सोमवार, 9 सितम्बर को उत्तर प्रदेश में आज़मगढ़ के जिलाधिकारी ने एक स्कूल में बच्चों द्वारा कथित रूप से झाड़ू लगाने की फोटो खींचने पर पत्रकार संतोष जयसवाल को गिरफ्तार करने के मामले की जांच के आदेश दिए. उनके साथी पत्रकार सुधीर सिंह ने आरोप लगाया है कि पत्रकार को सरकारी काम में बाधा डालने और रंगदारी मांगने के झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया है.
Azamgarh district magistrate on Monday ordered a probe into the arrest of a journalist after he allegedly took photographs of some children mopping the floor in their school.https://t.co/dlPDzki2Gw
— The Telegraph (@ttindia) September 9, 2019
सुधीर सिंह ने अन्य पत्रकारों के साथ जिलाधिकारी एनपी सिंह से मुलाकात की और उन्हें कथित अवैध गिरफ्तारी के बारे में जानकारी दी. एनपी सिंह ने कहा,’पत्रकारों के साथ अन्याय नहीं किया जाएगा. हम मामले को देखेंगे.’ उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
सुधीर सिंह ने बताया कि स्थानीय पत्रकार संतोष जयसवाल को पिछले शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने स्कूल में बच्चों के झाड़ू लगाने की फोटो खींच ली थी और स्कूल प्रशासन के ‘अवैध कृत्य’ की जानकारी देने के लिए पुलिस को फोन किया था. सुधीर सिंह ने बताया कि जयसवाल की कॉल पर पुलिस स्कूल पहुंच गई और जयसवाल और उदयपुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक राधे श्याम यादव को थाने ले गई. सुधीर सिंह ने बताया कि फूलपुर थाने में प्रधानाध्यापक ने जयसवाल के खिलाफ तहरीर दी जिसके आधार पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
पत्रकार के खिलाफ छह सितंबर को प्राथमिकी संख्या 237 दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जयसवाल अक्सर स्कूल आते थे और पुरुष एवं महिला शिक्षकों से तथा छात्रों से बदसुलूकी करते थे और अपना अखबार सब्सक्राइब करने को कहते थे.
किन्तु ख़बरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पत्रकार संतोष जयसवाल के ट्वीट से नाराज होकर बदले की मंशा से उनको गिरफ्तार किया है.पत्रकार को पुलिस वालों ने इसलिए जेल भेज दिया क्योंकि उसने कभी इंस्पेक्टर के खिलाफ एक खबर छाप दी थी.
बताया जाता है कि इंस्पेक्टर फूलपुर काफी दिन से संतोष से नाराज था क्योंकि संतोष ने फर्जी नंबर की स्कार्पियो इंस्पेक्टर फूलपुर द्वारा रखे जाने की खबर का प्रकाशन किया था. इस खबर से इंस्पेक्टर चिढ़ा हुआ था. उसने मौका देखकर संतोष के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर लिया और जेल भेज दिया.
सुधीर सिंह ने पत्रकार के खिलाफ आरोपों का खंडन किया और कहा कि स्थानीय पुलिस उनके पीछे पड़ी थी. उन्होंने बताया कि गत 19 मई को उत्तर प्रदेश पुलिस के ट्विटर हैंडल पर फूलपुर के कोतवाल शिवशंकर सिंह की बिना नम्बर की और काली फिल्म लगी कार की फोटो पोस्ट की थी, जिसके बाद पुलिस ने ट्वीट किया कि यह फोटो दो माह पहले की है जब वाहन खरीदा गया गया था. अब नम्बर प्लेट भी लग गई है. हालांकि कुछ ही देर बाद एक अन्य युवक ने ट्वीट किया कि यह नम्बर कार का नहीं बल्कि मोटरसाइकिल का है. इसके बाद उन्होंने फूलपुर कोतवाल के इस कारनामे की खबर छाप दी. तभी से ही कोतवाल उनके पीछे पड़े थे और साजिश के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया गया. बता दें कि इससे पहले यूपी के मिर्जापुर में मिड डे मील के दौरान नमक-रोटी देने का वीडियो बनाने पर पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था.
अब तक आम आदमी की रही होती ये पुलिस वाले तुरंत कारवाई करते
पर जब खुद विभाग वाले की गाड़ी है तो
मून्दो आंख कह दो कुछ नाही
वाह रे @Uppolice मुबारक हो आपको अपना विभाग https://t.co/qFGlLEg09W— सन्तोष जायसवाल (@santosh54442442) July 19, 2019
बता दें कि संतोष जायसवाल ने इंस्पेक्टर फूलपुर की बिना नंबर प्लेट और काली फिल्म लगी स्कार्पियो की एक तस्वीर के साथ यूपी पुलिस को ट्वीट किया था. जवाब में यूपी पुलिस ने आमगढ़ पुलिस को मामले को देखने को कहा था. आजमगढ़ पुलिस ने बताया था कि ये स्कार्पियो दो महीने पहले ही खरीदी गई थीं, तब नंबर नहीं आवंटित हुआ था. अब नंबर मिल गया है जो इस प्रकार है. जो नंबर यूपी पुलिस ने दिया, वह नंबर बाइक का निकल गया.
यह फोटो 2 महीना पहले की है। जब नई गाड़ी खरीदी गई थी तो उस समय नंबर प्लेट नहीं था अब नंबर प्लेट लग चुका है जिसका नंबर UP50 BC 7521 है।
— AZAMGARH POLICE (@azamgarhpolice) July 19, 2019
क्या झूठ बोलता है पुलिस का ट्वीटर @azamgarhpolice @digazamgarh pic.twitter.com/sHWlhLrfjb
— सन्तोष जायसवाल (@santosh54442442) August 11, 2019
इसको लेकर लोगों ने यूपी पुलिस और आजमगढ़ पुलिस की खूब खिंचाई कर दी. इस सबसे इंस्पेक्टर फूलपुर इतना नाराज हुए कि एक फर्जी केस बनाकर पत्रकार संतोष को जेल भेज दिया.