मन की बात वाले के ‘मौन’ के बीच केजरीवाल को संविधान बचाने और ब्रजभूषण को चुनाव जीतने का भरोसा 

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


आज की खबरों से जाहिर है, भाजपा अपनी पर और विरोध जारी 

 

आज हिन्दुस्तान टाइम्स की लीड का शीर्षक है, “हमारी लड़ाई संविधान की रक्षा की है : मुख्यमंत्री”। यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया और द हिन्दू में पहले पन्ने पर नहीं है। लेकिन वहां क्या है, बताने से पहले आपको बता दूं कि इंडियन एक्सप्रेस में यह शीर्षक और गंभीरता से है। दिल्ली पर नियंत्रण को लेकर विवाद और गंभीर हुआ – फ्लैग शीर्षक के साथ मुख्य शीर्षक है, केजरीवाल ने उन राज्यों को चेतावनी दी जो भाजपा के साथ नहीं हैं और कहा, अगली बारी आपकी है, अध्यादेश को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। इस खबर का इंट्रो है कि ‘अध्यादेश से पता चलता है कि मोदी सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं करते हैं।’ इसके साथ एक खबर का शीर्षक है, भाजपा ने पलटवार किया:” भ्रष्ट, अशिष्ट नवाब …. दिल्ली को नष्ट करने में लगे हैं।” कहने की जरूरत नहीं है कि अगर केजरीवाल दिल्ली को नष्ट करने में लगे हैं तो मोदी जी चुप रहकर या मन की बात करके भारत और संविधान का क्या कर रहे हैं यह भी बताना चाहिए। जो भी हो, मामला चिन्ताजनक है। टाइम्स ऑफ इंडिया में अरविन्द केजरीवाल की पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर है। वहां इसका शीर्षक है, अध्यादेश पर मुख्यमंत्री ने दूसरे राज्यों को चेतावनी दी, अगली बारी आप की है। द हिन्दू में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। हो सकता है अंदर के पन्ने पर हो। हालांकि अभी वह मुद्दा नहीं है क्योंकि हिन्दू में जो लीड है वह कम महत्वपूर्ण नहीं है। 

आप जानते हैं कि मणिपुर में तीन मई से हिंसा शुरू हुई तो सरकार कर्नाटक में चुनाव प्रचार कर रही थी। और तनाव का मामला अभी खत्म नहीं हुआ है।  केंद्रीय गृह मंत्री के दौरे के बाद दोनों समुदायों की मांगों और आपत्तियों के बारे में तफ्सील से जानकारी ली गई थी। केंद्र और राज्य की सरकारें मणिपुर में शांति बहाल करने की कोशिश करती दिख तो रही हैं लेकिन विवाद सामुदायिक हिंसा या उस कारण नहीं है, बल्कि सत्ता और जमीन में हिस्सेदारी तक उलझी हुई है। विवाद और उसके लंबा चलने का कारण चाहे जो हो। सच यह है कि सरकारी कोशिशों का असर नहीं हो रहा है।  केंद्र सरकार ने एक शांति समिति बनाई है लेकिन आज की खबर बता रहा है कि इसमें मुख्यमंत्री को भी रखा गया है और इसलिए कुकी इस समिति का बायकाट करेंगे। खबर में जो विवरण है उसके अलावा उपशीर्षक में बताया गया है कि समिति में रखे ज्यादातर लोगों से उनकी पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी। ऐसे में यह कैसी समिति है और इससे क्या उम्मीद की जाये। 

इंडियन एक्सप्रेस में मणिपुर की यह खबर सिंगल कॉलम में है। इस तरह भाजपा के केंद्र सरकार की हालत यह है कि वह मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए मन की बात कर रही है और केंद्र की सत्ता नहीं चला पाने या उसकी खुशी में फूले नहीं समाने के बावजूद चाहती है कि दिल्ली की सरकार भी उसके नियंत्रण में रहे और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में हारने के बाद अध्यादेश ले आई है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दावा कर रहे हैं कि इससे पास नहीं होंगे देंगे (नवोदय टाइम्स)। इस हालत में प्रधानमंत्री तो हमेशा की तरह चुप है, केंद्रीय गृह  मंत्री अमित शाह तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में पांव जमाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा के लिए वोट मांगे और कहा, चाहता हूं कि मोदी की अगली सरकार में तमिलनाडु के मंत्री देखना चाहता हूं। द टेलीग्राफ में इस खबर का शीर्षक है, शाह ने सेंगोल की ‘कीमत’ बताई : तमिलनाडु की 25 सीटें।    

कल मैंने बताया था कि दिल्ली पुलिस ने पहलवानों से उनके आरोप के समर्थन में वीडियो सबूत मांगा। खबर में बताया गया था कि पहलवानों ने कहा कि सबूत दिये जा सके हैं. ऐसे में आज इस खबर का फॉलो अप होना चाहिये था। लेकिन फॉलोअप की जगह ब्रजभूषण शरण सिंह की रैली की खबर छपी है। द टेलीग्राफ में यह लीड है। इसके साथ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अमेठी में एक पत्रकार से भिड़ंत और केरल में एक पत्रकार को गिरफ्तारी की खबरों को एक साथ मिलााकर इसे एक संयुक्त शीर्षक दिया है, जो हिन्दी में कुछ इस प्रकार होगा, मोदी के ब्रांड एम्बैसडर और उनके काबिल अनुयायी। 

टाइम्स ऑफ इंडिया में ब्रज भूषण शरण सिंह की खबर सेकेंड लीड है और इंडियन एक्सप्रेस में बॉटम स्प्रेड। हर जगह खबर और शीर्षक यही है कि ब्रजभूषण सिंह ने अपनी ताकत दिखाई और कहा कि अगला लोकसभा चुनाव फिर लड़ेंगे। वे आश्वस्त हैं कि उनके खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं होने वाली और राहुल गांधी की सदस्यता भले चली गई वे चुनाव लड़ेगें और जीतेंगे भी। कहने की जरूरत नहीं है क उन्हें अपने नेता और उनकी ताकत पर भरोसा है और वे गा सकते हैं, दे दी हमें आजादी कवच और सेंगोर के साथ, वडनगर के चाय वाले तूने कर दिया कमाल!! इन और ऐसी खबरों के बीच हिन्दुस्तान टाइम्स ने आज बताया है कि चार पहलवानों ने दिल्ली पुलिस के साथ ऑडियो और विजुअल सबूत साझा किये हैं। 

द टेलीग्राफ की पहले पन्ने की एक खबर के अनुसार कई रिटायर आईपीएस अफसरों ने पहलवानों के मामले में दिल्ली पुलिस पर समझौता करने का आरोप लगाया है और कहा है कि इसका संभावित कारण राजनीतिक हस्तक्षेप लगता है। अखबार ने इस खबर में सीबीआई के एक पूर्व निदेशक के हवाले से लिखा है, पहलवानों के मामले में खेल मंत्री के बयान से पता चलता है कि इस गंभीर मामले को पुलिस ने अभी तक कैसे हैंडल किया है। किसी मामले की प्रगति और चार्जशीट दायर किए जाने के बारे में बोलने वाले मंत्री कौन होते हैं। इससे राजनीतिक हस्तक्षेप साफ दिखाई पड़ता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर एफआईआर दायर हुई और अभी तक पुलिस ने कुछ नहीं कहा है। अचानक खेल मंत्री कहते हैं कि जांच 15 जून तक पूरी हो जाएगी। यह राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं तो क्या है। यह एक ऐसी जांच लगती है जिसमें पूरी तरह समझौता किया जा चुका है।      

 

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।