बनारस की मानवाधिकार संस्था पीवीसीएचआर के अध्यक्ष डॉ. लेनिन रघुवंशी द्वारा शामली में जीआरपी द्वारा एक पत्रकार अमित शर्मा की पिटाई और हिरासत में यातना देने के मामले में दर्ज़ शिकायत (डायरी संख्या 6728/IN/2017) पर एनएचआरसी ने संज्ञान लिया है.
आयोग ने डॉ.लेनिन को पत्र भेजकर उक्त मामले की शिकायत मिलने की सूचना दी है. डॉ.लेनिन ने मीडियाविजिल पर प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए एनएचआरसी से शिकायत दर्ज़ किया था.
Amit Sharma journalistबागपत में पुलिस द्वारा 20 वर्षीय सुमित गुर्जर की हत्या के मामले (case no.30160/24/30/2017-AD) में भी पीवीसीएचआर ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिख कर मौत की जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट से करवाने तथा मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपए की सहायता राशि और दोषी पुलिस वालों पर मामला दर्ज़ करने की मांग की है. साथ ही मृतक सुमित के परिवार के सदस्यों को सुरक्षा देने की मांग भी इस पत्र में शामिल है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग लिखे पत्र में पीवीसीएचआर ने राज्य में पुलिस द्वारा बेगुनाह लोगों की हत्या और राज्य में अपराधों में 17 फीसदी का इजाफ़े की ओर ध्यान खींचा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर अपराधमुक्त यूपी बनाने के नाम पर दो साल पहले शुरू किये गये एनकाउंटर लगातार सवालों के घेरे में हैं. इन मुठभेड़ों में मारे गये ज्यादातर मामले संदिग्ध हैं और ये मुठभेड़ न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि 2012 के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी उल्लंघन है जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था -‘सिर्फ इसलिए कि कोई आरोपी खतरनाक अपराधी है, पुलिस को उसे जान से मार देने का अधिकार नहीं मिल जाता.
पुलिस का काम आरोपी को गिरफ्तार करना और उन पर मुकदमा चलाना है. अदालत ने बार-बार पुलिस को चेतावनी दी है, जो अपराधियों को मार गिराने के बाद घटना को एनकाउंटर का नाम दे देते हैं.
20 वर्षीय सुमित गुर्जर को पुलिस ने 30 सितंबर, 2017 को बागपत के चिरचिटा गांव से उठा कर मार दिया था. इस मामले में बागपत जिला न्यायाधीश ने 20 अक्टूबर 2017 को उत्तर प्रदेश सरकार के गृह सचिव को पत्र ( letter no. 2270/J.A-2017/Misc and demanded for the appropriate direction in this matter for providing justice to the Sumit Gujjar Family. Annexure no. 1 ) लिखा था.
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