अख़बार या सरकारी पर्चे: कांग्रेस मुख्यालय में पुलिस मनमानी की ख़बर को भी महत्व नहीं! 

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


अग्निपथ योजना पर वेट्रेन्स और नेताओं ने जो कहा वह सिर्फ हिन्दू में है 

 

 कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस बुधवार को जबरन पार्टी मुख्यालय में घुस गई और नेताओं की पिटाई की। एक महिला सांसद ने अपने कपड़े फाड़ दिये जाने का आरोप लगाया है और इसके साथ आरोप यह भी है कि दिल्ली पुलिस ने वर्दी में बाहरी लोगों को भी घुसा लिया था। इसका आधार यह बताया जा रहा है कि कई वर्दीवाले लोगों के नेमप्लेट नहीं थे। ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब हैं। आप जानते हैं कि जवाहर लाल नेहरू द्वारा स्थापित नेशनल हेराल्ड के 75 प्रतिशत शेयर राहुल और सोनिया गांधी के नाम कर दिए जाने के मामले की जांच के नाम पर राहुल गांधी से घंटों पूछताछ चल रही है और कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। पर जवाब में दिल्ली पुलिस ने नेताओं के साथ जबरदस्ती, धक्कामुक्की, मारपीट और लात मारने तक की कार्रवाई की है जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। 

 

ऐसे में पार्टी का यह आरोप कि पुलिस जबरन मुख्यालय में घुस गई और मारपीट की- पर्याप्त गंभीर है। दिल्ली में पुलिस ज्यादती की खबरें आम तौर पर पहले पन्ने पर  छपती रही हैं। लेकिन आज टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। बदले में टाइम्स ने बताया है कि वह सबसे विश्वनीय समाचार ब्रांड बना हुआ है। समाचार की बात करूं तो टाइम्स ने पहले पन्ने पर छापा है कि राहुल गांधी ने ईडी से यह कहा बताते हैं कि नेशनल हेराल्ड का मामला कांग्रेस के लिए उसके तबके कोषाध्यक्ष अब दिवंगत मोती लाल वोरा ने देखा था। वैसे तो यह बहुत पुरानी सूचना है और जाहिर है पहले हो चुका है तो उन्हीं ने किया होगा जो उस समय कोषाध्यक्ष थे। उस पार्टी की बात अलग होगी जो वर्षों कोषाध्यक्ष के बिना रहा है या जिसके कोषाध्यक्ष को सीधे रेल मंत्री बना दिया गया था। कांग्रेस के मामले में ऐसा नहीं सुना गया है और शायद इसीलिए पूछताछ चल रही है। 

 

जो भी हो, यह दिलचस्प है कि आज ही अखबारों में खबर छपी है कि सरकार की बहुचर्चित और हाल में घोषित अग्निपथ योजना के बारे में पूर्व सेना प्रमुख, केंद्रीय मंत्री और अब भाजपा नेता वीके सिंह ने अखबार वालों के सवाल के जवाब में कहा कि इस योजना के निर्माण में वे शामिल नहीं थे। और वे इस बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने राहुल गांधी की ईडी वाली खबर के साथ यह सूचना जरूर है कि कांग्रेस ने कहा पुलिस मुख्यालय में जबरन घुसी, पुलिस ने इनकार किया। जाहिर है इसमें पुलिस की बातों को प्रमुखता दी गई है और इसी कारण खबर को अंदर डाल दिया गया है वरना बिना नेमप्लेट वाले वर्दीधारी का मामला तो पर्याप्त गंभीर है। सांसद के साथ मार-पीट और पदाधिकारी को लात मारने का मामला साधारण नहीं है। कम से कम फोटो तो होनी ही चाहिए थी। 

 

दिल्ली पुलिस के अधिकारी नेमप्लेट हटाकर सांसदों और विपक्षी दल के नेताओं से मारपीट करते हुए कैमरे में कैद हो जाएं यह कम नहीं है। कायदे से पुलिस को बताना चाहिए था कि ऐसा क्यों है। पर सारे कायदे कानूनों का राम नाम सत्य हो चुका है और बुलडोजर राज चल रहा लगता है। हालांकि, आज यह खबर भी है कि सुप्रीम कोर्ट में इसपर सुनवाई होगी। आप जानते हैं कि इस योजना का विरोध हो रहा है, इसे अव्यावहारिक माना जा रहा है और अब पता चल रहा है कि सेना से संबंधित इस योजना की घोषणा या लागू करने में पार्टी ने अपने सदस्य और पूर्व सेना प्रमुख की ही राय नहीं ली। ऐसे में सरकार कैसे काम करती है यह बताने की जरूरत नहीं है और यह किसानों के लिए बनाए गए कानून, उसके विरोध और उसपर सरकार की प्रतिक्रिया तथा अंत में प्रधानमंत्री द्वारा वापस लिए जाने की घोषणा से साफ हो चुका है। 

 

इसके बावजूद टाइम्स ऑफ इंडिया ने आज इस मामले में सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू का सरकारी बयान छापा है कि 2032 तक सेना में 50 प्रतिशत अग्निवीर होंगे। इसके साथ ही गृहमंत्री का बयान भी है कि अग्निवीरों को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में शामिल करने में प्राथमिकता दी जाएगी। यही हाल हिन्दुस्तान टाइम्स का है। यहां भी दोनों सरकारी खबरें पहले पन्ने पर हैं। मुझे लगता है कि किसान कानून के समय भी उसके फायदे बताए गए और किसानों के विरोध के कारण उसे वापस ले लिया गया। ऐसे में जब यह लगभग असंभव है कि अग्निवीर के विरोधी किसानों जैसा आंदोलन चला पाएं तो मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह देश और सरकार को भी सच बताये। पर फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

 

जरूरी नहीं है कि सरकार की हर कार्रवाई का एक जैसा विरोध हो और सरकार को उसे वापस लेने के लिए मजबूर किया जा सके पर इससे यह तो साफ ही है कि सरकार हर कुछ ठीक नहीं कर रही है और यह नोटबंदी जैसे महत्वपूर्ण निर्णय से भी साफ है। भ्रष्टाचार और घोटाले का मामला हो तो प्रधानमंत्री पर अडानी के लिए दलाली करने का आरोप है लेकिन जांच कांग्रेस के दिवंगत कोषाध्यक्ष की कार्रवाई की हो रही है जो कांग्रेस और नेहरू परिवार से संबंधित है और अगर कुछ गलत हुआ भी हो तो जनहित में एक अंग्रेजी और एक हिन्दी अखबार को जिन्दा रखने के लिए है। अभी के अखबारों का हाल यह है कि अग्निपथ से संबंधित खबर सिर्फ दि हिन्दू में पहले पन्ने पर है और उसके विरोध की खबर द टेलीग्राफ में। एक महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रभाव वाली सरकारी योजना और उसके विरोध की खबर अगर पहले पन्ने पर नहीं है तो अखबार में कहीं हो भी, बेमतलब है। 

 

इस लिहाज से पहले पन्ने पर भर-भर कर विज्ञापन छापना और खबरें नहीं देना – कैसी पत्रकारिता है आप समझिये। कोई देखने वाला है ऐसा लगता तो नहीं है। अग्निपथ योजना के संबंध में द हिन्दू में आज पहले पन्ने पर छपी खबर का शीर्षक है, पार्टी नेताओं और  वेट्रन्स ने कहा कि सेना के नैतिक बल को नुकसान हो सकता है। सशस्त्र सेना के उम्मीदवारों ने अग्निपथ योजना का विरोध किया। देश की कई प्रमुख संस्थाओं को नष्ट किए जाने पर चुप रहने या उसके समर्थन पर कुछ नहीं बोलने वाले मेजर जनरल (रिटायर) जीडी बख्शी ने इस मामले में ट्वीट किया है, “हम अपनी प्रमुख संस्थाओं को नष्ट न करें।” ऐसे में इस योजना को भी पहले की योजनाओं की तरह एक व्यक्ति के दिमाग का फितूर का कहा जाए तो गलत नहीं होगा पर अखबार लोगों को बताएंगे ही नहीं तो आप जानेंगे कैसे यह तो आपको ही तय करना होगा। अभी तो ज्यादातर अखबार सरकारी पर्चे जैसे लगते हैं। 

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।