झारखंड में ‘बांग्लादेशी घुसपैठियों’ के नाम पर फैलाये गये बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश


चुनाव से पहले राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मक़सद से संथाल परगना में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के बसने, आदिवासियों की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने और आदिवासी महिलाओं से विवाह करने से जुड़े बीजेपी के तमाम दावों को लेकर झारखंड जनाधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान की टीम ने जाँच की और उन्हें ग़लत पाया।




झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों को मुद्दा बनाकर मुस्लिम विरोधी घृणा फैलाने के बीजेपी के षड्यंत्र का बड़ा खुलासा हुआ है। चुनाव से पहले राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मक़सद से संथाल परगना में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के बसने, आदिवासियों की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने और आदिवासी महिलाओं से विवाह करने से जुड़े बीजेपी के तमाम दावों को लेकर झारखंड जनाधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान की टीम ने जाँच की और उन्हें ग़लत पाया।

इन आरोपों के अलावा झारखंड में हाल में हुई कई हिंसक घटनाओं के लिए बीजेपी ने कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों को ज़िम्मेदार ठहराया था। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने इसकी जाँच के लिए संथाल परगना इलाके के प्रमुख गांवों और घटनास्थलों का दौरा किया, जिनमें गायबथान, तारानगरइलामी, गोपीनाथपुर, कुलापहाड़ी और केकेएम कॉलेज शामिल हैं। फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम की रिपोर्ट के अनुसार, उसने स्थानीय लोगों, पीड़ितों, आरोपियों, ग्रामीणों, ग्राम प्रधानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से विस्तृत बातचीत की। साथ ही, 1901 से अब तक की जनगणना के आंकड़े, गजेटियर और क्षेत्रीय डेमोग्राफी से संबंधित शोध पत्रों का अध्ययन किया। राँची प्रेस क्लब में मीडिया के सामने रिपोर्ट जारी करते हुए टीम ने बताया कि ज़मीनी हकीकत भाजपा के सांप्रदायिक दावों से कोसो दूर है।

रिपोर्ट के मुताबिक, गायबथान गांव में आदिवासी और मुसलमान परिवारों के बीच लगभग 30 वर्षों से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। 18 जुलाई को विवाद के दौरान मारपीट हुई। इसके बाद 27 जुलाई को केकेएम कॉलेज के आदिवासी छात्र संघ ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके एक दिन पहले रात को पुलिस ने कॉलेज के छात्रावास में छात्रों की पिटाई की।

 

तारानगरइलामी

तारानगरइलामी में एक हिंदू लड़की की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हिंदू परिवारों ने एक मुसलमान परिवार पर हमला कर दिया। इस घटना के बाद अफवाह फैली कि मुसलमान महिला की मौत हो गई है, जिससे मुसलमानों ने हिंदू टोले में तोड़फोड़ की।

 

गोपीनाथपुर में कुरबानी को लेकर विवाद

गोपीनाथपुर में बकरीद के दौरान कुरबानी को लेकर विवाद हुआ। इस विवाद में मुसलमानों और हिंदुओं के बीच हिंसा भड़क गई।

फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार करने वाले दल का कहना है कि भाजपा के राज्य और राष्ट्रीय स्तर के नेता बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठियों को इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन टीम ने पाया कि जिन घटनाओं का उल्लेख किया गया है, वे स्थानीय समुदायों और निवासियों के बीच ही हुई हैं। इन गांवों के किसी भी ग्रामीण ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के बसने की बात नहीं की।

यहां तक कि तारानगरइलामी में रहने वाले भाजपा के मंडल अध्यक्ष ने भी कहा कि उनके क्षेत्र में सभी मुसलमान स्थानीय निवासी हैं। इसी गांव के मामले को बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा हिंसा का मामला बनाकर संसद में उठाया था। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कई गांवों का दौरा किया और सभी गांवों के ग्रामीणों, शहर के लोगों, छात्रों, जन प्रतिनिधियों आदि से पूछा कि किसी को बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में जानकारी है या नहीं। सभी ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है। जब पूछा गया कि घुसपैठियों के बारे में उन्होंने कहां सुना है, तो सभी ने कहा कि सोशल मीडिया पर सुना है, लेकिन कभी देखा नहीं है। चाहे जमीन लेकर बसने की बात हो, आदिवासी महिलाओं से शादी की बात हो या हाल की हिंसा की बात हो, इनमें बांग्लादेशी घुसपैठियों का कोई सवाल नहीं है।

 

फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के निष्कर्ष

सामाजिक विवादों का सांप्रदायिकरण: भाजपा नेताओं द्वारा स्थानीय विवादों को बांग्लादेशी घुसपैठियों से जोड़कर सांप्रदायिक मुद्दा बनाया गया है। आदिवासी महिलाओं के निजी जीवन को सांप्रदायिक बयानों से जोड़कर उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन किया गया है। इलाके में आदिवासी महिलाओं द्वारा हिंदूमुसलमान गैरआदिवासियों से शादी करने के कई उदाहरण हैं। इन महिलाओं ने अपनी सहमति और आपसी पसंद से शादी की है। राजनीतिक दलों और आम लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर महिलाओं की सूची और उनके निजी जीवन से जुड़ी बातें प्रसारित की गयीं जो उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

 

भाजपा द्वारा बांग्लादेशी मुसलमानों के दावे: अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य और भाजपा नेता आशा लकड़ा ने 28 जुलाई को एक प्रेस वार्ता में संथाल परगना क्षेत्र की 10 आदिवासी महिला जन प्रतिनिधियों और उनके मुसलमान पति के नाम की सूची जारी की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि रोहिंग्या मुसलमान और बांग्लादेशी घुसपैठिये आदिवासी महिलाओं को फंसा रहे हैं। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कई महिलाओं से मुलाकात की, लेकिन ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया जहां बांग्लादेशी घुसपैठिए से शादी की गई हो। ग्रामीणों को भी ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है। इन 10 महिलाओं में से 6 ने स्थानीय मुसलमानों से शादी की है और चार के पति तो आदिवासी ही हैं।

 

झूठे दावे: फैक्ट फाइंडिंग के दौरान यह पाया गया कि भाजपा द्वारा उठाए गए मुद्दों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का कोई सबूत नहीं मिला। स्थानीय लोग और क्षेत्रीय अधिकारी भी इन दावों को खारिज करते हैं।

  • आदिवासी ज़मीन क़ानून का उल्लंघन: संथाल परगना टेनेंसी एक्ट का व्यापक उल्लंघन हो रहा है। आदिवासी अपनी ज़मीन गैरआदिवासियों को अनौपचारिक और गैरकानूनी तरीकों से बेच रहे हैं, जो उनकी आर्थिक स्थिति की कमजोरी को दर्शाता है।
  • संथाल परगना में आदिवासियों की सामाजिक और आर्थिक समस्याएं: संथाल परगना समेत राज्य के अन्य क्षेत्रों में आदिवासियों की कमजोर आर्थिक स्थिति, एसपीटीए का उल्लंघन, सरकारी नौकरियों पर गैरआदिवासियों का कब्जा, अपर्याप्त पोषण, स्वास्थ्य व्यवस्था की कमी और आर्थिक तंगी के कारण आदिवासियों की उच्च मृत्यु दर पर सरकार की कार्रवाई निराशाजनक है।
  • आदिवासियों की जनसंख्या में गिरावट: भाजपा लगातार दावा कर रही है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के चलते पिछले 24 वर्षों में आदिवासियों की जनसंख्या 10-16% कम हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी घुसपैठियों के बसने का कोई प्रमाण नहीं है। जनगणना के आंकड़ों के अनुसार संथाल परगना क्षेत्र में 1951 में 46.8% आदिवासी, 9.44% मुसलमान और 43.5% हिंदू थे। 1991 में आदिवासियों की जनसंख्या 31.89% थी और मुसलमानों की 18.25% 2011 की जनगणना के अनुसार, क्षेत्र में 28.11% आदिवासी, 22.73% मुसलमान और 49% हिंदू थे। 1951 से 2011 के बीच हिंदुओं की आबादी 24 लाख बढ़ी है, मुसलमानों की 13.6 लाख और आदिवासियों की 8.7 लाख। आदिवासियों की जनसंख्या में गिरावट के मुख्य कारण अपर्याप्त पोषण, स्वास्थ्य व्यवस्था और आर्थिक तंगी हैं, बांग्लादेशी घुसपैठियों की मौजूदगी इन कारणों में शामिल नहीं है।
  • भाजपा के सांप्रदायिक दावे और वास्तविकता: भाजपा द्वारा प्रस्तुत आंकड़े और दावे असत्य हैं। आदिवासियों की जनसंख्या में गिरावट के वास्तविक कारणों को समझने की आवश्यकता है।


राज्य
सरकार से माँग:

झारखंड जनाधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान ने राज्य सरकार से निम्नलिखित मांगें की हैं:

  1. भाजपा और अन्य किसी भी नेता या सामाजिक संगठन द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठिये, लैंड जिहाद, लव जिहाद जैसे शब्दों का उपयोग, जो विभिन्न घटनाओं को इनसे जोड़कर सांप्रदायिकता फैलाने के लिए किया जाता है, के खिलाफ कार्रवाई की जाए। किसी भी परिस्थिति में समाज के तानेबाने को तोड़ने दिया जाए।
  2. गायबथान, तारानगरइलामी, गोपीनाथपुर, कुलापहाड़ी और केकेएम कॉलेज की घटनाओं में पुलिस दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें। केकेएम कॉलेज के छात्रावास में छात्रों पर हुई हिंसा के लिए दोषी पुलिस अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
  3. संथाल परगना टेनेंसी एक्ट का सख्ती से पालन किया जाए। किसी भी परिस्थिति में आदिवासी ज़मीन गैरआदिवासियों को बेची जाए। जल्द से जल्द रिविजनल सर्वे पूरा कर सर्वे रिपोर्ट जारी की जाए।
  4. पांचवी अनुसूची और पेसा प्रावधानों का कड़ाई से पालन हो। साहिबगंज और पाकुड़ समेत संथाल परगना के अन्य जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की जानकारी देने के लिए स्थापित फोन व्यवस्था को तुरंत रद्द किया जाए।
  5. संथाल परगना समेत राज्य के सभी पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासियों की आर्थिक स्थिति, कम जनसंख्या वृद्धि दर, गैरआदिवासियों का बसना, गैरआदिवासियों का नौकरियों पर कब्जा और आदिवासियों का पलायन आदि पर अध्ययन के लिए राज्य सरकार एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करे।