अत्यंत गरीब श्रेणी में मुसहर समुदाय के परिवारों का नाम शामिल नहीं किया जाना और केंद्र एवं राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा एवं जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें इस तरह से मुहैया नहीं कराना भारतीय संविधान के अनुच्छेद-20 के तहत सुनिश्चित सम्मान के साथ जीवन जीने के उनके अधिकार का उल्लंघन करने के समान है। इसलिए, यदि प्रस्तावित सर्वे और उसके आधार पर कार्रवाई में आगे देरी की जाती है तो आयोग मानवाधिकार सुरक्षा अधिनियम-1993 की धारा-13 के तहत कठोर कार्रवाई करेगा।
यह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के उस आदेश का अंश है जो उसने 20 सितंबर 2017 को वाराणसी स्थित मानवाधिकार जन निगरानी समिति के सदस्य अनूप श्रीवास्तव की शिकायत की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को दिया था। अनूप श्रीवास्तव ने 23 सितंबर 2013 को वाराणसी जिले के नेहिया गांव स्थित मुसहर बस्ती में दो साल से खराब पड़े हैंडपंप, आवास, राशन कार्ड, मतदाता पहचान-पत्र आदि से संबंधित शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की थी।
आयोग ने 27 नवंबर 2013 को उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि “संपूर्ण उत्तर प्रदेश में रह रहे मुसहर समुदाय का विशेष सर्वे किया जाए। साथ ही उनकी योग्यता के आधार पर उनका नाम बीपीएल सूची, अन्त्योदय सूची और अन्य दूसरी सूचियों में सुनिश्चित रूप से शामिल किया जाए।“ इस संदर्भ में आयोग ने राज्य सरकार से 31 मार्च 2014 तक रपट मांगी लेकिन उत्तर प्रदेश की तत्कालीन समजवादी पार्टी सरकार ने आयोग के निर्देशों का पालन नहीं किया। यह दूसरी बात है कि वाराणसी के जिला प्रशासन ने ही नेहिया गांव की मुसहर बस्ती की अधिकतर समस्याओं का समाधान कर दिया था।
यूपी में 2017 में भाजपानीत योगी सरकार सत्ता में आ गई लेकिन उसने भी मुसहरों के विकास के लिए कोई ठोस पहल नहीं की। मुसहरों के हालात से चिंतित आयोग ने सितंबर में सुनवाई के दौरान उक्त आदेश दिया। साथ ही आयोग ने अपने आदेश में लिखा, ऐसा प्रतीत होता है कि आयोग के निर्देशानुसार सर्वे नहीं किया गया है। इसलिए आयोग उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को उत्तर प्रदेश में रह रहे मुसहर समुदाय का सर्वे करने का निर्देश देता है। साथ ही आयोग यह भी निर्देश देता है कि मुख्य सचिव चार महीने के अंदर 27 अगस्त 2015 को आयोग की सुनवाई के दौरान निर्देशित बिंदुओं पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे। आयोग के उक्त आदेश से डरे उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने 22 जनवरी 2018 को सूबे के समस्त मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर प्राथमिकता के आधार पर मुसहर समुदाय के परिवारों का सर्वेक्षण कर केंद्र और राज्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिये जाने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तर पर एक कमेटी गठित की जो मुसहरों के लिए जरूरी योजनाओं का अनुमोदन करेगा।
मुख्य सचिव ने पत्र में लिखा, “प्रदेश के मुसहर जाति बाहुल्य जनपदों यथा- गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, जौनपुर सहित अन्य समस्त जनपदों में निवासरत मुसहर जाति के परिवारों का सर्वे करके उन्हें पात्रता के आधार पर भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा संचालित आवासीय योजनाओं, उनके परिवारों को अंत्योदय सूची में शामिल करने/पात्र गृहस्थी कार्ड (राशन कार्ड) निर्गत करने, पेंशन का लाभ व महिलाओं के लिए संचालित योजनाओं का लाभ अनुमन्य कराने, विद्युत कनेक्शन की सुविधा प्रदान करने, पेयजल हेतु हैंडपंप लगवाने एवं अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अनुमन्य कराये जाने हेतु जनपद स्तर पर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाता है। समाज कल्याण अधिकारी समिति के सदस्य सचिव होंगे जबकि जिला विकास अधिकारी, जिला प्रोबेशन अधिकारी, जिला पूर्ति अधिकारी, अपर जिला अधिकारी (वित्त एवं राजस्व), ऊर्जा विभाग और जल निगम के अधिशासी अभियंता इसके बतौर सदस्य होंगे। उक्त समिति जनपदों में मुसहर जाति के परिवारों को सर्वे कर पात्रता के आधार पर एक माह के अंदर उपरोक्त अनुमन्य सुविधाओं का लाभ उपलब्ध करायेगी और तदानुसार अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को उपलब्ध करायेगी।”
इसके बावजूद वित्त वर्ष 2017-18 के अंत तक मुसहर समुदाय के लिए जरूरी विकास कार्यों में तेजी नहीं आ सकी। लोकसभा चुनाव 2019 नजदीक आ चुका था। भाजपानीत उत्तर प्रदेश सरकार के लिए आगामी वित्त वर्ष चुनावी रणनीति का साल था। उत्तर प्रदेश में विपक्षी सियासत के वोटबैंक में सेंध लगाना बड़ी चुनौती थी।
उत्तर प्रदेश सरकार में वरिष्ठ पद पर तैनात एक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, “पिछले साल मई-जून में मुसहर समुदाय के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए उच्चाधिकारियों का दबाव बढ़ने लगा। हर महीने, कभी-कभी सप्ताह में, उच्चाधिकारियों की समीक्षा बैठकें होने लगीं। उपर से सख्त निर्देश था कि मुख्यमंत्री किसी भी गांव की मुसहर बस्ती का औचक निरीक्षण कर सकते हैं इसलिए मुसहर बस्तियों के लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ मुहैया कराया जाए। इनमें शौचालय निर्माण, आवास निर्माण, गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन और राशन कार्ड को प्राथमिकता पर रखा गया।“
अगर अधिकारी की बातों पर गौर करें तो संभवतः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर मुसहरों के लिए जारी शासनादेश में चुनावी रणनीति दिखी हो जिससे वे बहुजन समाज पार्टी के दलित वोट बैंक में सेंध लगा सकें। प्रदेश के मुसहर बस्तियों के प्रति प्रशासन के रवैये और मुख्यमंत्री के स्थलीय निरीक्षण की जमीनी हकीकत को देखकर महसूस होता है कि उत्तर प्रदेश में मुसहरों के विकास की कवायद भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा है। इसलिए उन्होंने सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज विकासखंड अंतर्गत तिनताली गांव के मुसहर बस्ती को चुना जो उत्तर प्रदेश की अन्य मुसहर बस्तियों की अपेक्षा ज्यादा विकसित थी। वहीं मुख्यमंत्री ने मुसहर समुदाय बहुल वाराणसी, चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर, गोरखपुर, महाराजगंज और कुशीनगर की मुसहर बस्तियों के स्थलीय निरीक्षण की कवायद नहीं की जबकि गोरखपुर मुख्यमंत्री का संसदीय क्षेत्र रहा है और वाराणसी प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है। अगर सोनभद्र में रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के तिनताली मुसहर बस्ती के विकास की जमीनी हकीकत की पड़ताल से भाजपा की योगी सरकार का यह चुनावी एजेंडा और भी स्पष्ट हो जाता है जिसकी जमीन समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार ने तैयार कर उसे दे दी।
तिनताली मुसहर बस्ती सोनभद्र जिला मुख्यालय से महज 17 किलोमीटर दूर वाराणसी-शक्तिनगर राज्यमार्ग (एसएच-4ए) किनारे तिनताली ग्राम पंचायत में स्थित है। वर्ष 2015 से पहले यह राबर्ट्सगंज विकास खंड के ग्राम पंचायत बहुअरा का हिस्सा हुआ करता था, हालांकि उस समय भी तिनताली राजस्व गांव के रूप में अपनी भौतिक पहचान रखता था और इसकी सीमाएं सुनिश्चित थीं। तीन तरफ से इसकी सीमाओं की घेराबंदी किये हुए नाले इसे छोटे से गांव में समेटे हुए हैं जिसका क्षेत्रफल 201.65 हेक्टेयर है। जनगणना-2011 के आंकड़ों पर गौर करें तो 157 परिवारों वाले इस गांव की कुल आबादी 1207 है। इनमें 110 लोग अनुसूचित जाति वर्ग के हैं। अनुसूचित जातियों में सबसे ज्यादा आबादी मुसहर बस्ती निवासी मुसहर समुदाय की है जो मजदूरी कर जीवनयापन करते हैं। दो-तीन परिवार अन्य अनुसूचित जाति के भी हैं। कोइरी-कुशवाहा बहुल इस गांव में ब्राह्मण, अहीर, गड़ेरी, कुर्मी, कहार, कुम्हार, सोनार और मुसलमान भी हैं जो खेतिहर सीमांत किसान हैं।
तिनताली मुसहर बस्ती बहुअरा (बंगला) स्थित ग्राम-सचिवालय/प्रतिक्षालय से महज 25 मीटर दूरी पर ही है। यह बहुअरा और तिनताली ग्राम पंचायतों का विभाजन करने वाले नाले के किनारे बसी है। इसकी बसावट की शुरुआत आज से करीब छह दशक पहले हुई थी। लोग बताते हैं कि बिहार के मोहनिया इलाके के रघुवीरगढ़ निवासी सुक्खू और तत्कालीन मिर्जापुर (अब चंदौली) जिले के शीशाताली (शिकारगंज) निवासी हरिदास वनवासी गांव के किसानों के हरवाह (खेतिहर मजदूर) के रूप में पहली बार तिनताली आए थे। बाद में मुसहर जाति के अन्य छह लोग मराछू, मुराहू, सरजू, नारायण, बाबूलाल और बलदेव भी काम की तलाश में यहां आ गए। कुछ महीनों बाद वे परिवार के साथ गांव में रहने लगे। बहुअरा ग्राम पंचायत की संस्तुति पर प्रशासन ने उक्त आठ लोगों के नाम से बहुअरा(बंगला) के पास से गुजरने वाले नाले के किनारे ग्राम सभा की भूमि पट्टा कर दी जो आज तिनताली मुसहर बस्ती के नाम से जानी जाती है।
पट्टा आबंटन के संबंध में नारायण बनवासी ने बताया, “इंदिरा जी के शासनकाल में हम आठ लोगों को पट्टा हुआ था। भूमि पट्टा होने के बाद हम लोगों ने पट्टेवाली जमीन पर अपनी-अपनी झोपड़ी तान ली और परिवार के साथ रहने लगे।“
उक्त आठ लोगों का कुनबा आज करीब सवा सौ की आबादी में तब्दील हो चुका है। उनके परिवार के सदस्यों और उनके रिश्तेदारों ने करीब डेढ़ दशक पहले पास में ग्राम-सभा की बंजर जमीन पर कब्जा कर लिया और झोपड़ी बनाकर रहने लगे। चकबंदी के दौरान प्रशासन ने इसे मुसहर आबादी के नाम से सुरक्षित कर दिया जो करीब 13 बिस्वा भूमि पर आबाद है। जिला आपूर्ति एवं खाद्य रसद विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो तिनताली मुसहर बस्ती में कुल 32 राशन कार्ड आवंटित हैं। इनमें छह परिवार अंत्योदय राशन कार्डधारक हैं। अंत्योदय राशन कार्डधारकों में बिफनी पत्नी सीताराम, हीरावती पत्नी मराछू, मदेश्वरी पत्नी नारायण, सुदामिनी पत्नी उमा शंकर, चंद्रावती पत्नी राम उग्रह और बासमती पत्नी विजयी का नाम शामिल है। रमाकांत, बृजेश, सुखलाल, चंदरभान, मुखलाल आदि का कहना है कि परिवार में चार से पांच सदस्य हो चुके हैं जिससे राशन की खपत ज्यादा है। जो राशन कार्ड मिला है, उस पर मिलने वाला राशन पर्याप्त नहीं है इसलिए उन्हें अंत्योदय राशन कार्ड मिलना चाहिए जिससे सरकार की योजनाओं का लाभ उन्हें भी मिल सके।
शिक्षा के मामले में इस बस्ती की अपनी एक अलग ही कहानी है। सवा सौ आबादी वाली इस बस्ती में कोई भी पुरुष या महिला इंटर मीडिएट पास नहीं है। तिनताली मुसहर बस्ती के इतिहास में पहली बार ग्राम पंचायत सदस्य लालमनी के लड़के राजेश ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई की थी जिसकी मृत्यु हो चुकी है। बस्ती में हाई स्कूल पास एक शख्स और भी हैं जिनका नाम राम उग्रह है। राम उग्रह हरिदास वनवासी के लड़के हैं। उन्हें याद नहीं है कि उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा कब पास की थी लेकिन उन्होंने होम गार्ड की नौकरी के लिए पूरी कोशिश की थी। वे इसमें सफल नहीं हो पाए। इसके लिए वे पुलिस विभाग के अधिकारियों पर जाति के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाते हैं।
बस्ती के बच्चों में स्कूल छोड़ने की समस्या बहुत ज्यादा है। आंगनबाड़ी केंद्र और प्राथमिक विद्यालय में बच्चों का पंजीकरण हो जाता है लेकिन पूर्व माध्यमिक स्तर की शिक्षा वे हासिल नहीं कर पाते हैं। ऐसा नहीं है कि बस्ती के आस-पास कोई विद्यालय नहीं है। बस्ती से महज 100 मीटर की दूरी पर सरकार की ओर संचालित प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय स्थित है लेकिन उनके आर्थिक हालात उन्हें उनका लाभ लेने से वंचित कर देते हैं। इसके अलावा बस्तीवालों में पढ़ाई के प्रति जागरूकरता का अभाव भी है जो उन्हें उच्च स्तर तक शिक्षित होने से रोकता है। सरकार की ओर से संचालित विद्यालयों के अलावा बस्ती से आधा किलोमीटर की परिधि में करीब आधा दर्जन निजी शिक्षण संस्थान संचालित होते हैं लेकिन उनके एजेंडों में इन बस्तीवालों को शिक्षित करने का मुद्दा शामिल नहीं है जबकि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 25 प्रतिशत गरीब बच्चों का दाखिल देना उनके लिए अनिवार्य है। सरकारी सहायता हासिल करने के लिए वे नर्सरी से लेकर इंटर मीडिएट तक गरीबों को शिक्षित करने का दावा करते हैं। ग्राम पंचायत तिनताली में मुसहर बस्ती से करीब दो किलोमीटर दूर एक प्राथमिक विद्यालय जरूर है और वहीं आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन भी किया जाता है। आंगनबाड़ी केंद्र के आस-पास ब्राह्णण, कोइरी और अहीर समुदाय के लोगों का आवास है जिनके बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र पर बहुत ही कम संख्या में जाते हैं। आंगनबाड़ी केंद्र पर अधिकतर बच्चे मुसहर बस्ती के उपस्थित रहते हैं। इसके बावजूद ग्राम-पंचायत तिनताली आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण मुसहर बस्ती से दो किलोमीटर दूर प्राथमिक विद्यालय के परिसर में करा रही है। मुसहर बस्ती में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं बनवाने पर ग्राम-पंचायत के सदस्य बृजेश सोनी बताते हैं कि वहां भूमि उपलब्ध नहीं होने की वजह से प्राथमिक विद्यालय परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कराया जा रहा है।
राजस्व विभाग के दस्तावेजों पर गौर करें तो मुसहर बस्ती के पास अभी भी बहुत सी भूमि खाली है जिस पर आंगनबाड़ी केंद्र बनाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव की ओर से जारी विभिन्न शासनादेशों में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के निदेशक को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वनटांगिया/मुसहर ग्रामों और बस्तियों में कन्वर्जेंस के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्र के भवनों का निर्माण कराया जाए। इसके बाद भी ग्राम पंचायत तिनताली में उक्त निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया और ना ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दौरे के दौरान बस्ती में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने पर कोई प्रतिक्रिया दी। जिला बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक तिनताली ग्राम पंचायत में कुल 108 बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र में पंजीकृत हैं। इनमें 23 बच्चे मुसहर बस्ती के हैं जिनमें 11 लड़कियां हैं। तिनताली गांव की मुसहर बस्ती की ही दो बच्चियां खुशबू पुत्री राजकुमार और गीता पुत्री रमेश आंशिक रूप से कुपोषित हैं। दोनों डेढ़ वर्ष की है।
अगर तिनताली मुसहर बस्ती से गुजरने वाले बहुअरा (बंगला)-तिनताली माइनर संपर्क मार्ग की बात करें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास का दावा खोखला प्रतीत होने लगता है। मुख्यमंत्री के 12 सितंबर के स्थलीय निरीक्षण के दौरान सड़क की हालत देखकर साफ हो रहा है कि मुसहर बस्ती तक इस संपर्क मार्ग को रातों-रात तैयार किया गया है जबकि मुसहर बस्ती के बाद सड़क गड्ढों में तब्दील है। मुसहर बस्ती के छोटे-छोटे बच्चे इसी गड्ढे वाली सड़क से दो किलोमीटर दूर आंगनबाड़ी केंद्र जाते हैं। इसके बावजूद भाजपाई मुख्यमंत्री को मुसहर बस्ती में जिला प्रशासन के विकास की कवायद ठीक लगी और उन्होंने मुसहर बस्ती के लोगों से उनकी परेशानियों को जानने की कोशिश नहीं की।
सरकार ने मुसहर बस्ती के लोगों को शिक्षित और जागरुक करने के लिए कोई कवायद भले ही नहीं की हो लेकिन उनको हर पल नशे में डालने की व्यवस्था जरूर कर दी है। मुसहर बस्ती से महज दो सौ मीटर की दूर पर देशी शराब का ठेका दे दिया गया है जो मुसहर बस्ती के पुरुषों और युवाओं को नशे का आदी बना रहा है और वे गरीबी के दलदल से उबर नहीं पा रहे हैं। चंद्रावती बताती हैं, ‘सराब क ठेका जब दूर रहल तो ऊ कभी कबार पियत रहलैं लेकिन जबसे इहां आइल हव, ऊ दिन-रात पियले रहत हउअन। मना कइले पर भी नाहीं मानत हउअन।“
तिनताली मुसहर बस्ती में आवास योजनाओं की बात करें तो भाजपा की योगी सरकार के विशेष आदेश के बाद यहां कोई खास प्रगति नहीं हुई है। बस्ती के पट्टाधारी बाशिंदों को योगी सरकार के पहले ही इंदिरा आवास (प्रधानमंत्री आवास योजना) योजना का लाभ मिल चुका था। इसके तहत उनके पक्के मकान अभी भी बने हुए हैं। बसपा की मायावती सरकार के दौरान महामाया आवास के तहत भी कुछ लोगों के मकान बने थे क्योंकि उस समय ग्राम पंचायत बहुअरा अंबेडकर ग्राम पंचायत की सूची में शामिल था। मुसहर बस्ती स्थित सुलभ शौचालय का निर्माण उसी समय हुआ था जो अब रंग-रोगन के बाद सामुदायिक शौचालय हो गया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना की बात करें तो तिनताली ग्राम पंचायत में अब तक केवल नौ लोगों को इस योजना का लाभ मिला है जिनमें मुसहर बस्ती के रमवती, धनराज, विफनी और निर्मला का नाम शामिल है। मुसहरों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ प्राथमिकता के आधार पर देने के योगी सरकार के आदेश के एक वर्ष बाद भी उन्हें उस समय तक योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया था जब तक मुख्यमंत्री के स्थलीय निरीक्षण का कार्यक्रम तय नहीं हो गया। इसकी बानगी मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे भवन हैं।
मौसम का पारा चढ़ रहा है। इसी के साथ मुसहर बस्ती के लोगों की चिंताएं भी बढ़ रही हैं। मई, जून और जुलाई में मुसहर बस्ती में लगे दो सरकारी हैंडपंप पानी देना बंद कर देते हैं। यहां के बाशिंदों को बस्ती से करीब तीन सौ मीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। वह भी किसान की मर्जी होती है तो उन्हें पानी मुहैया कराता है, नहीं तो नहीं। बस्ती निवासी फुलचन बताते हैं , “पिछले साल गरमी में हैंडपंप पानी नाहीं देत रहलन, त हम लोगन के रजिन्दर के खेत से पानी लियावे के पड़त रहल जो आधा किलोमीटर दूर हउवै। परधान जी से टंकर चलावे के कहली जा त, ऊ सुनबै नाहीं करलैं। हैंडपंप बनवावे क कहली जा, त नाहीं बनवइलैं। जब पतरकार खबर छपलैं, त आखिर में 10 दिन खातिर टंकर चलल। फिर बंद हो गइल। एदी पारी पता नाहीं का होई। मुखमंत्रियो अइलन त पानी खातीन कुछ नाहीं कइलैं।“
उत्तर प्रदेश में मुसहरों के विकास के लिए भाजपाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा जमीनी सच्चाई से कोसों दूर है। मुख्यमंत्री के स्थलीय निरीक्षण के दौरान मीडिया की नजदीकियां और तिनताली मुसहर बस्ती का चयन भाजपा की चुनावी रणनीति और उसके प्रचार-प्रसार की ओर कुछ ज्यादा ही इशारा कर रही हैं। तिनताली मुसहर बस्ती तिनताली गांव की ऐसी बस्ती है जिसे किसी भी सरकार में सरकारी योजनाओं का लाभ प्राथमिकता के आधार पर मिलता है।
भूमिहीन गरीब मजदूरों की बस्ती की वजह से ग्राम पंचायत को सबसे पहले सरकारी योजनाओं का लाभ इसी बस्ती के लोगों को देना पड़ता है। गांव में सीमांत किसानों की बहुलता है जो इन लोगों से ज्यादा संपन्न हैं। इसी वजह से तिनताली मुसहर बस्ती के हर परिवार के पास शौचालयों का निर्माण योगी सरकार बनने से पहले ही पूरा हो चुका था। सभी परिवारों को राशनकार्ड उपलब्ध हो चुका था। अधिकतर परिवारों का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना (पूर्ववर्ती इंदिरा आवास योजना) के लिए सूचीबद्ध हो चुका था। बिजली की रौशनी भी अधिकतर घरों तक पहुंच चुकी थी। वाराणसी-शक्तिनगर राज्यमार्ग से जुड़े होने की वजह से इस बस्ती के लोगों में सरकारी विकास योजनाओं का लाभ लेने के बाबत सामूहिक आवाज अन्य गांवों के मुसहर समुदाय के लोगों की अपेक्षा ज्यादा मुखर थी जिसकी वजह से ग्राम प्रधानों को इन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ देना पड़ता था।
तिनताली बस्ती के लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के दौरान भी अपनी आवाज मुखर करना चाहते थे लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें यह मौका नहीं दिया जिससे उनके बीच आज भी उनके खिलाफ गुस्सा भरा है। तिनताली मुसहर बस्ती में प्रवेश करते ही संवाददाता को चनरी मिलीं जो सामुदायिक शौचालय के सामने एक झोपड़ी में रहती हैं। जब उनसे मुख्यमंत्री से मिलने के बाबत पूछा गया तो उन्होंने पुलिस प्रशासन पर नहीं मिलने देने का आरोप लगाया।
तिनताली मुसहर बस्ती से चंद कदमों की दूरी पर बहुअरा (बंगला) स्थित ग्राम पंचायत के प्रवेश द्वार के पास चाय की दुकान पर संवाददाता को कोल समुदाय के मंगला प्रसाद मिले। संवाददाता ने जब उनसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे और उनकी सरकार के विकास के दावों के बारे में पूछा तो वे मुख्यमंत्री के खिलाफ काफी गुस्से में दिखे और लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार भाईलाल कोल को वोट देने की बात कही।
बता दें कि ग्राम पंचायत बहुअरा में अनुसूचित जाति वर्ग में कोल समुदाय की आबादी सबसे ज्यादा है। इस बार महागठबंधन की ओर से सपा ने पूर्व सांसद भाई लाल कोल और भाजपा-अपना दल गठबंधन की ओर से अपना दल ने पूर्व सांसद पकौड़ी लाल कोल को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस-अपना दल (कृष्णा पटेल) गठबंधन ने धोबी समुदाय के भगवती प्रसाद चौधरी पर भरोसा जताया है। गौर करने वाली बात है कि तीनों गठबंधनों के उम्मीदवार राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं के लिए बाहरी हैं। तीनों मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र के निवासी हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावों और उत्तर प्रदेश में मुसहर बस्तियों के विकास की हकीकत जानने के लिए संवाददाता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का रुख किया जहां उसे हतप्रभ करने वाले तथ्य सामने आए। संवाददाता ने प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय से चार किलोमीटर दूर और भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से महज आधा किलोमीटर दूर छित्तूपुर ग्राम पंचायत स्थित दो मुसहर बस्तियों का दौरा किया जहां केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की केवल सूचनाएं ही पहुंची हैं। योजनाओं का लाभ उनके लिए केवल दिखावा है। अगर राशन कार्ड और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मिलने वाले एलपीजी गैस कनेक्शन को छोड़ दें तो उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है।
कुछ ऐसा ही हाल छित्तूपुर प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय के पास स्थित मुसहर बस्ती का है। अगर बुजुर्गों के राशन कार्ड को छोड़ दें तो किसी भी परिवार को केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिला है।
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शिव दास वरिष्ठ पत्रकार हैं और प्रधानमंत्री की संसदीय सीट बनारस से मीडियाविजिल के लिए रिपोर्ट करते हैं