आखिरकार आज 378वें दिन किसानों का आंदोलन खत्म हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में चर्चा के बाद यह आंदोलन वापस लिया गया हैं। लगातार खींचतान, मैराथन बैठकों के बाद अंत में किसानों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई। केंद्र सरकार से मिले प्रस्ताव पर सहमति के बाद किसान संगठनों ने गुरुवार को यह अंतिम फैसला लिया है। इससे पहले किसानों की लंबित मांगों को लेकर सरकार की ओर से कृषि सचिव के हस्ताक्षर से पत्र भेजा गया था। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई, जिसके बाद गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि 11 दिसंबर को किसान लौट आएंगे। 13 दिसंबर को किसान श्री हरमंदिर साहिब जाकर माथा टेकेंगे।
वहीं, 15 जनवरी को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की समीक्षा बैठक होगी। चढ़ूनी ने घोषणा की, अब किसी भी पार्टी या उद्योग का बहिष्कार नहीं किया जाएगा। किसान आंदोलन में बंद टोल भी अब खुलेंगे। 15 तक सभी टोल से धरना हटा लिया जाएगा। बता दे, आंदोलन को लेकर बुधवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए नए ड्राफ्ट पर मोर्चे और सरकार की सहमति हो गई थी। आज हुई बैठक से पहले संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक धावले ने कहा कि सरकार की ओर से आए नए मसौदे पर आज बैठक में चर्चा होगी। उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया जाएगा।
सरकार ने तत्काल प्रभाव से केस वापसी की बात कही…
मालूम हो कि इस बीच हरियाणा सरकार भी किसानों को मुआवजे के तौर पर 5 लाख की सहायता देने और केस वापस लेने पर राजी हो गई है। केंद्र सरकार भी सभी मामलों को वापस लेने पर राजी हो गई है। वहीं, MSP कमेटी में सिर्फ मोर्चे के नेताओं को रखने की बात भी केंद्र ने मान ली है। कृषि कानून की वापसी की मुख्य मांग पूरी होने से पंजाब के 32 किसान संगठनों में से ज्यादातर घर लौटने को तैयार हैं। बता दें कि बीते दिन आए प्रस्ताव में सरकार का कहना था की अंदिलन वापसी के बाद साल भर के अंदर केस वापस ले लिए जायेंगे, जिसमें मोर्चा सहमत नही हुआ था।
अब सरकार ने तत्काल प्रभाव से केस वापसी की बात कही है। किसानों का कहना था कि बिना केस वापसी के घर लौटे तो आंदोलन की वापसी के बाद मुकदमों का सामना करना पड़ेगा। ऐसा पहले भी हरियाणा में जाट आंदोलन और मध्य प्रदेश में मंदसौर गोलीकांड की घटना में हो चुका है। आपको बता दें कि हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में किसानों पर केस दर्ज हैं। वहीं, पंजाब में कोई केस नही है।
केंद्र तरफ से आए ड्राफ्ट में ये बातें कही गई….
- एमएसपी पर प्रधानमंत्री ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है। जिस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे। यह स्पष्ट किया जाता है कि किसान प्रतिनिधियों में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी होंगे। कमेटी 3 महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। जिससे यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को एमएसपी कैसे मिले।
- जिस फसल पर राज्य वर्तमान में एमएसपी पर खरीद कर रहा है वह जारी रहेगा।
- हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने पंजाब की तरह मुआवजा देने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
- किसानों पर दर्ज सभी मामलों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाएगा। इसके लिए यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की सरकारों ने अपनी सहमति दे दी है।
- केंद्र सरकार, रेलवे और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दर्ज मामले भी तुरंत वापस ले लिए। केंद्र सरकार भी राज्यों से अपील करेगी।
- पराली के मामले में किसान केंद्र सरकार के अधिनियम की धारा 15 में जुर्माने के प्रावधान से मुक्त होंगे।
- बिजली बिल पर किसानों को प्रभावित करने वाले प्रावधानों पर संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा की जाएगी। चर्चा से पहले इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा।