वाशिंगटन, डीसी (जनवरी 29, 2022) – इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC), एक अमेरिका-स्थित एडवोकेसी NGO जो भारत को विविध और सहिष्णु बनाए रखने के लिए समर्पित है, ने भारत सरकार के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी द्वारा उस पर लगाए आरोपों को निराधार बताया है.
27 जनवरी को नक़वी ने एक प्रेस वार्ता में IAMC पर पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI (Inter Services Intelligence) के साथ सम्बंध होने का आरोप लगाया था. साथ ही कहा था कि वैश्विक शांति भंग करने की साज़िश करने वाले संगठनों के साथ IAMC सम्बंध रखता है. उन्होंने कहा था कि IAMC के संबंध सिमी (Students Islamic Movement of India) के साथ भी थे जो भारत में प्रतिबंधित संगठन है. नक़वी ने ये भी कहा था कि IAMC लंबे समय से एंटी-इंडिया प्रॉपोगैंडा में लिप्त है. साथ ही उस साज़िश में शामिल है जिसने दावा किया था कि अक्तूबर में त्रिपुरा में हिंसा हुई थी. नक़वी ने आरोप लगाया था कि IAMC का भारत में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का इतिहास रहा है और कहा था कि सभी जानते हैं कि IAMC पाकिस्तान द्वारा स्पॉन्सर्ड है.
अपने बयान में IAMC ने कहा कि वह इन सभी आरोपों का खंडन करता है और नक़वी और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार को चुनौती देता है कि वे एक भी आरोप को साबित करने के लिए सबूत पेश करें. IAMC का पाकिस्तान, ISI या SIMI से कोई संबंध नहीं है. IAMC का भारत में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का कोई इतिहास नहीं रहा है.
यूएस में 501(c)(3) संगठन के रूप में रजिस्टर्ड IAMC 20 साल पुरानी वास्तविक गैर-लाभकारी संस्था है. वैश्विक नागरिक समाज से मिलकर अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिकी सरकार के साथ मानवीय मूल्यों की वकालत करने का IAMC का मज़बूत इतिहास रहा है.
AIMC ने अपने बयान में कहा,
“भारतीय अमेरिकियों के रूप में हम मानते हैं कि आज के दौर में ये ज़रूरी है कि जो लोग भारत और भारतीय लोगों की परवाह करते हैं, चाहे वो कहीं भी रह रहे हों, उन्हें भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को बचाने के संघर्ष में शामिल होना चाहिए. IAMC समुदाय के कई सदस्य भारत में पैदा हुए और पले-बढ़े. हमने अमेरिका को अपना घर चुना है लेकिन भारत के साथ हमारे गहरे सांस्कृतिक, पारिवारिक और भावनात्मक संबंध हैं. यही संबंध आज भारतीय समाज के सामने आने वाले गंभीर ख़तरों के बारे में बोलने के लिए हमारी पहली प्रेरणा हैं.”
भारत सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए, एआईएमसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है,
“शायद भारत सरकार को सबसे बड़ा मलाल ये है कि IAMC उन प्रमुख नागरिक अधिकार संगठनों में से एक था जिन्होंने साल 2005 में नरेंद्र मोदी (जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे) को साल 2002 के गुजरात दंगों में उनकी भूमिका के कारण अमेरिका में प्रवेश करने से प्रतिबंधित करने की वकालत की थी. याद हो कि साल 2002 में गुजरात में हिंदुत्व आतंकवादियों ने 2,000 से अधिक मुसलमानों का नरसंहार किया था.
देखा जाए तो भारत सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड ही IAMC के बारे में नक़वी के कपटपूर्ण और स्पष्ट रूप से फ़र्ज़ी दावों को ग़लत साबित करते हैं. साल 2001 से लेकर अब तक SIMI को ग़ैरकानूनी (गतिविधि) रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आठ बार प्रतिबंधित किया गया है. हर बार उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक ट्राइबुनल ने इस प्रतिबंध को न्यायायिक मान्यता दी थी. लेकिन इन वर्षों में एक बार भी भारत की केंद्र सरकार ने अदालत में यह दावा नहीं किया है कि IAMC का SIMI से कोई भी संबंध है.
जहाँ तक IAMC को जानकारी हासिल है, भारत में कहीं भी एक भी सरकारी या पुलिस दस्तावेज़ नहीं है जो दावा करता है कि IAMC सिमी से, किसी भी सांप्रदायिक हिंसा से, पाकिस्तान से, ISI से, भारत में या भारत के बाहर किसी भी आतंकी समूह से जुड़ा है. अपने 20 साल के इतिहास में किसी भी अमेरिकी क़ानून प्रवर्तन एजेंसी ने कभी भी दूर-दूर तक यह नहीं कहा है कि IAMC प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद से जुड़ा है. अमेरिका में किसी भी क़ानून प्रवर्तन एजेंसी ने कभी IAMC की जांच तक नहीं की है.”
भारत सरकार की निंदा करते हुए, संगठन ने कहा कि मंत्री नक़वी ने त्रिपुरा पुलिस के उस FIR का हवाला दिया जिसमें अक्टूबर में त्रिपुरा में हुए मुस्लिम विरोधी हिंसा के संबंध में अन्य लोगों के साथ IAMC का नाम शामिल है. इस दुर्भावनापूर्ण FIR के मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही दो वकीलों और एक पत्रकार को राहत प्रदान की हुई है, जिनका नाम IAMC के साथ उस FIR में शामिल था. जब त्रिपुरा पुलिस ने उस FIR में शामिल लोगों के विवरण प्रदान करने के लिए ट्विटर पर दबाव बनाने की कोशिश की तो सुप्रीम कोर्ट ने फिर से कदम उठाया और उस अवैध और आपराधिक पुलिस अधिनियम के तहत पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगा दी.
पिछले सप्ताह त्रिपुरा पुलिस ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफ़नामा में डिसइन्फ़ोलैब (Disinfolab) नाम की एक वेबसाइट के आधार पर IAMC के बारे में फ़र्ज़ी दावे किए. दरअसल त्रिपुरा पुलिस www.thedisinfolab.org का हवाला दे रही है जो हाल में हिंदुत्ववादी दुष्प्रचार से जुड़ी एक फ़ेक न्यूज़ फ़ैक्ट्री के रूप में सामने आई है. इस वेबसाइट पर इसकी रजिस्टर्ड मालिकाना संस्था के बाबत कोई जानकारी नहीं है, कोई पंजीकृत पता या कोई कार्यालय का पता नहीं है, निदेशकों या संपादकों या किसी अन्य पदाधिकारियों के भी कोई नाम नहीं हैं, किसी रिपोर्ट के किसी लेखक के नाम नहीं हैं. हैरत की बात है कि त्रिपुरा पुलिस अदालत में हमारे ख़िलाफ़ ऐसी भ्रामक वेबसाइटों को सबूत के तौर पर पेश कर रही है जिनका कोई अता-पता ही नहीं है.
IAMC ने ये भी आरोप लगाया कि संगठन से प्रधानमंत्री मोदी की चिढ़ का असली कारण ये है कि जबकि उनका निरंकुश शासन भारतीय मुसलमानों के मानवाधिकारों का हनन कर हजारों को जेल भेज देता या मार देता है, वह IAMC को नहीं छू सकते क्योंकि हम अमेरिका में स्थित हैं जहां क़ानून का राज है जिसके चलते सत्ताधारी उसका दुरुपयोग नहीं कर सकते हैं. श्री मोदी और उनके चरमपंथी साथियों को याद रखना होगा कि वो IAMC को चुप नहीं करा सकते.
संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया, “बड़ी संख्या में अमेरिकी सेनेटर और सांसद भी भारत के बहुलवादी संविधान की रक्षा करने और मोदी के लोकतंत्र विरोधी व्यवहार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के हमारे एजेंडे का समर्थन करते हैं. Black Lives Matter से लेकर Amnesty International, Genocide Watch से लेकर Human Rights Watch जैसे अमेरिकी नागरिक सामाजिक संगठन हमारा समर्थन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. मोदी सरकार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे आतंकवादी संगठनों के घिनौने काम को और भी अधिक ताक़त के साथ एक्सपोज़ करने का काम IAMC जारी रखेगा. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद और बीआर अंबेडकर की कल्पना के अनुसार एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष, बहुलवादी, लोकतांत्रिक भारत की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं. भारत हर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, दलित और अन्य सभी का समान रूप से है.”
(IAMC द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज़ पर आधारित ख़बर)