भाजपा का हेडलाइन मैनेजमेंट पहलवानों की खबर को पहले पन्ने पर ले आया!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


 

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन दो तरह से काम कर रहा है, ये तो होना ही था

आज जानिये कि पहलवानों का मामला निपटाने के लिए सरकारने क्या किया

 

किसानों से हारने के बाद नरेन्द्र मोदी पहलवानों से भी हार रहे हैं। हालांकि लड़ भी वे अपनी तरफ से ही रहे हैं या कहिये कि मन की बात कर रहे हैं। उन्होंने पदक लाने वाले पहलवानों की राजनीतिक ताकत का भी गलत अनुमान लगाया और नतीजा यह है कि पहलवानों की खबर आज द हिन्दू को छोड़कर मेरे सभी अखबारों में पहले पन्ने पर है। हेडलाइन मैनेजमेंट के बावजूद। द हिन्दू में लीड के अलावा एक ही खबर है (आधे पेज का विज्ञापन है), आईएस समूह से संपर्क वाले टेरर मोड्यूल का खुलासा; 4 गिरफ्तार। बाकी अखबारों में पहलवानों की खबर को महत्व मिलने का असर यह होगा कि अब सरकार के खिलाफ खबरें छपने लगेंगी या कहिये कि ज्यादा छपेंगी। 

आज की खबरों के विस्तार में जाने से पहले बता दूं कि लोकतंत्र के तथाकथित नए मंदिर के उद्घाटन और उसमें सेंगोल की स्थापना के साथ जंतरमंतर पर लोकतंत्र की पुलिसिया पूजा और ‘अंत्योष्टि’ के बाद मंत्रियों की सक्रियता और यह आश्वासन कि 15 जून तक चार्जशीट दायर हो जाएगी तथा इसके साथ ये खबरें कि पहलवानों ने ब्रृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की शर्त छोड़ दी है, से साफ हो चला था कि भाजपा हेडलाइन मैनेजमेंट में लग गई है। जो हुआ, जैसे हुआ, उसका असर है कि आज खबर पहले पन्ने पर आ गई। दिलचस्प यह है कि इस मामले में पहले ही कई खबर कर चुके इंडियन एक्सप्रेस में गोंडा राज (गुंडा राज नहीं) की अलग खबर भी है। 

सोनीपत में पंचायत की पहलवानों की खबर आज कोलकाता के द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर लीड है। टेलीग्राफ में पहलवानों की खबर छपती रही है और शायद इसीलिए द टेलीग्राफ का शीर्षक दूसरे सभी अखबारों से अलग है और सात कॉलम में सिर्फ चार शब्द हैं, ‘अपमान’ और ‘भारी दबाव’। इस मुख्य शीर्षक के साथ दो अलग खबरों के दो शीर्षक  भी मोटे तौर पर अंग्रेजी में चार-चार शब्दों के ही हैं। पहला शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, विनेश ने प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाया। दूसरा शीर्षक है, पहलवानों ने एशियाड से संबंधित चेतावनी जारी की। आज मैं दूसरी खबरों की चर्चा नहीं कर रहा हूं। आज हेडलाइन मैनेजमेंट के धाराशायी होने को ही समझते हैं। 

द टेलीग्राफ ने अपनी इस लीड खबर के साथ दो महिला पहलवानों, विनेश फोगट और साक्षी मलिक की तस्वीर छापी है। दोनों के कैप्शन में इनका नाम है और बताया गया है कि तस्वीर शनिवार की सोनीपत की है। विनेश फोगट की तस्वीर रायटर की है और साक्षी मलिक की पीटीआई की। इन दोनों खिलाड़ियों के अलावा खबर के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अनुराग ठाकुर की फोटो है। प्रधानमंत्री की फोटो के साथ कहा गया है, विनेश फोगट ने कहा, यह भावनात्मक रूप से बहुत नुकसानदेह रहा है, (कि) प्रधानमंत्री ने इस केस के बारे में कुछ नहीं कहा है। फोगट ने आगे कहा, पर वे (ठाकुर की फोटो के नीचे लिखा है) मेरी चिन्ताओं को सुनने के इच्छुक थे ही नहीं …. जब मैं उनसे बात कर रही थी तो वे अपने फोन पर व्यस्त थे।   

हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर तीन कॉलम में फोटो के साथ सेकेंड लीड है। शीर्षक सरकार की उम्मीद पर पानी फेरने वाला, “अगर गिरफ्तारी नहीं होती है तो आंदोलन फिर शुरू करेंगे : पहलवान”। दो कॉलम में फोटो का कैप्शन है, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक सोनिपत में शनिवार को आयोजित एक महापंचायत में। आज की खबरों से साफ है कि बजरंग दल को बजरंग बली के बराबर करके चुनाव हारने के बाद भाजपा के लिए बजरंग पूनिया को कम आंकना महंगा पड़ सकता है। और इस लिहाज से आज की खबरें ही कम नहीं हैं। 

टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर टॉप पर सिंगल कॉलम की इस खबर का शीर्षक बजरंग पूनिया का सीधा आरोप है, ब्रज भूषण जांच प्रभावित कर रहे हैं। मनीष सिसोदिया को जमानत नहीं मिलने का एक कारण यह भी बताया गया है कि बाहर रहकर वे गवाहों (और जांच को भी) प्रभावित कर सकते हैं। उस मामले में मैंने लिखा था कि अगर जांच प्रभावित हो सकती है तो मनीष की पूरी पार्टी  और उनके तमाम शुभचिन्तक बाहर हैं और इस आधार पर तो सबको बंद किया जा सकता है। जो भी हो, वहां मनीष को जमानत नहीं यहां बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी नहीं और कहने के लिए कानून की नजर में सब बराबर है। स्कूलों में पढ़ाया जाता था तो आम लोगों की बात होती थी। यहां एक दिल्ली में मंत्री हैं दूसरे सांसद हैं। अंतर है तो सिर्फ पार्टी का और दोनों बराबर नहीं हैं। अच्छा हुआ इस पार्टी ने अपनी पहचान पाठ्यक्रम बदलने और इतिहास बदलने वाले की भी बना ली है। अब पढ़े बच्चे बड़े होकर हमारी तरह भ्रम में नहीं रहेंगे। 

खबर के अनुसार पूनिया ने कहा है कि डब्ल्यूएफआई के प्रमुख बृजभूषण सिंह को 15 जून तक गिरफ्तार नहीं किया गया तो पहलवान अपना आंदोलन फिर शुरू करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया है कि शिकायतकर्ताओं पर बयान बदलने के लिए दबाव डाला जा रहा है।  jagran.com में यह खबर हिन्दी में है और इसके अनुसार, भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई ) के बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में नाबालिग लड़की द्वारा बयान बदलने के मामले में ओलंपियन बजरंग पुनिया ने कहा कि लड़की के पिता ने कहा था कि वो काफी दबाव में थे और पूरा परिवार अवसाद में था। साथ ही उन्होंने कहा है कि 15 जून का इंतजार है, उसके बाद प्रदर्शन को लेकर फैसला लिया जाएगा।

पूनिया ने कहा, नाबालिग पहलवान के पिता ने कहा था कि उन पर हर तरफ से बहुत दबाव था और परिवार भी दबाव में था। मीडिया ने यह हिस्सा नहीं दिखाया। इसने केवल यह दिखाया कि बयान वापस ले लिया गया है, लेकिन इसका कारण नहीं बताया कि ऐसा क्यों किया गया। पुनिया ने कहा कि वह नाबालिग के मजिस्ट्रेट के सामने बयान बदलने या उसके पिता की टिप्पणी पर कुछ नहीं कहेंगे। पहलवानों के समर्थन में शनिवार को छोटूराम धर्मशाला में महापंचायत हुई। महापंचायत में पहलवान साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया, साक्षी के पति सत्यव्रत और विनेश के पति सोमवीर राठी भी मौजूद थे।

पंचायत के बाद साक्षी ने कहा कि पहलवानों पर समझौते का भारी दबाव है। वे व अन्य पहलवान भारी दबाव से गुजर रहे हैं। नाबालिग पहलवान भी तनाव में है। साक्षी ने कहा कि बृजभूषण केस दर्ज होने के बाद खुला घूम रहे हैं, उनकी जल्द गिरफ्तारी होनी चाहिए। वह बाहर रहकर जांच को प्रभावित कर रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने पर बताया है कि इस खबर का विस्तार अंदर है। खेल पन्ने पर टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर को बजरंग पूनिया की फोटो के साथ चार कॉलम में भी छापा है। शीर्षक है, “ब्रजभूषण जांच को प्रभावित कर रहे हैं”। 

नवोदय टाइम्स में भी आज पहले पन्ने पर खबर है 

तीन कॉलम में फोटो के साथ छपी इस खबर का शीर्षक है, “पहलवान बोले, मुद्दों का हल नहीं हुआ तो नहीं खेलेंगे एशियन गेम्स में”। इंट्रो है, “बजरंग ने कहा, 15 तक इंतजार करेंगे, फिर होगा आंदोलन” । यह खबर भी सोनीपत डेटलाइन से है। खबर के साथ पंचायत में बोलते हुए बजरंग पूनिया की तस्वीर भी है। 

नरेन्द्र मोदी के डबल इंजन का दो तरह का काम 

जब सबूत (वीडियो) था और है तो वह वसूली के लिये बनाया गया है या हनी ट्रैप का मामला है। पहलवानों के मामले में जांच लटकाना है तो उसी सबूत की मांग। हालांकि बलात्कार के आरोप का वीडियो हो नहीं सकता है और पता नहीं तब जांच कैसे होगी।  पर वह अलग मामला है। गोदी मीडिया का कमाल कि खबर नहीं छपेगी (इंडियन एक्सप्रेस अपवाद है)। हालांकि, महाराष्ट्र स्टेट एंटी टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) ने 60 साल के प्रदीप कुरुलकर को पिछले ही महीने के शुरू में गिरफ्तार किया है। प्रदीप कुरुलकर पुणे में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास इकाई के निदेशक हैं। उन्हें एक पाकिस्तानी एजेंट को गोपनीय जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 

एटीएस के एक अधिकारी ने कहा है कि यह एक वैज्ञानिक को हनीट्रैप करने का मामला है। प्रदीप कुरुलकर के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से रिश्ते हैं पर यह खबरों में नहीं बताया जाता है या इसीकारण इस महत्वपूर्ण गिरफ्तारी की चर्चा कम हुई। इस बारे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है, अगर परिवार के किसी सदस्य या परिवार के किसी सदस्य ने अपराध किया है तो यह नहीं कहा जा सकता कि पूरा परिवार या विचारधारा गलत है। वैसे यह संघ का मामला है। भाजपा का अलग नजर आ रहा है। इसमें पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री चिन्मयानंद से लेकर अरुण जेटली के बेटे रोहन का मामला शामिल है। चिन्मयानंद के भी शिक्षा संस्थान हैं और आज इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार ब्रज भूषण सिंह के गोंडा राज में भी शिक्षा संस्थान हैं।  

इंडियन एक्ससप्रेस की आज की खबरें 

ऊपर महेन्दर सिंह मनराल की खबर का शीर्षक है, यौन उत्पीड़न के आरोपों पर दिल्ली पुलिस ने दो पहलवानों से कहा, फोटो, ऑडियो, वीडियो सबूत दो। पुलिस चाहती है कि गले लगने (हग या गले पड़ने) की तस्वीर दी जाए जिसका उल्लेख एफआईआर में है; पहलवान ने कहा, सबूत दे चुकी हूं। इस इस तथ्य से मिलाकर पढ़िये कि टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार बजरंग पूनिया ने आरोप लगाया है कि पहलवानों पर बयान बदलने के लिए दबाव डाला जा रहा है। 

इंडियन एक्सप्रेस की आज की दूसरी खबर गोंडा डेटलाइन से मौलश्री सेठ की है और बीच में रॉबिन्सन आ-66 टरबाइन हेलीकॉप्टर की तस्वीर भी रिपोर्टर, मौलश्री सेठ की है। कैप्शन के अनुसार यह बृजभूषण सिंह के बिष्णोहरपुर स्थित घर के पिछवाड़े खड़ा था। मौलश्री की खबर का शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, बृजभूषण का गोंडा राज : 50 से ज्यादा कॉलेज और स्कूल, अस्पताल व होटल।   

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

 


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