प्रालीन पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट (Praleen Public Charitable Trust), अहमदाबाद द्वारा वकीलों के लिए आयोजित एक वर्कशॉप में सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने “भारत में राजद्रोह कानून और अभिव्यक्ति की आज़ादी”…
असल में संकट ये है कि पुराना मर रहा है और नया पैदा नहीं हो सकता। इस बीच की खाली जगह में लागातार अलग-अलग तरह की बीमारियों के लक्षण पनप रहे हैं। –…
आज 9 अगस्त है। अगस्त क्रांति का दिन। 1942 के इस दिन एक ऐसी क्रांति की शुरुआत की जिसने पूरे भारत को अपने चपेट में ले लिया था। आज़ाद होने की चाहत ने…
अनुच्छेद 370 को हटाने के नाम पर संसद के अंदर और बाहर, स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों को लेकर जैसे झूठ बोले गए, वह हैरान करने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे हटाने को…
बीते 28 जुलाई 2019 को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में रोसालिंड विल्सन मेमोरियल लेक्चर के दौरान न्यायमूर्ति ए पी शाह ने “जजों का आंकलन करना: जवाबदेही और पारदर्शिता की ज़रुरत” (Judging the…
हिंदी के लोकप्रिय टीवी पत्रकार रवीश कुमार को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई है। इस घोषणा पर सोशल मीडिया में जश्न जैसा माहौल है और यह स्वाभाविक भी है। आज…
कांग्रेस पार्टी की सेवा करना मेरे लिए गौरव की बात है, जिसके मूल्यों और आदर्शों ने हमारे सुंदर राष्ट्र के निर्माण में रक्त का काम किया है। मेरे देश और संगठन ने मुझे…
भगत सिंह की फांसी के तुरंत बाद कराची में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ. यहां महात्मा गांधी ने खुद भगत सिंह की शहादत पर एक प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव को कांग्रेस में रखने…
सोलहवीं लोकसभा चुनने के लिए 2014 में हुआ आम चुनाव पिछले सभी आम चुनावों के मुकाबले कई मायनों में खास रहा। खास इस मायने में कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र…
कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए ने 2009 का चुनाव अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अपनी सरकार के संतोषजनक प्रदर्शन के सहारे लड़ा। इस चुनाव में उसे उसकी मनरेगा जैसी कल्याणकारी महत्वाकांक्षी योजना के कारण…
हम लोग यह नहीं भूल सकते कि हिटलर ने जर्मनी में जो कुछ किया वह ‘कानूनी’ था और हर वह चीज़ जिसे हंगरी के स्वतंत्रता सेनानियों ने किया वह ‘गैरकानूनी’ था। हिटलर के…
चौदहवीं लोकसभा के लिए आम चुनाव 1999 में सितंबर-अक्टूबर के दौरान हुए थे। इस लिहाज से 14वीं लोकसभा के चुनाव 2004 में सितंबर-अक्टूबर के दौरान होना थे, लेकिन भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन…
देश में गठबंधन की राजनीति का दौर अपने शैशवकाल में ही था, लिहाजा राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी जारी था। भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन यानी एनडीए की सरकार 1998 में महज तेरह…
अमरेश मिश्र के कई परिचय हैं। पत्रकारिता जगत उन्हें 26/11 को हुए हमले की कॉन्सपिरेसी थियरी का प्रसारक मानता है। अकादमिक और प्रकाशकीय जगत के लिए वे 1857 के गदर के इतिहासकार हैं।…
जीवन भर कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार के दरबारी रहे और संयोगवश कांग्रेस के अध्यक्ष बने सीताराम केसरी की बेलगाम महत्वाकांक्षा और सनक भरी जिद के चलते महज दो साल से भी कम समय…
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कामकाज पर बहुत कुछ अच्छा और ख़राब कहा जा सकता है, लेकिन इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें कई…
1989 के आम चुनाव के बाद मंडल और कमंडल ने जहां भारतीय राजनीति का व्याकरण बदल दिया तो 1991 के आम चुनाव के बाद बनी पीवी नरसिंह राव की सरकार ने भारत की…
चंद्रशेखर सरकार के 6 मार्च, 1991 को इस्तीफे के साथ ही लोकसभा भंग हो गई और महज डेढ़ वर्ष के भीतर ही देश को मध्यावधि चुनाव का सामना करना पड़ा। चंद्रशेखर महज लगभग…
नर्मदा किनारे बसा हुआ महाराष्ट्र का मणिबेली गांव राज्य की मतदाता सूची में पहला गांव है। मणिबेली का वलसंग बिज्या वसावे, दामजा गोमता का पोता, इस लोकसभा चुनाव की सूची में राज्य का…
दस साल (1989-1999), पांच आम चुनाव, खंडित जनादेश, त्रिशंकु लोकसभा, बनती-गिरती सरकारें, छह प्रधानमंत्री, लोकसभा में विश्वास-अविश्वास प्रस्ताव का सिलसिला, कांग्रेस का उभार, भाजपा का उभार, जनता दल नाम का बिखरता कुनबा, यथास्थितिवाद…
चुनावी राजनीति के इतिहास में जब भी बिहार के बेगूसराय का जिक्र होता है, तो उसे अक्सर कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) का गढ़ बता दिया जाता है। गढ़ पुराने ज़माने के राजा-महाराजाओं के सुरक्षित…
आठवीं लोकसभा के लिए 1984 में हुआ आम चुनाव असाधारण था। लगभग दो दशक तक देश की राजनीति का केंद्र बिंदु बनी रहीं एक वीरांगना की हत्या हो गई थी। पहली बार देश…
आपातकाल के दुर्भाग्यपूर्ण कालखंड की कोख से 1977 में जिस नए गैर-कांग्रेसी प्रयोग का जन्म हुआ उसने 1980 आते-आते दम तोड़ दिया। जनता पार्टी में शामिल विभिन्न घटक दलों के नेताओं ने अपनी…
आजाद भारत के चुनावी इतिहास में 1977 का आम चुनाव हमेशा बेहद शिद्दत से याद किया जाएगा क्योंकि यह आम चुनाव इससे पहले और इसके बाद अब तक हुए सभी आम चुनावों से…
बरतानवी हुकूमत से देश के आजाद होने के साथ ही जिस तरह महात्मा गांधी की कांग्रेस अनौपचारिक रूप से समाप्त हो गई थी, ठीक उसी तरह जवाहरलाल नेहरू की कांग्रेस भी उनकी मौत…