हाल ही में जम्मू और कश्मीर कोअलिशन ऑफ़ सिविल सोसाययटी(JKCCS) ने एक रिपोर्ट प्रकाशित करी है। रिपोर्ट का नाम है “Kashmir’s Internet Siege– An ongoing assault on Digital Rights”। इस रिपोर्ट में 4, अगस्त 2019 से कश्मीर में इंटरनेट सुविधाओं पर लगाए गए बैन से, आम आदमी के रोज़मर्रा के जीवन पर पड़े असर का विस्तार में लेखा जोखा है। हैं। मीडिया विजिल की असिस्टेंट एडिटर सौम्या गुप्ता ने, हमारे शो संवाद में इस रिपोर्ट को तैयार करने वाली मिस्बाह रेशी और महरूश शाह से बात करी।
शो का लिंक आप लेख के अंत में देख सकते हैं। बहुत ही मेहनत और शोध के साथ लिखी गयी है यह रिपोर्ट। इस रिपोर्ट को दो हिस्सों में बाँटा गया है – पहले भाग में 6 चैप्टर हैं और दूसरे में एक बहुत ही विस्तृत टाइमलाइन जिस पर पिछले साल भर में घटित हर महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख और ब्योरा है। हर चैप्टर के शुरुआत में एक अंतराष्ट्रीय क़ानून का भी उल्लेख है ताकि जो भी डेटा, तथ्य और दलीलें दी जा रही हैं उन्हें एक वैश्विक संदर्भ और मानवाधिकारों के नज़रिए से भी देखा जा सके।
गृह मंत्री अमित शाह ने एक सुरक्षा पर हुई कॉन्फ़्रेंस में दावा किया था कि “कहाँ हैं प्रतिबंध कश्मीर में, प्रतिबंध आपके दिमाग के अंदर लगा है, प्रतिबंध कश्मीर में नहीं लगा। सिर्फ़ ग़लतफ़हमियाँ फैलायी जा रही हैं प्रतिबंध के बारे में। लेकिन लोग बहुत शोर मचा रहे हैं मोबाइल कनेक्शन को काटने को लेकर। फ़ोन कनेक्शन ना होना कोई मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं है”।
इस दावे को ध्वस्त करते हुए इस रिपोर्ट में इंटरनेट बैन से हुए हर क्षेत्र में नुक़सान, मानवाधिकारों के उल्लंघन और मानवीय संवेदनाओं को जो हानि पहुँची है उस सब पर ढेरों तथ्य और जानकारियाँ दी गयी हैं।इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार, आजीविका, न्याय, पत्रकारिता, जैसे हर मूलभूत क्षेत्र में किस तरह से आर्थिक, मानसिक, समाजिक, न्यायिक और राजनैतिक मुश्किलें हुई हैं उस पर काफ़ी डिटेल्ड डेटा मौजूद है।उदाहरण के तौर पर रिपोर्ट के मुताबिक़ कश्मीर में पाँच लाख से ज़्यादा लोग अपनी नौकरी गँवा चुके हैं, कैसे पर्यटन में नब्बे फ़ीसदी से भी ज़्यादा गिरावट हुई है, कैसे कोविड संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए दिल्ली में एक इंसान को एक सेकंड से भी कम का समय लगता है जबकि वहीं कश्मीर में किसी को ये जानकारी प्राप्त करने के लिए लगभग 3600 सेकंड लगते हैं और कैसे ये 213 दिन का इंटरनेट बैन अपने आप में एक लोकतांत्रिक देश का सबसे लम्बे अंतराल का बैन है।इन सारे मुद्दों पर हमारे शो में चर्चा हुई है और जैसे की मिस्बाह ने एक बात कही “कश्मीर के बारे में कश्मीरियों से सुनो “ ।
तो इन दोनो कश्मीरियों से सुनिए कश्मीर की कहानी जहाँ “क्यों भी कहना जुर्म है और कैसे भी कहना जुर्म है।“