गिरीश मालवीय कल 2019 के चुनावों के मद्देनजर मेरठ में पीएम मोदी के चुनावी अभियान का पहला भाषण सामने आया और एक बार फिर से विद्रूप अभिनय से भरे संबोधनो के अपने ही…
जागरण ने भी कह दिया कि मोदी योगी ध्रुवीकरण को हवा दे रहे हैं रवीश कुमार दैनिक जागरण, महासमर 2019, पेज नंबर 6। इस पर चुनाव की चार बड़ी-बड़ी रिपोर्ट हैं। पहली रिपोर्ट…
आंगनवाड़ी की भूमिहार कर्मचारी और उसका बेटा कन्हैया कुमार जिग्नेश मेवानी यही है वह आंगनवाडी की गरीब मजदूर मां (ऊपर चित्र देखें, कन्हैया और जिग्नेश मेवानी के मध्य कन्हैया की माँ हैं ),…
पुण्य प्रसून वाजपेयी मोदी कैबिनेट के चेहरे रविशंकर प्रसाद को पटना एयरपोर्ट पर काले झडे दिखा दिये जाते हैं। झंडे दिखाने वाले बीजेपी के ही राज्यसभा सदस्य आर.के सिन्हा के समर्थक थे।…
मान लिजिये ये सपने में लिखा गया आलेख है। और अब सपना टूट गया।
2018 के बाद से जिन नौ राज्यों में चुनाव हुए हैं उनमें से त्रिपुरा को छोड़ शेष सभी में भाजपा की हार हुई है।
अजित साही ऐसा माना जाता है कि बीजेपी को अधिकाधिक हिंदुओं का समर्थन प्राप्त है. ये झूठ है. सच ये है कि जितने हिंदू बीजेपी को वोट देते हैं उससे अधिक हिंदू बीजेपी…
इनमें सरकार को चलाने की कोई योग्यता नहीं है।इस पार्टी पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता है।
खुद को लोहिया का राजनैतिक वारिस बताने वाले भी उनकी वैचारिकी से काफी दूर हो गये.
जिन लोगों को इस देश का अल्पसंख्यक तबका अपना रहनुमा समझता हैं वो सब के सब मुर्दा शांति से भरे हुए हैं
सआईएस के संस्थापक आर के सिन्हा हैं, जो भाजपा के सबसे अमीर राज्य सभा सांसद हैं सिन्हा जी बिहार से ताल्लुक रखते हैं और हिंदुस्थान समाचार करके एक न्यूज़ एजेंसी चलाते हैं इसका…
एनएसएसओ के सर्वे से पता चलता है कि रोज़गार के मौक़े कमतर होते जा रहे हैं और दूसरी तरफ़ लोगों के हाथ से काम छीन भी रहा है.
प्नसून को निकालने वालों ने आपको संदेश भेजा है। अब आप पर निर्भर करता है कि आप चुप हो जाएं। भारत को बुज़दिल इंडिया बन जाने दें या आवाज़ उठाएं
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तथा अन्य नेताओं ने कह दिया है कि 2019 के आम चुनाव के बाद भी केंद्र में फिर एनडीए की सरकार बनेगी और मोदी जी ही प्रधानमन्त्री बनेंगे।
न्यूज़ीलैंड में अमेरिका का उदाहरण बहुत काम आ रहा है. जिस तरह से डोनल्ड ट्रंप और अतिवादी दक्षिणपंथ ने एक वैकल्पिक मीडिया परिवेश बनाया तथा मुख्यधारा की मीडिया को अपने प्रचार के हथियार…
बंजारों की त्रासदी है कि उन्हें तमाशा बनाकर लोग विदेश घूम रहे हैं जबकि उनके जीवन में रत्ती भर भी फर्क नहीं आया।
संख्या का पैमाना और उसका बल एक निरपेक्ष शासन व्यवस्था और विशेष रूप से जनतंत्र जैसी व्यवस्था का सबसे बड़ा शत्रु है
यह किताब उनके शोध और अनुभवों के लिए तो पढ़िए ही, उनकी भाषा के लिए भी पढ़ें
देश का बहुसंख्यक समाज मिलकर अपने हक की लड़ाई लड़े तो व्यवस्था में भागीदारी को साजिश के तहत ख़त्म करने पर तुली शक्तियों को झुकना ही पड़ेगा
समूह में आपसी चर्चा के बाद लोग अक्सर मध्यमार्गी होने की जगह ज्यादा कट्टर बन जाते हैं.
चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही देश में चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गयी है.
वाजपेयी ने कहना शुरू किया- “श्रीमान स्पीकर,हमें अभी-अभी यह खबर मिली है।’’ इस पर नागपुर से सांसद विलास मुत्तमवार ने टोका कि अभी नहीं ‘आधे घंटे पहले।’ टोकाटोकी से चिढ़े वाजपेयी बोले- ‘आपकी…
दुनिया भर में भारतीय मीडिया की ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयानबाज़ी और रिपोर्टिंग का मखौल उड़ रहा है.
कोई तो वजह होगी कि वक़ील होने के बावजूद महात्मा गाँधी ने आवाम को न्याय दिलाने के लिए कभी भी अदालत का दरवाज़ा नहीं खटखटाया?
काशी में तबाही के पहले चरण का आज प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन