मालेगांव विस्‍फोट का एक और आरोपी चुनाव में, रिटायर्ड मेजर उपाध्‍याय ने बलिया से भरा परचा


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प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बाद मालेगांव विस्फोट के एक और आरोपी मेजर रमेश उपाध्याय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की बलिया संसदीय सीट से नामांकन दाखिल किया है।

मालेगांव विस्फोट में मुख्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जमानत पर रिहा होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ़ भोपाल लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रही हैं और पिछले दिनों उनके विवादास्‍पद बयान व झूठ बहस का विषय रहे। अब मेजर रमेश उपाध्याय को अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने अपना उम्मीदवार बनाया है।

शुक्रवार को नामांकन दाखिल करने के बाद मेजर रमेश उपाध्याय ने 26/11 के हमले में शहीद हुए तत्‍कालीन मुंबई एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर द्वारा दिए गए विवादित बयान से सहमति जताई। उपाध्‍याय ने कहा कि कोई पुलिस वाला कहीं भी मरे, वो शहीद नहीं कहलाता। शहीद केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व सैनिक होते हैं।

रमेश उपाध्याय ने कहा कि उन सभी पर कार्रवाई तत्कालीन कांग्रेस सरकार, सोनिया गांधी और अहमद पटेल, पी चिदंबरम और सुशील कुमार शिंदे, दिग्विजय सिंह के निर्देश पर हो रही थी। नौकरशाही उनकी पिठ्ठू बनी हुई थी।

सितम्बर 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए धमाकों के एक और आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी भी उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर से चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। अब तक मालेगांव से जुड़े तीन आरोपी चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। इन तीनों पर अगल-अलग धाराओं में आतंकवाद के कई गंभीर आरोप दर्ज़ हैं और ध्यान देने वाली बात है कि मौजूदा एनडीए की सरकार में ही ये तीनों जमानत पर बाहर आए हैं।

मुंबई पुलिस और एटीएस के पूरक आरोपपत्र का हिस्‍सा

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि हिन्दू कभी भी आतंकवादी नहीं हो सकता। हाल ही में एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में मालेगांव विस्फोट की मुख्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भाजपा द्वारा भोपाल से टिकट देने के सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल और सोनिया गांधी का नाम लिए बिना कहा था कि अमेठी और रायबरेली के उम्मीदवारों पर भी सबूत के साथ आरोप हैं और मां-बेटे दोनों जमानत पर बाहर हैं। उनसे कोई सवाल नहीं पूछता। एक हिन्दू साध्वी से सब सवाल कर रहे हैं?

मालेगांव ब्लास्ट की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) कर रही थी और उसने अदालत में इन सभी आरोपियों के खिलाफ़ कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं किया। परिणामस्वरूप आतंकवाद के अधिकतर आरोपी आज जमानत पर बाहर आकर चुनावी मैदान पर हैं!


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