोड रुपये की भीषण लूट होगी।
‘MSP लूट कैलकुलेटर’ के अनुसार सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 1975 रुपये निर्धारित किया था। लेकिन देश के सभी मंडियों में किसान को औसतन 1703 रुपये ही मिल पाए। यानी किसान को प्रति क्विंटल सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम से भी कम बेचने के कारण 272 रुपये का घाटा सहना पड़ा।
1 मार्च से 20 मार्च के बीच किसान को बाजरा एमएसपी से नीचे बेचने की वजह से सीजन के शुरुआत में ही 205 करोड रुपए का घाटा हो चुका है। यही बाजार भाव चलता रहा तो इस सीजन में केवल गेंहू की फसल में किसान की 4,950 करोड रुपए की भीषण लूट होने का अनुमान है। हालांकि हरियाणा और पंजाब में और खरीद होने पर इस स्थिति में कुछ सुधार की गुंजाइश है परन्तु वह नाकाफ़ी होगा।
रबी के इस सीजन में पिछले 20 दिन के आंकड़ों के अनुसार किसान का 87.5 फ़ीसदी गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बिका।
गेहूं पर चल रही इस भीषण लूट पर जय किसान आंदोलन के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि यह बहुत चौंकाने वाली खबर है और एमएसपी को लेकर सरकारी प्रोपेगंडा का सबसे करारा जवाब है। आमतौर पर माना जाता है कि कम से कम गेहूं की फसल में तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल जाता है। अगर सीज़न की शुरुआत में ही गेहूं में भी किसान की 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की लूट हो रही है तो एमएसपी किसान के साथ एक क्रूर मजाक है।
गेहूं की फसल में किसानो के साथ पिछले 20 दिन में ₹205 करोड़ की लूट। #MSPLootCalculator का चौकाने वाला खुलासा!
यह बहुत चौंकाने वाली खबर है, अगर सीज़न की शुरुआत में ही गेहूं में भी किसान की ₹250 से ₹300 प्रति क्विंटल की लूट हो रही है तो एमएसपी किसान के साथ एक क्रूर मजाक है। pic.twitter.com/Q1weHAIvNW
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) March 21, 2021
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अवीक साहा ने आज चौथे दिन “एमएसपी लूट केलकुलेटर” का आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि इसमें इस्तेमाल किए जा रहे आंकड़े सरकार की अपनी वेबसाइट एगमार्क नेट से लिए गए हैं। इसका उद्देश्य सरकार की इस झूठे प्रचार का भंडाफोड़ करना है कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी किसान को प्राप्त हो रहा है।